पथरौला/सीधी(ईन्यूज एमपी)- सीधी जिले के मझौली खंड स्थित ग्राम ताला में संचालित कैलाश स्वर्ण वृद्ध आश्रम में न्यायपालिका विभाग से प्रियदर्शन शर्मा अपर जिला न्यायाधीश एवं सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण जिला सीधी ,सुनील कुमार जैन प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय सीधी, योगराज उपाध्याय अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सीधी, मुनेंद्र वर्मा न्यायिक मजिस्ट्रेट व्यवहार न्यायालय मझौली, अमित शर्मा जिला विधिक सेवा अधिकारी व अधिवक्ताओं ,पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता के साथ वृद्ध आश्रम में पहुंचकर समारोह पूर्वक वृद्ध दिवस का कार्यक्रम मनाया गया। जहां समारोह का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार राजकुमार तिवारी के द्वारा किया गया । वृद्धजनों के साथ संवाद करते हुए उन्हें विधिक जानकारी भी दी गई ।वहीं समाज को यह संदेश देने का भी प्रयास किया गया कि माता पिता देव तुल्य होते हैं। जिनका सतत सम्मान और संरक्षण संतान का कर्तव्य और दायित्व भी होता है।ताकि आने वाली पीढ़ी भी उनका अनुसरण करे। क्योंकि एक दिन हर इंसान को वृद्ध होना पड़ेगा। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।वही वृद्ध आश्रम समिति के अध्यक्ष शिवामणि तिवारी ,उपाध्यक्ष राम सिया बैस एवं सचिव हरगोविंद बैस के द्वारा अतिथियों को पुष्प भेंट कर स्वागत किया गया। वहीं जिला विधिक सेवा अधिकारी द्वारा कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कई ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि समाज को वृद्धों के प्रति सकारात्मक सोच पैदा हो और समाज में उनका मान सम्मान और संरक्षण सुचारू रूप से होता रहे। वहीं न्याय न मिलने पर या देर से न्याय मिलने पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण हर जिले में गठित है ।इतना ही नहीं जहां भी व्यवहार न्यायालय संचालित हैं वहां भी विधिक सेवा प्राधिकरण गठित है।वहां से भी ऐसे लोगों को विधिक सहायता दी जाती है। जहाँ पीड़ित या प्रभावित व्यक्ति अपनी बात रख सकता है। और वहां से उसे निशुल्क न्याय पाने के लिए सहयोग किया जाता है।अगर कोई व्यक्ति किसी योजना का लाभ लेने के लिए पात्रता रखता है। और उसे लाभ नहीं दिया जाता है।ऐसे व्यक्ति भी जिला विधिक प्राधिकरण से सहयोग प्राप्त कर सकते हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में आए योगराज शर्मा द्वारा बताया गया कि विश्व का सृजन व कल्याण माताओं के द्वारा होता है। एवं संस्कृत में एक श्लोक भी कहा गया।जिस का भावार्थ बताया गया कि माता ,पिता ,गुरु,व श्रेष्ठ जन का नित्य सेवा अभिवादन करना चाहिए। जिससे आयु ,यश, विद्या व मानसिक नैतिकता में वृद्धि होती है।भरण पोषण से संबंधित कानून है।लेकिन सोच यह होना चाहिए कि किसी भी माता-पिता को अपने संतान से भरण पोषण के लिए परिवाद ना दायर करना पड़े ।उनका सेवा करें। वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रियदर्शन शर्मा द्वारा कहा गया कि विश्व वृद्ध दिवस के उपलक्ष्य में हम लोग आश्रम वासी वृद्ध जनों से आशीर्वाद लेने आए हैं ।2001 से यह दिवस अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है। वृद्धों का सम्मान करके स्वयं को सम्मानित होना ही हम लोगों का उद्देश्य है।वृद्धजनों को एक दिन के बजाय पूरे वर्ष भर मान सम्मान से रखना चाहिए।और उनकी देख रेख मन से करना चाहिए। कानूनी समस्या होने पर लीगल एड ऑफिस आ सकते हैं। हर कोर्ट में विधिक सहायता व सुझाव देने का प्रावधान है। वहीं इसके पूर्व वक्ताओं में समारोह में शरीक हुए मझौली न्यायालय से अधिवक्ता अखिलेश जायसवाल द्वारा कहा गया कि हम संतानों की जिम्मेवारी है कि माता पिता का समुचित व्यवस्था करें ताकि ऐसे आश्रम की आवश्यकता ही न पड़े।वहीं अधिवक्ता वीरेंद्र सिंह द्वारा कहा गया कि कानून में व्यवस्था है कि भरण पोषण के लिए माता पिता दावा कर सकते हैं। लेकिन अभी समाज में ऐसा कम ही देखने को मिलता हैें।अधिवक्ता उमेंद्र तिवारी द्वारा कहा गया कि भारतीय संस्कृत में वृद्धों का बहुत महत्व है। संतान के लिए व साक्षात ईश्वर हैं।वरिष्ठ अधिवक्ता व मझौली तहसील इकाई के अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष सतीश तिवारी द्वारा कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वृद्धों के लिए कार्यक्रम आयोजित हो रहा है।जिसमें न्यायाधीश महोदयान अधिक जानकारी देंगे। लेकिन ताला में जो आश्रम खुला है ।यह समय की जरूरत है और ऐसा आश्रम निराश्रित वृद्धों के विकल्प हो जाता है ।जनपद पंचायत मझौली के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एम एल प्रजापति ने कहा कि समाज में सोच होना चाहिए कि एक दिन में हर लोगों को बृद्ध होना पड़ेगा।तो इनका संरक्षण और सम्मान निरंतर बना रहना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी भी हमारा संरक्षण और सम्मान करे। शिक्षक देवशरण पनिका द्वारा भी कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए वृद्ध जनों को देव तुल्य बताया गया।वहीं समारोह में वृद्ध आश्रम के संचालक शवामणि तिवारी द्वारा वृद्ध आश्रम के संबंध में विस्तार से बताते हुए कहा गया कि बड़े बड़े शहरों में ऐसी आश्रम का संचालन होता है जिसे देख कर उनके मन में कल्पना हुई कि क्यों ना ग्रामीण स्तर में भी ऐसे आश्रम संचालित कर निराश्रित बृद्ध जनों को एक विकल्प दिया जाए ताकि उनका जीवन और व्यवस्थित ढंग से चलता रहे।वहीं यह भी बताया गया कि 11 जुलाई 2018 को आश्रम का संचालन शुरू हुआ है। तब से अब तक में शासन स्तर से या की निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से अभी तक किसी प्रकार का आर्थिक सहयोग नहीं मिला है।कार्यक्रम में शामिल हुए सभी अतिथियों व आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया गया।