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Home सीधी दर्पण समाज में बढ़ता नशे का नया रूप,जिम्मेदार बने मूक दर्शक....

समाज में बढ़ता नशे का नया रूप,जिम्मेदार बने मूक दर्शक....

सीधी (ईन्यूज एमपी)-जो दवा बीमारी से निजात दिलाने के लिए बनाई गई है। उसका उपयोग अब युवाओं द्वारा नशे के लिए किया जा रहा है। नशे के लिए अब पान, बीड़ी, सिगरेट और शराब के अलावा कम खर्च में नशीली दवा सीरप और इंजेक्शन का उपयोग अधिक हो रहा है।जिले के सार्वजानिक स्थानों पर गौर करे तो जगह जगह दवाओं की खाली बोतले व इंजेक्शन की की भरमार है, जिले का युवा लगातार मेडिकल नशे की गिरफ्त में धसता जा रहा है,लेकिन जिम्मेदार आंख में पट्टी बाधकर मूक दर्शक बने हुए है|

नशे के आदि युवाओ द्वारा कई बार अपराधिक गतिविधिओ को भी अंजाम दिया जाता रहा है, साथ ही नशे के आगोश में आने से युवा वर्ग की शारीरिक व मानसिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो रही है जिसके जिम्मेदार कही न कही प्रशासन व जिम्मेदार आलाअधिकारी है जो अपने कर्तव्यों से विमुख हो बैठे है |

मेडिकल स्टोर वाले अपने थोड़े से फायदे के लिए बिना डाक्टर की पर्ची देखे ही ये नशीली दवाएं अवैध रूप से बेंच रहे हैं। जबकि सरकार ने ऐसी दवाओं की खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है,लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते मेडिकल स्टोर संचालक धड़ल्ले से अपनी मनमर्जी कर रहे है| युवकों में दिन-ब-दिन नशे को लेकर झुकाव बढ़ता जा रहा है। शराब, सिगरेट, गांजा के साथ अब नशे के लिए युवा नए-नए तरीके भी इजाद कर रहे हैं। दर्द और एलर्जी से राहत दिलाने के लिए बनाई गई दवाइयों को उपयोग युवा वर्ग नशे के लिए करने लगा है।

पेंटविन इंजेक्शन, कोरेक्स सीरप और स्पाजमो प्राक्सीवान कैप्सूल का नशे के लिए उपयोग किया जा रहा है। नशे के ये सामान मेडिकल स्टोर में 2 रुपए से लेकर 15 रुपए में आसानी से मिल जाते हैं। स्पाजमो प्राक्सीवान कैप्सूल पेट दर्द से राहत की दवा है। इसकी कीमत 2 रुपए है। युवा एक साथ चार से पांच कैप्सूल खाकर इसका उपयोग नशे के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा पेंटविन इंजेक्शन लगाकर भी युवा वर्ग नशा कर रहा है। दो रुपए के इंजेक्शन को दस रुपए में बिक्री कर मेडिकल स्टोर के संचालक चांदी काट रहे हैं।

नशे के लिए युवा स्पाजमो प्राक्सीवान, एंटी एलर्जिक टेबलेट एविल, नारफिन एंपुल, नाइट्रोसीन टेबलेट, आयोडेक्स व कोरेक्स सीरप का भी उपयोग कर रहे हैं। इनमें से कई दवाओं को तो प्रतिबंधित कर दिया गया है। फिर भी ये मेडिकल स्टोर्स में मिल जाते हैं।

अब देखने वाली बात है की समाज में बढ़ते नशे के इस नये रूप पर प्रशासन अंकुश लगा पता है की नही |

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