सीधी(ईन्यूज एमपी)-कलेक्टर दिलीप कुमार ने 18 अप्रैल 2018 को अक्षय तृतीया को दृष्टिगत रखते हुए सीधी जिले में होने वाले संभावित बाल विवाह को रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रत्येक विकास खण्ड में उड़नदस्तों के बलों का गठन किया है। विकासखण्ड सीधी के दल प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी गोपद बनास, विकासखण्ड रामपुर नैकिन के दल प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी चुरहट, विकासखण्ड सिहावल के दल प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी सिहावल, विकासखण्ड मझौली के दल प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी मझौली और विकासखण्ड कुसमी के दल प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी कुसमी को नियुक्त किया है। श्री कुमार ने निर्देष दिए है कि उक्त दल अपने-अपने क्षेत्राधिकार अंतर्गत होने वाले सामूहिक विवाहों में वर-वधुओं की आयु के प्रमाण पत्रों का अवलोकन करेंगे। किसी भी परिस्थिति में वर की आयु 21 वर्ष से कम तथा वधु की आयु 18 वर्ष से कम न हो। वर अथवा वधु की आयु कम पाये जाने पर बाल विवाह रोकने का प्रयास करेंगे। अन्यथा वैधानिक कार्यवाही करेंगे। श्री कुमार ने निर्देष दिए है कि उक्त अवधि में किसी भी बाल विवाह की शिकायत पाये जाने पर उक्त दल सामूहिक रूप से विवाह स्थल पर जाकर वर-वधु की आयु नहीं पाये जाने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पी.सी.एम.ए.) 2006 जो कि 01 जनवरी 2007 से अधिसूचित है, के अनुसार वैधानिक कार्यवाही करेगा। किसी भी स्थिति में दल द्वारा जिले में एक भी बाल विवाह का प्रकरण न हो, इसके लिये कार्य करेगा। श्री कुमार ने बताया कि उड़नदस्तों के दलों द्वारा यदि उनके क्षेत्राधिकार में कोई बाल विकाह का प्रकरण पाया जाता है तो बाल विवाह करने वाले, बाल विवाह को प्रोत्साहित करने वाले जैसे बाल विवाह में सम्मिलित बाराती, विवाह स्थल/गार्डन मालिक, टेन्ट हाउस मालिक, खाना बनाने वाले रसोईया, केटरर, काजी, पण्डित तथा पत्रिका छापने वाले प्रिटिंग पे्रस के मालिक के विरूद्ध भी बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के धारा 10 के तहत वैधानिक कार्यवाही की जावेगी। लाडो अभियान के तहत बाल विवाह रोकने में सहयोग की अपील- कलेक्टर दिलीप कुमार ने लाडो अभियान के अंतर्गत जिले के सामूहिक विवाह कराने वाले आयोजकों, सभी धर्मगुरू, समाज के मुखिया, हलवाई, केटरर, बैंडवाले, घोड़ीवाले, ट्रांसपोर्ट, प्रिंटिंग प्रेस के प्रबंधक, ब्यूटी पार्लर, संचालक मंगल भवन और अन्य संबंधितों से अनुरोध किया गया है कि वे किसी विवाह या समारोह में शामिल होने से पहले यह अवश्य देख लें कि कहीं वो बाल विवाह तो नहीं है। यदि बाल विवाह हो, तो इसे रोकने में शासन को सहयोग प्रदान करें। श्री कुमार ने कहा कि बाल विवाह रोकना या इसे हतोत्साहित करना हर समझदार और कानूनप्रिय व्यक्ति की जिम्मेदारी है। इसलिये यह अवश्य सोचें कि कहीं आप 18 वर्ष से कम उम्र की लाडली बिटिया का विवाह करके उसकी जिदंगी अनजाने जोखिम में डालने तो नहीं जा रहे हैं। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम में दण्ड प्रावधान के अंतर्गत बालिका की आयु 18 वर्ष और बालक की आयु 21 वर्ष से कम नहीं होना चाहिये। इस अधिनियम से संबंधित प्रकरण की सुनवाई के लिये जिला न्यायालय सक्षम न्यायालय है तथा बाल विवाह किये जाने पर 2 वर्ष के कारावास, एक लाख रूपये का जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।