सीधी(ईन्यूज़ एमपी)। महिला सशक्तिकरण के लिये सरकार की महत्वाकांक्षी ССबेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओंТТ योजना के प्रचार प्रसार एवं जन भागीदार सुनिश्चित करने के लिये पिछले वित्तीय वर्ष 2016-17 में आवंटित तकरीबन 50 लाख रुपये का बजट कागजों में खर्च हो गया। एक फर्जी वेंडर के जरिये जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी प्रवेश मिश्रा ने नाम मात्र की प्रचार सामग्री के जरिये सारे आवंटन में घालमेल कर डाला। प्रचार प्रसार के सशक्त माध्यम समाचार के श्रोतों को इससे विरक्त रखा गया। वेंडर के पास न तो प्रिंटिग मशीन है और न ही फ्लेक्स मशीन। बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ के तहत जिले की समस्त ग्राम पंचायतों में गुड्डा-गुड़िया बोर्ड लगाना था, जो कहीं भी नहीं लगाये गये। उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में जहां सह शिक्षा है, वहां बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012 के तहत् शिकायत पेटी लगवाया जाना था, ताकि मौखिक रूप से कह न सकने की स्थिति में बालिकायें किसी तरह के लैंगिक अपराध की लिखित सूचना दे सके। 15 सौ से 2 हजार कीमती मामूली टिन के डिब्बे लगाकर इतिश्री कर ली गई। उसी का परिणाम था कि शासकीय हायर सेंकडरी स्कूल कुचवाही की 4 छात्राओं ने आत्म हत्या कर ली थीं। समाज की भागीदार सुनिश्चित करने जिला एवं विकास खंडों में प्रस्तावित कार्यशालायें तक नहीं आयोजित की गईं। समाज में जागरूकता लाने विकास खंड व ग्राम पंचात स्तर पर नुक्कड़ नाटक व योजना के सम्बंध में विभिन्न प्रतियोगितायंे आयोजित कर विजेताओं को पुरष्कृत किया जाना था। यह आयोजन भी बिल वाऊचर बनाये जाने तक सीमित रहा। जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी प्रवेश मिश्रा द्वारा अनुबंधित वाहन का उपयोग सिर्फ निजी कार्य के लिये किया जाता है, जो उनके बच्चों को स्कूल ले जाने व लाने का काम करती है। अधिक हुआ तो उनके सतना जिले के गृह ग्राम तक चली जाती है। पिछले तीन वर्षों में उनके द्वारा महिला सशक्तिकरण के किसी भी योजना की निगरानी या लक्ष्य की प्राप्ति के लिये न तो स्वयं गये और न ही कभी अपने अधीनस्थों को शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में करने दिया गया। अनुबंधित बलेरो वाहन भी फर्जी वेंडर ( कागजों में है किन्तु भौतिक रूप से अस्तित्व में नहीं ) का है।