सीधी(ईन्यूज एमपी)-पूरे देश मे जहां लोकसभा चुनाव की खुमारी छाई हुईं है वही सीधी जिले मे चुनाव का फितूर अभी अपने चरम पर नही पहुंचा है,राजनैतिक दलो ने मैदान पर तो अपने प्रचार के घोडे दौडा दिये है पर गहराई से देखा जाये तो ये अभी अपने कुनबे मे ही सामजस्य स्थापित नही कर पाये है,या यू कहें कि दोनो ही प्रमुख दल घरेलू हिंसा की जद मे है,अब देखना है कि आपसी मतभेदों को दर किनार कर इन दलो के द्वारा जनता के बीच क्या कुछ चुनावी गुणा गणित लगाया जाता है,जो सभी कलंको को दूर कर इनकी नैय्या पार लगा सके,क्यूंकि अगर वर्तमान परिस्थितियों मे जनता के सामने जो चेहरे है और ये बरकरार रहते है तो दोनो के लिए यह चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है,व इनके संम्मान व राजनीतिक जीवन का भाग्यविधाता है। जिले मे एक ओर जहां भाजपा ने अपने पुराने चेहरे पर दोबारा दाव लगाते हुये,प्रधानमंत्री के तत्कालीन उपलब्धियो व कार्यो के नाम पर लोगो से अपील की जा रही है तो वही कांग्रेस द्वारा अभी तक सार्वजनिक रूप से किसी के नाम की घोषणा तो नही की गई है पर संम्भावित कहे या तय माने जाने वाले प्रत्याशी को प्रचार मैदान मे उतार दिया गया है,अब देखने वाली बात यह है कि अगर दोनो उम्मीदवारों पर गौर करे तो विधानसभा चुनाव के पूर्व इन दोनो नामो की तुलना करना ठीक नही था क्यूंकि एक की कुल उम्र और दूसरे की राजनीतिक उम्र लगभग एक समान थी,एक ने राजनीति को बेहद करीब से देखा, सीखा व सिखाया है जबकि एक की पारी की यू कहे की शुरुआत ही है,लेकिन वर्तमान परिस्थितियों ने दोनो को एक ही दोराहे पर लाकर खडा कर दिया है, अब अगर चूंके तो आगे क्या होगा ये सभी जानते है, समय बलवान होता है और ये सत्य अब इन दोनो के पक्ष कहे या विपक्ष मे चरितार्थ हो रहा है,दोनो ही अपनो के सताये है और दोनो से अपने भी सताये गये है, लेकिन वर्तमान मे ये दोनो अपनो से साथ की आस लगाये है,अब देखना है कि अपने साथ चलते है या साथ रहकर भी चलते है कि सोच रखते हैं, खैर जो भी हो पर दोनो दल के दोनो प्रत्याशियों पर ये बात लागू होती है कि साथ चाहने के लिये पहले साथ देना जरूरी है,आपने जो पहले किया आपके साथ भी वही हो सकता है,बाकि यह राजनीति है कौन किसका है यह समझ पाना आसान नही है।