सीधी - जिला मजिस्ट्रेट सुनील दुबे ने सोन नदी (सोन घडियाल अभ्यरण्य) सीमा के समीपस्थ समस्त 88 ग्रामों एवं उनसे लगी हुई ग्रामीण एवं अन्य सड़कों को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया है तथा निषेधाज्ञा प्रसारित किया है कि कोई भी व्यक्ति प्रतिबन्धित क्षेत्र के अंतर्गत ट्रेक्टर-ट्राली,ट्रक,डम्फर आदि से रात्रि 12 बजे से सुबह 6 बजे तक रेत का परिवहन नहीं करेगा। यदि कोई वाहन या कोई व्यक्ति इस अवधि में रेत का अवैध उत्खनन कर परिवहन में संलिप्त पाया जाएगा तो उसके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी। इंगित 88 ग्राम क्षेत्र में किसी ट्रेक्टर-ट्राली,ट्रक,डम्फर आदि की प्रतिबंधित समय में उपस्थिति को अवैध रेत उत्खनन के उद्देष्य हेतु माना जाएगा। आदेष की अवहेलना करते पाए जाने पर धारा 188 भारतीय दण्ड विधान के तहत प्रकरण तैयार कर सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि यह आदेष दिनांक 28 अप्रैल 2017 तक रात्रि 12 बजे से सुबह 6 बजे तक निरंतर प्रभावषील रहेगा। जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि संजय टाइगर रिजर्व के मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र संचालक ने अवगत कराया है कि खनिज माफियाओं द्वारा सोन नदी से अवैध रेत उत्खनन कर विक्रय किया जा रहा है जिससे शासकीय सम्पदा का भारी मात्रा में नुकसान हो रहा है। सोन घडियाल अभ्यारण्य का मध्य प्रदेष राज्य के सीधी,सतना,सिंगरौली एवं शहडोल जिले में स्थित है। सीधी जिले में सोन घडियाल अभ्यारण्य का फैलाव 209 किलोमीटर है। वर्ष 2016 में की गई गणना के अनुसार जलजीवों की संख्या 53 घडियाल,49 मगर, 128 टर्टिल व 48 प्रवासी इण्डियन स्कीमर पाए गए है। उन्होंने बताया कि घडियाल एक लुप्तप्राय प्रजाति है जिनका विष्व में मात्र 5 स्थानों पर प्रजनन संभव हो पा रहा है जिसमें एक स्थान सीधी जिला भी है। सोन घडियाल अभ्यारण्य सीमा से एक किलोमीटर परिधि के अंतर्गत 88 ग्राम हैं। रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन की षिकायतें प्राप्त हो रही हैं जहॉ सोन नदी से लगातार रेत माफियाओं द्वारा रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। दुर्लभ प्रजाति मगर,घडियाल एवं कछुआ का निवास रेत में रहता है। रेत के अवैध उत्खनन के कारण उक्त प्रजाति नष्ट हो रही है। टाइगर रिजर्व में अमले की कमी के कारण रेत माफियाओं के विरूद्ध प्रभावी एवं कड़ी कार्यवाही नहीं हो पा रही है। सोन घडियाल अभ्यारण्य से रेत का अवैध उत्खनन, परिवहन करने वालो का एक मजबूत गठजोड विकषित हो चुका है। इनका मजबूत सूचना तंत्र होने के कारण इनके विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए जब भी कोई दल मौके पर पहुॅचता है तो प्रायः इन्हें सूचना प्राप्त हो जाती है एवं अधिकॉष वाहनों में हाईडोलिक सिस्टम होने से तत्काल रेत अनलोड करके अन्यत्र भाग जाते हैं। इस कारण इनके विरूद्ध प्रभावी नियंत्रण किया जाना संभव नहीं हो पा रहा। इसके साथ ही रेत के अवैध परिवहन में संलग्न वाहनों में अत्याधिक ओव्हर लोडिंग होने के कारण प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत निर्मित ग्रामीण सड़कों में भी लगातार क्षतिग्रस्त हो रही हैं। अस्तु तत्काल यदि कोई प्रतिबन्धात्मक कार्यवाही नहीं की जाती तो सोन घडियाल क्षेत्र के परिस्थितितंत्र को गंभीर क्षति होने का आसन्न संकट विद्यमान है तथा अवैध रेत खनन से शासकीय सम्पदा का भारी नुकसान हो रहा है। जिला मजिस्ट्रेट श्री दुबे ने कहा कि सोन घडियाल सेन्चुरी होने से घडियालों का भी जीवन संकटमय हो गया है यदि रेत के परिवहन पर रोक नहीं लगाई जाती तो भविष्य में घडियाल,मगर,कछुआ की प्रजाति विलुप्त होने की संभावना परिलक्षित हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रायः देखने में यह आया है कि रेत माफियाओं द्वारा रात्रि में ही रेत का अवैध परिवहन करते हैं जिस कारण दुर्घटना,लोक शॉति भंग होने की संभावना बनी रहती है। शासन की संपत्ति का अवैध रूप से दोहन पर प्रतिबन्ध लगाने एवं दुर्घटना तथा लोकषॉति भंग होने की संभावना व सुरक्षा की दृष्टिकोण से प्रतिबन्धात्मक कार्यवाही की गई है। उक्त परिस्थितियों के निवारणार्थ एवं उपचारार्थ धारा 144 दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के अन्तर्गत निषेधात्मक आदेष प्रसारित किया गया है। जिला मजिस्ट्रेट दुबे ने बताया कि सोन घडियाल अभ्यारण्य सीमा से ईकोसेनसीटीवी जोन की अधिसूचित सीमा से एक किलोमीटर की परिधि में 80 ग्राम आते हैं। ये हैं- धोवोही,मड़रिया,बघोर,भितरी,डिठौरा,घुंघटा,षिकारगंज,झाला,बैरिया,कुनझुनकला,कुनझुन खुर्द,नकझरकला,नकझरखुर्द,केकराई,सजहा,खैरी,चमराडोल,परसिली,नौढि़या,घोघी,गडहरा,भोलगढ़, चन्दरेह,गुजरेड,खुटेली,लौआर नानकर,लौआर पैपखार,कंजरदह,केसौली,झगरी,कनकटी,खैरा, चौहानी सीधी,राजघाट,कोलदहा,कठौतहा,बरिगवां,भेलकीकला,रेहडा,राजवाड,भेलकीखुर्द, कुर्रवाह, कोतरखुर्द,अकौरी,डेम्हा,देवघटा,मोहनिया,तरिहा,डावा,टिमसी,खड़बड़ा,उमरिया,चुरहट,ढेकू,बरबसा, सथिहा,चुलवार,तितली,सेडहा विरान,दुर्वा वीरान,परसौनकला,चमरौहा,रामनगरखुर्द,पिपरोहर, सोन तीन पटेहरा,खेतौही,बहेरा,डमगड़ी,कोठार,जोकहा,रामडीह एवं मरसरहा शामिल हैं।