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Home सीधी दर्पण प्रधानमंत्री सड़कों कें उड़े पड़खच्चे... मामला कुशमी क्षेत्र का

प्रधानमंत्री सड़कों कें उड़े पड़खच्चे... मामला कुशमी क्षेत्र का

पथरौला/सीधी (ईन्यूज यमपी):-जिले अन्तर्गत आदिवासी जनपद पंचायत के दूरस्थ ग्राम पंचायतों मे सरकार की अतिमह्तवाकांक्षी प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक योजना अन्तर्गत बनाई गई करोडों की सडकों सहित पुल, पुलिया निर्माण मे की गई कमीशनखोरी की परते महज दो तीन सालो मे ही टूटने लगती हैं। और टूटती भी इस कदर हैं की कोई इन परतों बीच फसें तो जान भी बचाना मुश्किल होगा। जबकि इन सडको को बनाने मे सरकार के खजाने से करोडों रूपये निकल जाते हैं किन्तु कमीशन की बाजीगरी मे महज दो तीन सालों में ही सडकों के परखच्चे उडने लगते हैं। जबकि सडक निर्माण के पाचं बर्षो तक संविदाकार की रखरखाव की जिम्मेदारी होती है। और उसके लिये संबंधित निर्माण एजेंसी को अलग से बजट भी मुहैया कराया जाता है। परन्तु एक बार किसी तरह संविदाकार द्वारा सडक का निर्माण करा दिया गया तो फिर रखरखाव तो दूर उधर झांकने तक की फुरसत नहीं होती है। और इसमे सबसे अहम भूमिका होती है विभागीय अधिकारियों की जिन्हें निर्माण एजेंसियों द्वारा पहले ही खुश कर दिया जाता है। फिर मनमानी निर्माण कार्य शुरू किया जाता है। और उसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है। ऐसा कुछ हाल सामने आया है कुशमी जनपद अन्तर्गत ग्राम पंचायत ददरी के नागपोखर से पिपरहा तक बनाई गई प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक व पुलिया का जिसमें छबरीकंडिया गांव मे बनी पुल टूट गई है और बीच सडक गड्ढा हो गया है। जिसमें खतरे का डर ग्रामीणों को हमेशा बना रहता है। जबकि दो चार यात्री बसों के अलावा भारी वाहनों की आवाजाही भी नहीं रहती है। फिर भी दो साल मे पुल टूट जाने से गुणवत्ता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

बताते चलें कि ग्रामीण विकाश विभाग म.प्र.शासन ग्रामीण विकाश मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित परियोजना के तहत नागपोखर से पिपरहा रोड जिसकी कुल लम्बाई 5.5 कि.मी. जिसमे वीटी सडक 5.1 तथा कंक्रीट 0.40 किमी.तथा आठ नग पुलिया की स्वीकृति रोड पै.क्र.41-1-183 जिसकी लागत रूपये 286.99 लाख मिली थी। जिसका निर्माण कार्य संविदाकार मेसर्स कमदगिरि कान्सट्रक्शन प्रभात बिहार कलोनी सतना तथा कंसलटेंट मेसर्स ग्लोबल इ.प्रा.शलूशन भोपाल द्वारा कराया गया था। निर्माण एजेंसी द्वारा 28/02/2013 कार्य प्रारंभ किया गया था तथा 28/07/2016 को कार्य पूर्ण कर दिया गया था। किन्तु इन दो सालो मे ही सडक और पुलिया के गुणवत्ता की पोल खुलने लगी। इतना ही नहीं संविदाकार की पांच बर्ष तक सडक के संधारण की जिम्मेदारी भी है जिसके लिये सरकार द्वारा 8.57 लाख रूपये का बजट भी दिया जाना है किन्तु बीते दो सालो मे कोई सडक को झांकने तक नहीं गया। हलांकि ये पहली सडक नहीं है। इस क्षेत्र अन्तर्गत अधिकांश प्रधानमंत्री सडकों का यही हाल है। जबकि ग्रामीण अंचल मे भारी वाहन भी प्रवेश नहीं करते हैं। और संविदाकारों पर महेरबानी दिखाते हुए फिर प्रशासन मौन है।

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