सीधी(विजय सिंह)-मध्य प्रदेश की ओर से तो विधान सभा और लोक सभा के चुनाव एक साथ कराने का लिखित प्रस्ताव केन्द्र सरकार व चुनाव आयोग को भेजा जा चुका है। इसके अलावा अन्य 7 भाजपा शासित राज्य इस प्रस्ताव पर सहमति दे चुके हैं। देश में हुये हालही के उप चुनाव, गुजरात और कर्नाटक के आम चुनाव के परिणाम, ऊपर से एन.डी.ए. के सहयोगी दल, धीरे-धीरे दूरी बना रहे हों और दूसरी ओर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल मिलजुल कर चुनावी बिसात बिछा रहे हों ? क्या केन्द्र में बहुमत के साथ सत्तारूढ़ भाजपा विधान सभा व लोक सभा के चुनाव एक साथ करवाने का जोखिम उठा सकती है ? इन सवालों का जवाब तो भविष्य के गर्त में है, लेकिन मई की तपिश में सीधी जिले की सियासत भी अपेक्षा से अधिक गर्माई है, कहना अतिशयोक्ति न होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान अपने 12 वर्षीय कार्यकाल में सीधी तो आये हैं, लेकिन उनका रात्रि विश्राम 11 साल बाद 12 मई को हुआ। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी 18 मई को सेमरिया में चुरहट परिवार के कृष्ण कुमार सिंह भंवर साहब को सपा में पुनः शामिल कर धमाकेदार वापसी का आगाज किया। वहीं राहुल भैया व इन्द्रजीत कुमार पटेल से सीधी विधायक की मुलाकातें भी चर्चा का विषय बन चुकी हैं। सीधी विधायक केदार नाथ शुक्ल की पुत्री के विवाह के परिप्रेक्ष्य में प्रतिपक्ष के नेता व घुर विरोधी अजय सिंह राहुल उनके निवास पर शुभ कामना देने पहुंचे, तकरीबन 1 घंटे से अधिक का समय तक रहे। अब यह तो नहीं कहा जा सकता कि बातचीत सिर्फ कुशल क्षेम तक ही सीमित रही होगी ? इसके बाद यह खबर आई कि भाजपा श्री शुक्ल को श्री राहुल के खिलाफ चुरहट से उम्मीदवार बना सकती है। और ठीक इसके बाद 31 मई को श्री शुक्ल, पूर्व मंत्री इन्द्रजीत कुमार पटेल के स्वास्थ्य का हालचाल लेने उनके गृह ग्राम सुपेला पहुंच गये। यह सब महज संयोग है या कुछ पक रहा है ? जो चर्चाये हैं उनके अनुसार श्री शुक्ल चुरहट से उम्मीदवारी को लेकर श्री इन्द्रजीत कुमार से मिलने गये थे। रीवा संभाग में कुल 22 विधान सभा क्षेत्र हैं। उनमें से 12 रीवा, सेमरिया, सिरमौर, देवतालाब, त्योंथर, रामपुर बघेलान, मैहर (पहले कांग्रेस के पास, अब भाजपा के साथ), सतना, सीधी, घौहनी, देवसर, सिंगरौली विधायक भाजपा के साथ हैं। कांग्रेस का गुढ़, मऊगंज, अमरपाटन, नागौद, चित्रकूट, सिहावल व चितरंगी तथा बहुजन समाज पार्टी का मनगवां व रैगांव विधान सभा क्षेत्र पर कब्जा है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के आंतरिक सर्वे के मुताबिक वर्तमान में भाजपा की तीन सीटों रीवा, सतना, सीधी के विधायक राजेन्द्र शुक्ला, शंकर लाल तिवारी व केदार नाथ शुक्ल ही सुरक्षित माने जा रहे हैं, शेष की जीत पर संगठन संशय की स्थिति में है। आपने गौर किया होगा कि इस बीच प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चैहान व संगठन में रीवा संभाग के प्रभारी महामंत्री बी.डी. शर्मा का संभाग में प्रवास चल रहा है। वैकल्पिक उम्म्ीदवारों को भी जन सम्पर्क बढ़ाने का मंच प्रदान किया जा रहा है। उदाहरण के लिये सिंगरौली में श्रीमती आशा अरुण यादव को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के माध्यम से सक्रिय किया गया है। कांग्रेस में सीधी के सिटिंग विधायकों में से सीधी व सिहावल के विधायकों के समक्ष टिकट की चुनौती नहीं है, चितरंगी में श्री जगन्नाथ सिंह के देहावसान के बाद भाजपा किसे उम्मीदवर बनाती है ? उसके अनुसार ही प्रत्याशी का चयन संभावित है। कांग्रेस की नजर या संभावनायें बसपा-सपा के साथ संभावित गठबंधन पर भी टिकी हैं। सूत्रों का कहना है कि समझौते के तहत् वह सीधी व सिंगरौली विधान सभा क्रमशः सपा व बसपा को सौंप सकती है। यदि मध्य प्रदेश के प्रस्ताव अनुसार विधान सभा व लोक सभा के एक साथ चुनाव होते हैं तो कांग्रेस के पास तो श्री इन्द्रजीत कुमार के टिकट को चुनौती नहीं है। लेकिन भाजपा में उसके तीसरे आंतरिक सर्वे में लोक सभा प्रत्याशी के रूप में सीधी विधायक केदार नाथ शुक्ल को सर्वाधिक 37 प्रतिशत लोगों की पसंद बताया गया है। चर्चा यह भी है कि यदि कांग्रेस व सपा-बसपा का समझौता नहीं हुआ तो भंवर साहब भी लोकसभा का चुनाव लड़ना अधिक पसंद कर रहे हैं।