अंतरराष्ट्रीय लोक उत्सव उज्जैन में बघेली साहित्य का प्रतिनिधित्व करेंगे डॉ. श्रीनिवास शुक्ल ‘सरस’ सीधी। प्रतिसंस्कृति प्रतिकल्पा संजा लोकोत्सव तथा विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के सौजन्य से 13-14 सितंबर 2025 को उज्जैन में आयोजित हो रहे अंतरराष्ट्रीय लोक उत्सव* में सीधी के प्रख्यात बघेली साहित्यकार एवं *सोमालोब साहित्यिक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. श्रीनिवास शुक्ल ‘सरस’ को आमंत्रित किया गया है। डॉ. शुक्ल इस प्रतिष्ठित आयोजन में “बघेली साहित्य एवं संस्कृति का सामर्थ्य” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे और बघेलखण्ड का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस अवसर पर ओस्लो (नॉर्वे), मॉरीशस, नेपाल, फिलीपींस, इंडोनेशिया, अमेरिका सहित भारत के विभिन्न प्रांतों के भाषा-बोली के मर्मज्ञ विद्वान शामिल होंगे। बघेली साहित्य की वैश्विक पहचान कार्यक्रम में बघेली साहित्य भी अपनी विशिष्ट पहचान दर्ज कराएगा। डॉ. शुक्ल ‘सरस’ लंबे समय से बघेली भाषा एवं लोक साहित्य के संवर्धन के लिए सक्रिय हैं। उनकी कई महत्वपूर्ण कृतियाँ राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें — “काव्यांग विवेचन एवं बघेली साहित्य” (मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी, भोपाल), “बघेली की दुर्लभ लोक कथाएं” (दक्षिण मध्य सांस्कृतिक केन्द्र, नागपुर, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार), “समग्र बघेली लोक साहित्य” (केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा), “बघेली साहित्य वाटिका” (मध्यप्रदेश पीएससी पाठ्यक्रम हेतु, ग्रंथ अकादमी भोपाल), बघेली-हिंदी शब्दकोश”(बोली विकास अकादमी, भोपाल) सहित बघेली गज़ल, कविताएँ और अन्य साहित्यिक कृतियाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। बघेली साहित्य की सेवा में निरंतर सक्रिय सोमालोब साहित्यिक मंच के माध्यम से डॉ. श्रीनिवास शुक्ल ‘सरस’ वर्षों से बघेली भाषा-साहित्य की सेवा कर रहे हैं। उनका कहना है कि बघेली केवल बोली नहीं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक विरासत है, जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाना समय की माँग है।