सीधी (ईन्यूज एमपी)-कलेक्टर दिलीप कुमार एवं पुलिस अधीक्षक मनोज श्रीवास्तव ने जिले में सम्प्रदायिक सौहार्द, कानून व्यवस्था एवं शांति व्यवस्था को ध्यान में रखते हुये सोषल मीडिया तथा मल्टीमीडिया मोबाइल धारको के माध्यम से चलाये जा रहे ऐप वाट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर, टेलीग्राम, व्हीचैट, इंस्टाग्राम, स्काइप, वाइबर, लाइन इत्यादि के संचालकों के समूह व्यवस्थापक (ग्रुप एडमिन) एवं सदस्यों के लिये सोषल मीडिया पर अभिव्यक्ति को जिम्मेदारी के साथ किये जाने के लिए दिषा निर्देष जारी किए है। जारी निर्देषों का उल्लंघन करने पर सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम (इन्फार्मेषन टेक्नालाॅजी एक्ट/आईटी एक्ट) एवं भारतीय दण्ड विधि के सुसंगत धाराओं के तहत कार्यवाही की जायेगी। जारी निर्देष के अनुसार धार्मिक भावनाओं को चोट पहुचाये जाने वाले कोई भी वक्तव्य/अभिव्यक्ति/समाचार/चुटकुले/फोटो/वीडियो इत्यादि किसी व्यक्ति या समूह को नहीं भेजा जाए। अगर इस प्रकार के अफवाह भरे वक्तव्य वक्तव्य/अभिव्यक्ति/समाचार/चुटकुले/फोटो/वीडियो इत्यादि प्राप्त होते है तो इसकी जानकारी तत्काल नजदीकी पुलिस थाना में या पुलिस कंन्ट्रोल रूम के फोन नंबर पर दी जाये।, ग्रुप एडमिन वही बने जो उस ग्रुप के लिये पूर्ण जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व के साथ ग्रुप का संचालन कर सके। साथ ही ऐसे व्यक्ति को ग्रुप को जोड़े जाये जिससे आप पूर्णतः परिचित हो। अफवाह/भ्रामक तथ्य/वार्तालाप/सामाजिक समरसता के विरूद्ध तथ्य पोस्ट होने की सूचना तत्काल नजदीकी पुलिस कंन्ट्रोल रूम के फोन नंबर पर दी जाये तथा वायरल हो रहे मैसेज/वीडियो/फोटो/ आॅडियो को भली-भांति सुनकर, देखकर पूर्ण रूपेण पुष्टि उपरांत ही आगे अग्रेषित किया जाये। और जातीय/धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुचाये जाने वाले मैसेज, वीडियो, फोटो, आॅडियो पर विवादित टिप्पणी करना/ कमेंट करना एवं वायरल करना दण्डनीय अपराध है। शासन द्वारा जारी पत्र-परिपत्र एवं दिषा निर्देष का उल्लंघन कर गलत जानकारी तैयार कर आदान-प्रदान करना भी दण्डनीय अपराध है। ग्रुप एडमिन द्वारा अगर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं करने पर एवं सूचना पुलिस को नही देने पर उन्हे इसका दोषी माना जायेगा और उनके विरूद्ध भी नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया के दौर में सोषल मीडिया पर व्यक्तियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है किनतु कई बार इसके उपयोग में सावधानी नहीं बर्तने से कानून व्यवस्था की स्थितियां भी निर्मित हो जाती है। सोषल मीडिया पर कई समूह बने हुये है जिन्हे समाचार समूह के नाम दिये जा रहे है और समाचार तथा अन्य जानकारियों का प्रचार-प्रसार भी कर रहें है किन्तु यह भी देखा जा रहा है कि सोषल मीडिया में बने समूह जो समाचार या तथ्य प्रेषित कर रहे है, जिसकी सत्यता प्रमाणित नहीं रहती है। कई तथ्य बिना पुष्टि के सीधे कट पेस्ट पर अग्रेषित किये जा रहें है। कुछ लोगों द्वारा वाट्सएप एवं फेसबुक पर तरह-तरह के आपत्तिजनक संदेष एवं चित्रों व वीडियो एवं आॅडियो मैसेज का प्रसारण कर शांति व्यवस्था के विरूद्ध वातावरण निर्मित करने जैसे संदेषों का प्रसारण एवं उन पर भ्रामक तथा अष्लील कमेंट भी हो रहे है इससे जिला सीधी की शांति व्यवस्था के लिये प्रतिकूल स्थितियां निर्मित हो रही है। साथ ही यह भी देखा गया है कि आपत्तिजनक पोस्ट से उतनी वैमनस्यता का संचार नहीं होता जितना की उस पर आये कमेंट के कारण होता है। सोषल मीडिया पर वैमनस्यता की अभिव्यक्ति ऐसे पोस्ट के माध्यम से होती है जिस पर हर कोई बिना विचार किये एवं बिना किसी दायित्व के दोषपूर्ण एवं अष्लील शब्दों का प्रयोग कर आम लोगो की भावनाओं को आहत करता है, जिससे लोक व्यवस्था एवं सामाजिक शांति भंग हो सकती है। भावनायें सभी की है पर भावनाओं को प्रभावित करने वाला, कुपित करने वाला या भावनाओं के आहत, पीड़ित व परेषान करने वाला सामग्री/पोस्ट मीडिया/सोषल मीडिया में शेयर न करें और यदि ऐसी चीजे प्रकाष में आती है तो स्थानीय पुलिस को सूचना देकर अपने अच्छे नागरिक होने का कर्तव्य निभायें। तथा सभी बिन्दुओं का ध्यान में रखते हुए एक आम नागरिक मीडिया एवं सोषल मीडिया से जुड़ा रहकर एवं अपराधिक कृत्यों से रहित अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का भली-भाॅति उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है। प्रतिबंधात्मक आदेष जारी - जिला मजिस्ट्रेट दिलीप कुमार ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत लोक शांति एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए जिला सीधी की सम्पूर्ण राजस्व सीमा क्षेत्र में किसी भी आपत्तिजनक अथवा उद्वेलित करने वाली फोटो, चित्र, मैसेज करने पर साम्प्रदायिक मैसेज उनकी फारवर्डिंग ट्वीटर,फेसबुक, वाट्सएप इत्यादि सोषल मीडिया पर साम्प्रदायिक मैसेज आदि करने से पोस्ट पर कमेंट करने की गतिविधियों को प्रतिबंधित किया है। किसी सार्वजनिक भवन/सम्पत्ति पर किसी धर्म/साम्प्रदाय के भड़काउ भाषा का लेखन को भी प्रतिबंधित किया है। यदि कोई व्यक्ति उपयुक्त आदेष का उल्लंघन करेगा तो उसक विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता के प्रावधानों तहत अभियोजन किया जायेगा। उक्त आदेष दिनांक 06.05.2018 तक प्रभावषील रहेगा तथा उक्त प्रभावषील अवधि आदेष का उल्लंघन धारा 188 भा.दं.वि. अंतर्गत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आयेगा।