सुना फलाने .... ------------------ आज सुबह राहुल भैया के निज निवास शिवराजपुर कोठी में चुरहट विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मीटिंग थी। मैं भी पहुंचा था। जहां क्षेत्र के हजारों बड़े ,बुजुर्ग ,नौजवान मौजूद थे। वक्तागण अपने अपने हिसाब से विचार व्यक्त कर रहे थे। और मैं उस भीड़ में घूम घूम कर लोगों के चेहरे पढ़ रहा था। बुजुर्ग लोग सजल नेत्रों से एक टक राहुल भैया को निहार रहे थे। कुछेक चेहरों में अपराध बोध था। और कुछ चेहरे भाव सून्य थे। और कुछ चुनिंदा चेहरे ठसक के साथ अग्रिम पंक्ति में विराजमान थे। उस सभा में हमारे बहुत पुराने जमाने के साथी मिले। उनसे विचार विनिमय हुआ ।क्षेत्र की बहुत सारी कही- अनकही कथाएं सुनने को मिली। जिन्हें लिखना उचित और सामयिक नहीं है। परंतु उनकी पीड़ा सुनकर तकलीफ हुई। यह मुल्क बड़े अजीबोगरीब दौर से गुजर रहा है ।जिसमें सुविधा संपन्न और सामर्थ्यवान व्यक्ति को किसी असहाय का दुख और दर्द सुनने तक का समय नहीं है। लकालक सफेद कुर्ता हाथ में एक बीता का मोबाइल ।कलाई में बड़ी सी घड़ी। उंगलियों में सोने की 4-6 अंगूठिया।गले में भारी भरकम सोने की चैन। लंबी चौड़ी गाड़िया। इन पर सवार होकर फर्राटे भरने वाले लोग किसी गांव के होरी,धनियां घीसू, माधव का दुख दर्द क्या जाने। दाऊ साहब के अंत्येष्टि के बाद उनके प्रयागराज में अस्थि विसर्जन के काफिले में मै भी था। काफिला चाकघाट के आगे नारीबारी के आसपास से गुजरा। एक सुनसान जगह में सड़क के किनारे एक वृद्ध सरपट की पतली सी लकड़ी में छोटा सा कांग्रेस का झंडा लगाकर खड़ा था। उसके साथ दो बच्चे थे। जिनके हाथ में संभवतः गुलाब के दो फूल थे। काफिला गुजर गया। संभवतः किसी की नजर नही पड़ी। अकस्मात मैंने उन्हें देखकर गाड़ी रुकवा दी ।और उनके पास जाकर पूछा क्यों खड़े हो ।उनका जवाब सुनकर मैं हैरान रह गया ।उन्होंने कहा हुजूर हम लोगों के यह दो फूल यदि दाऊ साहब के अस्थि कलश में श्रद्धांजलि स्वरूप चढ़ा सके, तो हमारा जीवन सार्थक हो जाएगा। इसे कहते हैं प्रेम ,विश्वास, आस्था और समर्पण ।शब्द बहुत छोटे हैं, परंतु उनके अर्थ बहुत गहरे शायद इस भाव को आगे आने वाली पीढ़ी समझ सके ।यह मैं उनके ऊपर छोड़ता हूं। भविष्य उनका है रास्ता वेे खुद तय करें। हम लोग तो सिर्फ अपना अनुभव बता सकते हैं। लेखक ... शोमेश्वर सिंह " शोम "