सीधी(ईन्यूज़ एमपी)- जिला शिक्षा अधिकारी ने समस्त अशासकीय विद्यालयों के प्राचार्यो एवं प्रबंधकों को कडे निर्देश दिये है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 जो कि 1 अप्रैल 2010 से लागू है के तहत 25 प्रतिशत स्थान वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित होते हैं। अनेक अशासकीय विद्यालय इस लाभ से बच्चों को वंचित कर रहें हैं जो कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है ऐसी स्थिति में उनकी मान्यता समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा है कि शिक्षा के अधिकार में यह प्रावधान है कि पंजीकृत बच्चों की सम्पूर्ण जानकारी उनके माता-पिता को, उसक्षेत्र के स्थानीय जन प्रतिनिधि को पंच, सरपंच, पार्षद को प्रदान की जाकर बच्चों को सभी प्रकार के शासन के शुल्क आदि से छूट दी जाती है। अतः अशासकीय विद्यालयों में भी हर प्रकार की शुल्क एवं दरों से छूट दी जानी चहिए। लेकिन अशासकीय विद्यालयों के द्वारा अभिभावकों से दोहरी फीस वसूली जा रही है। शासन की ओर से भेजी गई 25 प्रतिशत बच्चों की शुल्क प्रतिपूर्ति एवं उन्ही बच्चों के अभिभावकों से शुल्क की वसूली की जाना किसी अपराध से कम नही है। यह शिक्षा के अधिकार में दण्डनीय है। अतः समस्त अशासकीय विद्यालयों को निर्देशित किया जाता है कि वे दो वर्ष 2015-16 और 2016-17 के लाभ प्राप्त बच्चों की सूची उपलब्ध करायें अन्यथा उनके विरूद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। कुछ विद्यालयों ने इस आशय का पत्र दिया है कि उनके विद्यालय को डायस कोड आवंटित न होने के कारण बच्चों को लाभ नही दे पा रहें है। प्रत्येक विद्यालय को यह ज्ञात है कि डायस कोड आवंटन के पश्चात पहली कक्षा में कुल प्रवेशित बच्चों मे से किन बच्चों को 25 प्रतिशत शिक्षा के अधिकार का लाभ देना है। उसी पूर्व निर्धारित सूची के अनुसार बच्चों की जानकारी दिया जाना सुनिश्चितर करें। इस वर्ष की सूची भी डायस कोड की प्रतिक्षा में न रोकर जिन्हे मान्यता के बाद नवीनीकृत करेंगे उसके अनुसार इन बच्चों की सूची उपलब्ध कराकर अपने विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर भी चस्पा करें। जिससे वंचित वर्ग के बच्चों को 10 सितम्बर तक लाभ दिलाना सुनिश्चित किया जा सकें।