पथरौला/सीधी (ईन्यूज एमपी)- ग्रामीण अंचलो मे गर्भवती महिलाओं को सरकार द्वारा दी जाने वाली जननी एक्सप्रेस की सुबिधा अब महज कागजों तक ही सीमित रह गई है। नतीजन जननी को परिजनों द्वारा स्वयं की व्यवस्था से प्रसव केन्द्रों तक पहुंचाना और और प्रशव के बाद घर तक ले जाना मजबूरी सी बन गई है। लिहाजा क्षेत्र अन्तर्गत अधिकांश प्रशव घरों में ही कराये जाते हैं। वो बात अलग है कि कोरम पूर्ति के लिये स्वास्थ्य अमला सहित महिला वाल विकास विभाग द्वारा कागजी घोडा दौडाया जाता है और शासन स्तर से वाहवाही बटोरी जाती है। ऐसा ही कुछ हाल देखा जा रहा है जिले के आदिवासी जनपद पंचायत कुशमी अन्तर्गत आने वाले ग्रामों मे। विगत दिवश मंगलवार को टीम को जनपद के धुप्पखड जंगल मे एक प्रसूता अपनी मां व एक बच्ची के साथ अपने दो दिन के फूल जैसे बच्चे को लेकर वाहन के इन्तजार मे बैठी थी। पूछने पर महिला ने बताया कि मेरा नाम संगीता पति जयभान सिंह उम्र 27 वर्ष ग्राम पंचायत ठाढीपाथर के साजाडोल की रहने वाली हूँ। बताया कि 20 अक्टूबर को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कुशमी मे सुबह भर्ती हुए थे और शाम चार बजे बच्चा पैदा हुआ था। बताया की मंगलवार को छुट्टी दे दी गई। वाहन सुबिधा मांगने पर बोला गया कि शाम तक बैठना पडेगा। इसलिए आटो मे बैठकर चले आये। यहां पर वाहन के इन्तजार मे बैठे हैं। हलांकि टीम द्वारा प्रसूता महिला को घर तक सुरक्षित पहुंचाया गया।