सीधीenewsmp.com महिला साक्तिकरण अधिकारी प्रवेश मिश्रा ने समेकित बाल संरक्षण के अंतर्गत लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अंतर्गत आयोजित कार्याला में शालेय प्राचार्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जैसे-जैसे हम आधुनिक होते जा रहे हैं हमारा समाज एवं संस्कृति में परिवर्तन आया है। आज के युवा और युवती अधिक आक्रामक हो गए हैं। उनमें धीरे-धीरे सहनाक्ति कम होती जा रही है। अतः शिक्षा के दौरान प्राचार्यों एवं शिक्षकों को उनसे मित्रवत एवं मनोवैज्ञानिक ढंग से समझाना होगा। छात्रों के मन के अर्न्तद्धन्द में क्या चल रहा है इसे जानने की क्षमता विकसित करनी होगी। यदि हम 30 वर्षों पूर्व के और आज के शैक्षणिक वातावरण को देखें तो इसमें काफी अन्तर दिखेगा। पहले हर छात्र अनुशासित होता था और शिक्षकों के आदेशों का पालन करता था। पूर्व के शिक्षक भी हर छात्र का व्यक्तिगत रूप से ध्यान रखते थे और उन्हें प्रत्येक छात्र की क्षमता का उसकी मनःस्थिति की जानकारी होती थी लेकिन यदि आज का वातावरण देंखे तो छात्र और शिक्षक का सम्बन्ध स्कूल तक सीमित हो गया है। छात्र परिपक्व न होने के कारण कभी-कभी परीक्षाओं की तैयारी न होने पर अपनी इहलीला समाप्त करने का भी निर्णय ले लेते हैं। इसी तरह से अन्य घटनाएं भी उसकी मानसिकता को प्रभावित करती हैं। कार्याला में उत्कृष्ट उ0मा0विद्यालय के प्राचार्य आर.पी.तिवारी,सहायक पब्लिक प्रास्कूटर भारती शर्मा,प्राचार्य एवं महिला साक्तिकरण के अधिकारी उपस्थित थे। प्राचार्य आर.पी.तिवारी ने कहा कि छात्र एवं छात्राएं स्कूल में केवल 5 घण्टे रहते हैं जबकि शेष समय वे घर पर रहते हैं। घर पर दैनिक क्रियाकलाप और वातावरण भी उसे प्रभावित करता है। स्कूल में रहने के दौरान क्लासटीचर और प्राचार्यों को प्रत्येक छात्र से व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क स्थापित कर उसके मनःस्थिति की जानकारी लेते रहना चाहिए। यदि छात्र या छात्राएं स्कूल में गुमाम रहती हैं किसी से बात नहीं करती तो इसका कारण क्या है। उन्हें हमेशा सम्वल प्रदान करते रहना चाहिए। भारती शर्मा ने किशोर न्याय अधिनियम एवं लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण नियम 2012 के प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी।