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EXCLUSIVE: एक नजर चुरहट के इतिहास की ओर , भाजपा के लिये चुनौती है चुरहट सीट.....

सीधी (सचीन्द्र मिश्र )प्रदेशभर में होने वाले विधासभा चुनावो की तारीखों का कभी भी ऐलान हो सकता है, आने वाले चुनावों को लेकर चुनाव आयोग ने तैयारी पूरी कर ली है । इस दौरान अपने स्पेशल रिपोर्ट के तहत हम जिले के चुनावी इतिहासों से आपको रूबरू करा रहे है, और जिले के दिग्गजों ने कैसी की राजनीतिक पारी शुरू इस बारे में भी बताने की कोशिश लगातार कर रहे हैं| इसी कड़ी में हमने इससे पहले आपको मझौली एवं गोपदबनास विधानसभा के बारे में जानकारी दी थी, आज हम आपको ले चलेंगे चुरहट विधानसभा|
जैसा की हमने पहले ही आपको बताया था की मझौली विधानसभा का अंत कैसे हुआ और जिले के नये विधानसभा के रूप में चुरहट का उदय हुआ| 1967 में चुरहट विधानसभा का पहला चुनाव लड़ा गया, जिसमें चुरहट के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह को हार का सामना करना पड़ा था| उन्हें किसने हराया और कौन बना चुरहट का पहला विधायक...


आपको आज बताएँगे|

मझौली के पहले २ चुनावों में विजयी रहे स्वर्गीय अर्जुन सिंह को चुरहट विधानसभा के पहले ही चुनाव में तगड़ा झटका लगा और वे 1967 में हुए चुरहट के पहले विधानसभा चुनावों में चंद्रप्रताप तिवारी के सामने हार गए| इस चुनाव में 25130 वोटों के साथ चंद्रप्रताप तिवारी चुरहट के पहले विधायक चुने गए| जबकी उनके नजदीकी उम्मीदवार अर्जुन सिंह 22594 मत ही पा सके ।

इसके बाद 1972 में विधानसभा चुनाव हुआ जिसमें एक बार फिर चंद्र्पताप तिवारी विधायक बने, श्री तिवारी को 21854 जबकि विरोधी रहे श्यामलाल को महज 15964 मत ही मिले । उन्होंने इस बार श्यामलाल को शिकस्त दी थी| इस चुनाव में अर्जुन सिंह चुरहट नहीं बल्कि सीधी विधानसभा से मैदान में रहे एवं जीत का परचम लहराया, इस चुनाव में अर्जुन सिंह ने देवेन्द्र प्रताप को शिकस्त दी|

अगर बात करें 1977 चुनावों की तो एक बार फिर चुरहट के मैदान से अर्जुन सिंह सामने आये, उन्होंने इस चुनाव में जगत बहादुर सिंह को शिकस्त देते हुए पहली बार चुरहट के विधायक बने| अर्जुन सिंह ने इस चुनाव में कुल 20346 मत पाकर विजयी बने जबकी उनके विरोधी रहे जगत बहादुर सिंह ने महज 12354 मत ही पा सके ।

अब बात करते हैं 1980 के विधानसभा चुनावों की जिसमें अर्जुन सिंह की लोकप्रियता की आंधी में कोई टिक नहीं पाया| जिस चुरहट विधानसभा के पहले चुनावों में चंद्रप्रताप तिवारी ने अर्जुन सिंह को शिकस्त दी थी वे खुद 1980 के चुनावों में बुरी तरह हार गए| इस चुनावों में अर्जुन सिंह ने 32999 मत पाकर विजयी घोषित किये गए वहीँ विरोधियों में सबसे अधिक चंद्रप्रताप तिवारी 8786 वोट ही पा सके|इसके बाद 1985 के चुनावों में भी अर्जुन सिंह की आंधी बरक़रार रही| उन्होंने इस चुनाव में भाजपा के रविनंदन सिंह को कड़ी शिकस्त दी|

लगातार अर्जुन सिंह की बढ़ती लोकप्रियता के बीच 1990 में भाजपा ने गोविन्द मिश्रा को टिकट दिया जो अर्जुन सिंह के सामने तो टिक नहीं सके लेकिन एक बड़े चेहरे के रूप में उभरे| जहाँ इससे पहले तक अर्जुन सिंह के खिलाफ कोई भी प्रत्याशी उनको मिले वोटों से महज आधे वोट या उससे भी कम वोट पाते थे उन्ही के सामने गोविन्द मिश्रा 22470 बोट प्राप्त किये, जबकी अर्जुन सिंह 38545 वोटों के साथ विजयी घोषित हुए|

इसके बाद 1993 के चुनावों में भाजपा के गोविन्द प्रसाद मिश्रा विजयी हुए, उन्होंने इस चुनाव में चिंतामणि तिवारी को परास्त कर विधायकी अपने नाम की| इस चुनाव में गोविन्द मिश्र को 28054 जबकी उनके विपक्षी उम्मीदवार चिंतामणि तिवारी को 25627 बोट मिले|

इसके बाद 1998 के विधानसभा चुनावों में अर्जुन सिंह के सुपुत्र अजय सिंह चुरहट के मैदान में उतरे| उनके सामने भाजपा के गोविन्द मिश्रा रहे जो 1993 में चुनाव जीत कर आये थे| लेकिन इस चुनाव के मैदान में रहे अजय सिंह ने गोविन्द मिश्रा को परास्त कर दिया| अजय सिंह इस जीत के साथ पहली बार विधायक बने| इस चुनाव में अजय सिंह को 51677 जबकी भाजपा के गोविन्द मिश्रा को 33334 वोट मिले थे|

2003 के चुनावों में एक बार फिर अजय सिंह राहुल व गोविन्द मिश्रा आमने सामने आये, लेकिन पिछली बार की तरह ही इस चुनाव में गोविन्द मिश्रा जीत तो नहीं सके लेकिन इस बार करीब तक गए| इस चुनाव में अजय सिंह ने 56271 मतों के साथ विधायक बने थे जबकि गोविन्द मिश्रा महज 42353 वोट ही पा सके|

2008 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर कांग्रेस से अजय सिंह मैदान में रहे, लेकिन भाजपा ने अपना चेहरा बदलते हुए वर्तमान राज्यसभा सांसद अजय प्रताप को मैदान में उतारा| इस चुनाव में दो अजय आमने सामने हुए जिसमें लेकिन कांग्रेस के अजय सिंह के सामने भाजपा के अजय विजय नहीं प्राप्त कर सके| इस बार हुए चुनावों में अजय सिंह राहुल ने 45237 वोटों के साथ जीत दर्ज की जबकी अजय प्रताप महज 34402 वोट ही पा सके|

पिछले 2013 के चुनावों में अजय सिंह एक बार फिर मैदान में थे, वे अबतक लगातार 3 बार चुरहट से विजयी घोषित हो चुके थे, उनके सामने बीजेपी के किसी भी उम्मीदवार ने चुनौती नहीं पेश की, वे बड़ी आसानी से अपने चुनाव जीतते जा रहे थे| इस चुनाव में भाजपा ने शरदेन्दु तिवारी को मैदान में उतारा लेकिन हर बार की तरह इस बार भी अजय के सामने शरदेन्दु नहीं टिक सके| इस बार के चुनावों में जहाँ अजय सिंह 71796 मतों के साथ विजयी हुए वहीँ शरदेन्दु 52440 वोट तक सिमट गये ।

इस तरह चुरहट विधानसभा के इतिहास के पन्नों को पल्टा जाये तो काफी रोचक व नाजुक रहा है , कांग्रेस के क्षत्रप के आगे अच्छे अच्छे धुरंधर नाकाम रहे हैं । इतिहास साक्षी है भाजपा से केबल दो ही चेहरे गोबिन्द मिश्र व अजय प्रताप सिंह ने डंट के मुकाबला किया है । और वर्तमान राजनैतिक वयार के आगे यही दो चेहरे हैं जो अजय सिंह राहुल को सिकस्त देने की क्षमता रखते हैं । सरकारी सर्वेक्षण , मीडिया सर्वेक्षण और भाजपा संगठन की सर्वे रिपोर्ट भी इन्ही चेहरों की ओर गोपनीय अभिमत प्रदाय की है ।

देखना दिलचस्प होगा कि चुरहट के इतिहास को भाजपा परास्त कर पाती है या नही ....?

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