सीधी (ईन्यूज एमपी)- देवघाटा भोले नाथ का इतिहास आदिकाल से यह स्थान संभवतः उस ज्वालामुखी की तरह ही रहे होंगे जिसके आज भी पावन स्थान पर दर्शन होते हैं यद्यपि पृथ्वी मैं विद्यमान लिंग असंख्य हैं तथापि सोनभद्र श्वर महादेव उनमें से एक है। प्रातः काल उठकर स्मरण वचन करने से आवागमन के चक्र से मुक्ति मिल जाती है एवं पूजा से सभी वर्णों के लोगों की मनोकामना पूरी होती है। इन शुभंकर - शंकर ज्योतिर्मय शिव स्थानों के दर्शन इस प्रकार होते हैं सागर तट पर हिमालय और पर्वतों पर या नदी किनारे जो यह विद्यमान है । पृथ्वी के गर्भ से निरंतर उठ रही महान शिव लिंग यहां देवालय में साक्षात दर्शन होते हैं देवघटा निवासी बताते हैं कि हमारे कुल गुरु भुवनेश्वर प्रसाद पाठक जी महाराज पड़रिया जिला सीधी मध्य प्रदेश ने एक बार शिव लिंग को खुलवाने के लिए जब लगभग 5 फीट तक खुलवाया गया तो जलहरी मिली और निरंतर आगे खुद बाय गए तो फिर हर 5 फुट में जलहरी दोगुनी हो गई कुदवाई के समय अनेक तरह की मूर्ति पाई गई जिसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है इसी दौरान अनेक प्रकार के जीव जंतु सांप बिच्छू बरैया निकलने लगे जिसको देखकर खुदाई करने वाले भय के कारण भागने लगे बेहोश होने लगे यह जानकारी महाराज जी को मिली तब महाराज जी आकर क्षमा याचना किए तदोपरांत उनके घर जेठ की दुपहरी में गौशाला में आकाशी बिजली गिरी तथा महाराज जी को स्वप्न हुआ कि मैं जहां हूं वहीं रहूंगा। यह स्वयंभू शिवलिंग है इसकी कोई प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुआ है । यह बहुत प्राचीन मंदिर है अवशेष भी मिले हैं जिससे पता चलता है कि यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है इस मंदिर से निकला हुआ शिलालेख वर्तमान समय में महुआर नीलकंठ मंदिर में है। जो पुराना गायघाट कहा जाता था। मंदिर में पहुंचने के लिए जगह और घाट ना होने के कारण, सोन पुल के नीचे नहाने जाते हैं लोग जो कि पुराना घाट यही है । यहां 2 नदियों का संगम है जो कि बहुत ही पवित्र माना जाता है यहां ऐसी मान्यता है जो भी यहां सच्चे मन से आता है वह कभी खाली हाथ नहीं जाता है। फिर भी समस्या से क्षेत्र ग्रसित है यहां आने वाले श्रद्धालु शहरवासीयो को रोड सक्रिण होने के कारण बहुत समस्या होती है और घाट ना होने के कारण स्नान कराने में बहुत असुविधा होती है । तथा सोन नदी का जल चढ़ाने का महत्व है घाट के बनने से जल लेने में सुविधा होगी। घाट बन्ना अत्यंत आवश्यक है जन सहयोग से कुछ काम हुए हैं अगर यह कार्य पूर्ण हुआ तो सोन नदी का जल शिवलिंग में भक्तगण आसानी से अर्पित कर लेंगे। जबकि यहां मलमास श्रावण मास बसंत पंचमी महाशिवरात्रि को बहुत भव्य मेला लगता है जगह कम होने के कारण भक्तजनों को बहुत कठिनाइयां होती है। उक्त बातें ग्रामवासियों द्वारा बताई गई जहां होली मिलन कार्यक्रम आयोजित हुआ फाग महोत्सव मनाया गया इस दौरान कृष्ण बहादुर सिंह चौहान महेंद्र सिंह चौहान ओंकार सिंह बबलू सिंह अजय सिंह महात्मा राजेश्वर पुरी महात्मा पंछी महाराज आशीष सिंह देश बंधु सिंह संदीप सिंह आदर्श सिंह भंवर सिंह विष्णु बहादुर सिंह विवेक सिंह आदि उपस्थित रहे।