सीधी(ईन्यूज एमपी)-प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सीधी के न्यायालय द्वारा आर्थिक अपराध के मुख्य अभियुक्त सुधीर पांडेय तत्कालीन सचिव जनपद करोंदिया जनपद पंचायत रामपुर नैकिन की जमानत निरस्त की जाकर दिनांक 09.01.2019 को जेल भेजे जाने का आदेश पारित किया गया। प्रकरण के तथ्य इस प्रकार हैं कि अभियुक्त सुधीर पांडेय द्वारा 2013 के पूर्व पंचायत करोंदिया में सचिव पद पर रहते हुए अपनी पत्नि रेनू पांडेय के फर्जी नाम रेखा पांडेय के नाम से बैंक में खाता खुलवाया गया और रेखा पांडेय के नाम से पंचायत से संबंधित कार्यों एवं मनरेगा के कार्यों की राशि का भुगतान अवैध रूप से अपने परिवार के सदस्य/पत्नि कराया जाकर लगभग 60 लाख रूपये का गबन किया गया जिसमें सुधीर पांडेय की माता केमला पांडेय तत्कालीन सरपंच ग्राम पंचायत करोंदिया जनपद पंचायत रामपुर नैकिन और एक अन्य अभियुक्त सुनील पांडेय की भी संलिप्तता थी। म.प्र. पंचायत राज्य एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की धारा 40 में प्रावधान है कि जनपद पंचायत का कोई पदाधिकारी अपने पद का असम्यक प्रभाव डालकर अपने परिवार के किसी सदस्य व रिश्तेदार को अनुचित लाभ नहीं पहुंचायेगा, किसी पद पर नियुक्ति नहीं करेगा और न ही पंचायत के कार्यों का पट्टा प्रदान करेगा। इस प्रावधान के विपरीत अभियुक्त सुधीर पांडेय द्वारा अपनी पत्नि के छद्म नाम से पंचायत के कार्य करवाये गये और उनका भुगतान छद्म नाम से खोले गये खाते के माध्यम से कराया जाकर लगभग 60 लाख रूपये की शासकीय सम्पत्ति का गबन किया गया जिसके संबंध में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) रीवा द्वारा अपराध क्र. 43/14 पर अपराध पंजीबद्ध कर लगभग 04 वर्षों की विवेचना पश्चात दि. 09.01.19 को अभियोग पत्र प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सीधी के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया जिसमें अभियुक्त् की ओर से जमानत आवेदन प्रस्तुत किया गया जिसका प्रबल विरोध जिला अभियोजन अधिकारी सीधी श्री अतुल शर्मा द्वारा किया गया। श्री अतुल शर्मा द्वारा शासन का पक्ष रखते हुए जमानत के विरोध में तर्क रखा गया कि अभियुक्त् द्वारा किया गया अपराध आर्थिक अपराध की श्रेणी में होने से गंभीर प्रकृति का है जिसके भयावह परिणाम शासन एवं समाज पर परिलक्षित हुये हैं जिससे शासन एवं लोक को लगभग 60 लाख रूपये की हानि हुई है। इस प्रकार के अपराध को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और ऐसे प्रकरण में जमानत का लाभ दिया जाना उचित नहीं है। श्री अतुल शर्मा जिला अभियोजन अधिकारी सीधी के इस तर्क से सहमत होते हुए माननीय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा अभियुक्त की जमानत निरस्त की गई और जेल भेजे जाने का आदेश दिया गया। माननीय न्यायालय का उक्त आदेश आर्थिक अपराध में संलिप्त अपराधियों के मनोबल को हतोत्साहित करने के दृष्टिकोण से मील का पत्थर साबित होगा।