सीधी (ईन्यूज एमपी) -म.प्र. कांग्रेस के नए अध्यक्ष कमलनाथ की घोषणा होते ही,प्रदेश की राजनीति में अचानक तेजी से हलचल बढ़ गई।सत्ताधारी पार्टी के नेताओ में भी परेशानी की लकीर माथे पर दिखने लगी है इसी लिए तो कल से कमलनाथ को लेकर बयान बाजी शुरू है,कल से जब से लोगों को पता चला है कांग्रेस ने कमलनाथ को मुखिया घोसित किया है तब से हर चार व्यक्तियों में ये चर्चा है सिंधिया कमलनाथ का एक सांथ आना यानी कांग्रेस का चुनावी तैयारी शुरू, जिसमे कहीं कोई कसर नही छोड़ी जाएगी,ऐसे प्रदेश की नई कार्यकारणी बनेगी,नए जिलाध्यक्ष भी बनेंगे, सीधी में भी इन्ही अटकलों का बाजार भी गर्म हो चला है कि सीधी काँग्रेस का कप्तान कौन होगा, हालांकि मौजूदा वक़्त कहता है मुखिया ऐसा हो जो सबकी सुन भी ले और अपनी भी सुना सके या दूसरे शब्दो मे कहे तो जिसकी स्वीकार्यता सब मे हो। तो क्या पुराने जो अभी मौजूदा अध्यक्ष है वो आगे भी रहेंगे या फिर पुराने नेता चिंतामणि तिवारी को फिर उनके पहले के शानदार कार्यकाल को याद करते हुए मौका मिल सकता है,या फिर कुछ नेता जो पुराने हो चले है और पार्टी जिला कांग्रेस के में अग्रणी रूप से सक्रिय आनंद सिंह , बाबा रुद्रप्रताप सिंह या राजेन्द्र भदौरिया पर भी मुहर लग सकती है,पार्टी के मौजूदा हालात भी ऐसे नही की किसी नए चेहरे को उतार दिया जाए क्योंकि जिसे अनुभव लेने में और संतुलन बैठाने में काफी समय लग जाये जिसका बर्तमान में आभाव है क्योंकि चुनाव कुछ महीने ही दूर है और पार्टी काफी लंबे अर्से से सत्ता से दूर है और इस बार वापसी करने में कोई कमी भी नही छोड़ना चाहती और तैयारी अभी से ही करनी है,अनुभव और जमीनी स्तर पर काम करने के लिए इन दोनो आवश्यकता को देखते हुए हो सकता है प्रदेश के तर्ज पर यहां भी किसी युवा को हांथ में कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया जाए,कांग्रेस के पिछले डेढ़ दशक पुराने और बर्तमान संगठन को देखा जाए तो स्थिति काफी संक्रमण काल से गुजरती हुई दिखाई देती है,युवा कांग्रेस जहां चिन्हित चेहरों को लेकर अपने अस्तित्व के संघर्ष करता दिखाई देता है बिगत एक दशक में किसी नए चेहरे ने अपना विशेष प्रतिभा दिखाने में असफल रहा है बर्तमान में कुछ युवा आये है जो अपने मेहनत से अपना नाम चला रहे है लेकिन कांग्रेस के जिलास्तरीय या मंचीय कार्यक्रमो में भी इन्हें मंच से दूर लूप लाइन में ही रखा जाता है जिससे युवाओ का खासा अभाव दिखाई देता है अन्य कांग्रेस के फ्रंटल संगठन को की बात की जाए जो सुसुप्ता स्थिति में दिखाई देता है एनयूएसआई,महिला कांग्रेस,सेवादल,हरिजन प्रकोष्ठ,आदिवासी प्रकोष्ठ,पिछड़ा वर्ग,किसान मजदूर संगठन,जो कभी काफी आक्रामक संगठन होता था आज उन पर नियुक्ति ही नही हुई या अध्यक्ष पद की नियुक्ति लेकर एकल पदों तक सीमित रह गया,इन पर कार्य नही हुआ क्या इनकी उपयोगिता नही है या फिर ऊपर स्तर से भी इनकी खोज खबर ही नही हुई,कुल मिला कर यू कहे कांग्रेस में जो हर वर्ग का समीकरण का ताना बाना दिखाई देता था वो बिखरा है जिस पर किसी ने ध्यान ही नही दिया, सत्ताधारी पार्टी के जिलाध्यक्ष जिस वर्ग से आते है कांग्रेस में उस वर्ग का पार्टी के पास कोई ऐसा चेहरा नही जो राजनीतिक पृष्टभूमि रखता हो या समाज मे विकल्प का स्थान रखता हो,अब अध्यक्ष चाहे जो बने लेकिन एक बात तो तय है कि आगे समय इन सब मोर्चे पर काम करने की कड़ी चुनौती होगी रूठने वालो को मनाना होगा,हर वर्ग के समीकरण आगे दिखाकर और सबको सांथ लेकर चलना होगा, जिसमे सीधी के मुखिया नेताओ को भी ध्यान देना होगा और सशक्त संघर्षसील सुलझा हुआ अध्यक्ष का चयन करना होगा। देखना होगा कि इन तमाम अंटकलों के बाबजूद जिला कांग्रेस कमेटी सीधी के अध्यक्ष पद पर आनंद , बाबा , भदौरिया को कमान मिलती है या फिर ताला नरेश के हांथ चाभी सौंपी जायेगी ...?