सीधी (ईन्यूज़ एमपी)- आज पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस आयोजित किया गया| इसका मुख्य उदेश्य बेटे और बेटियों के औसत अंतर को कम करना है। बेटी बचाओं और बेटी पढाओं अभियान का सूत्रपात हमारे प्रधानमंत्री द्वारा किया गया तथा मुख्यमंत्री ने प्रदेश में दिनों दिन हो रही बेटियों की भूण हत्या को रोकने के लिए तथा बेटियों के जन्म को साकार करने के लिए वित्तीय वर्ष 2007 से लाडली लक्ष्मी योजना की शुरूआत की तथा 1 जनवरी 2006 से बेटियों का पंजीयन प्रारम्भ किया गया योजना के अन्तर्गत प्रावधान किया गया कि जब बेटी 18 वर्ष की हो जायेगी तो उसे 1 लाख 21 हजार रूपये नगद मिलेगें इससे बेटियों के जन्म को प्रोत्साहन मिला और प्रदेश में पुरूष एवं महिलाओं का अंतर कम हुआ उपरोक्त उद्बोधन सीधी विधान सभा क्षेत्र के विधायक केदार नाथ शुक्ल ने लाडली शिक्षा पर्व का शुभारम्भ करते हुए दिया। इस मौके पर धौहनी विधायक कुवर सिंह टेकाम, वरिष्ठ समाज सेवी, लालचन्द्र गुप्ता, पुनीतनारायण शुक्ला कलेक्टर दिलीप कुमार, डिप्टी कलेक्टर आर.के. सिन्हा, सुशीला जायसवाल, उपसंचालक कृषि, के.के. पाण्डेय, महिला सशक्तिकरण अधिकारी प्रवेश मिश्रा सहित जिला अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। विधायक श्री शुक्ल ने कहा कि लाडली लक्ष्मी योजना के अन्तर्गत पूरे प्रदेश में 65000 बेटियों को लाभन्वित किया जा रहा है। जिले में ही योजना प्रारम्भ से 32575 बेटियों का पंजीयन किया गया तथा आज आयोजित कार्यक्रम में कक्षा 6वीं में प्रवेश लेने वाली 689 बालिकाओं को 2000 रूपये प्रत्येक के मान से छात्रवृत्ति, प्रमाण पत्र एवं पौध रोपण के लिए एक पौधा वितरित कर उन्हे सम्मानित किया जा रहा है। उन्होने कहा कि लाडली लक्ष्मी योजना के अन्तर्गत कक्षा 6वीं में प्रवेश लेने वाली बालिकाओं को 2000 रूपये छात्रवृत्ति, कक्षा 9वीं में प्रवेश लेने वाली बालिकाआकों को 4000 रूपये और कक्षा 11वीं एवं 12वीं में प्रवेश लेने वाली बालिकाओं को 6-6 हजार रूपये छात्रवृत्ति के रूप में दिया जाता है। उन्होने कहा कि पूर्व में कभी भी बेटियों की भूण हत्या करने की घटनाएं नही होती थी। गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपनी बेटियों का पालन पोषण कर उनका विवाह सम्पन्न कराता था। लेकिन आधुनिक युग में दहेज के दानव के कारण पालक बेटियों को जन्म के पूर्व ही मिटा देते थे इससे प्रदेश में लिंगानुपात काफी बढ गया था। हालत यहां तक हो गई थी कि बेटियों की संख्या कम होने के कारण लोगों के यहां शादी के रिश्ते कम आने लगे। यदि हम अपने पडोसी प्रदेश का उदाहरण लें तो राजस्थान में लिंगानुपात बहुत अधिक होने के कारण वें हमारे प्रदेश की बेटियों से ब्याह करने लगे, इसी प्रकार यहां की बेटियां बुन्देलखण्ड में ब्याही जाने लगी। अतः बेटियों को न मारें उनकी रक्षा करें और उन्हे पढायें तथा आगे बढायें, अच्छा पोषण आहार दें ताकि वें मजबूत बहन और माॅ बन सकें। पहले हमारे क्षेत्र का रिकमच और इंदरहा पोषण आहार से युक्त होता था। इसे लोग भुलते जा रहे हैं। इसी प्रकार सिंगरौली जिले के बिजौरा ग्राम में उत्पादित की जाने वाली उडद की दाल में फैट बहुत अधिक होता था। लेकिन आज किसान उडद की दाॅल का उत्पादन ही नही लेते हैं। अब सीधी जिले में बेटियों के शरीर में खून की कमी होने लगी है। उनमे हीमोग्लोबीन की मात्रा भी बहुत कम पाई जाती है। इससे वे गर्भावस्था के दौरान असमय में ही काल के गाल में समा जाती है। अतः इन्हे भरपूर पोषण आहार दिया जाना चाहिए। धौहनी क्षेत्र के विधायक कुवर सिंह टेकाम ने कहा कि आज लाडली शिक्षा पर्व का अयोजन कर बेटियों को लाडली लक्ष्मी योजना के अन्तर्गत कक्षा 6वीं में प्रवेश लेने वाली बेटियों को 2000 रूपये छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। म.प्र. के मुख्यमंत्री ने 1 अप्रैल 2007 से लाडली लक्ष्मी योजना प्रारम्भ की और महिलाओं की सशक्तिकरण की दिशा में मजबूत कदम बढाया उन्होने प्रदेश में पंचायत चुनाव एवं अन्य जगह महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया तथा शासकीय नौकरी में 33 प्रतिशत आरक्षण लागू किया इससे प्रदेश में लिंगानुपात कम करने में काफी मदद मिली यदि हमें सुनहरा भविष्य चाहिए तो बेटियों की रक्षा करनी होगी और बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित करना होगा। कलेक्टर दिलीप कुमार ने कहा कि पूरे प्रदेश में एक साथ लाडली पर्व कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। योजना के अन्तर्गत बेटी के 18 वर्ष पूर्ण होने पर उसे एक मुश्त 1 लाख 18 हजार रूपये नगद दिये जायेंगे साथ ही कक्षा 6वीं में प्रवेश लेने पर 2000 रूपये छात्रवृत्ति दी जायेगी। बेटियों के लिए यह प्रावधान उनके जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया है। बेटे और बेटियों के लिंगानुपात को कम करना परम आवश्यक है। बेटी बचाओं एवं बेटी पढाओं योजना संचालित की जा रही है।