enewsmp.com
Home सीधी दर्पण सीधी: बच्चे हमारे सबसे मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन है - जिला न्यायाधीश

सीधी: बच्चे हमारे सबसे मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन है - जिला न्यायाधीश

सीधी(ईन्यूज़ एमपी)- उच्चतम न्यायालय के निर्देषानुसार किषोर कल्याण अधिनिम, 2015 एवं लैगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 के प्रावधानो से बाल हितो से संबंधित प्रषासनिक अधिकारियो, पुलिस अधिकारियो, अधिवक्ताओ एवं पैरालीगल वालेटियर्स को जागरूक करने के लिये जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सीधी तथा कार्यालय महिला एवं बाल विकास सीधी के संयुक्त तत्वाधान मे जिला न्यायालय परिसर के वैकल्पिक विवाद समाधान केन्द्र मे प्रषिक्षण सह कार्यषाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला एवं सत्र न्यायाधीष प्रभात कुमार मिश्रा द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।

जिला न्यायाधीष श्री मिश्रा ने कहा कि भारत की जनसंख्या का लगभग 46 प्रतिषत बच्चे हे तथा नाजुक उम्र और जीवन के फेरो से अनुभव हीन होने के कारण बच्चे सर्वाधिक अपराध की चपेठ मे आने वाले समूह है। श्री मिश्रा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देषानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बच्चो के लिये बाल सुलह विधिक सेवाएं और उनका संरक्षण योजना प्रारंभ की गई है, जिसका उद्वेष्य बच्चो के पक्ष मे मौजूद कानूनो और नीतियो के उचित क्रियान्वयन को सुसाध्य बनाना आौर कानूनो के साथ विवाद की स्थिति मे आने वाले और देखभाल एवं संरक्षण की जरूरत वाले बच्चो के प्रभावी विधिक सहायता सुनिष्चित करना है। श्री मिश्रा ने देष मे नाबालिक तथा छोटे बच्चो के साथ जघन्य लैगिक अपराध किये जाने के समाचारो पर चिन्ता व्यक्त करते हुये कहा कि बच्चो को, उनके माता पिता एवं अभिभावको को पाक्सो अधिनियम 2012 की जानकारी होना अति आवष्यक है।

इसी के साथ श्री मिश्रा ने उपस्थित समस्त अधिकारियो एवं अषासकीय सदस्यो के बच्चो को गुड टच एवं बैड टच की जानकारी देने हेतु निर्देषित किया। श्री मिश्रा ने कहा कि बच्चो के लिये सुरक्षित समाज की संकल्पना हमारे घर से ही प्रारंभ होती है क्याकि बच्चो के विरूद्व अधिकतर अपराधो की शुरूआत घर संबंधित किसी रिष्तेदार द्वारा की जाती है श्री मिश्रा ने कहा कि न्यायालय, पुलिस, अन्य प्रषासनिक अधिकारीगण सभी स्थानो पर उपस्थित नही हो सकते है अतः देष के प्रत्येक नागरिक को महिलाओ एवं बच्चो के प्रति अपने मौलिक कर्तव्यो को समझते हुये महिलाओ एवं बच्चो की रक्षा करनी चाहिये। श्री मिश्रा ने बताया कि यद्पि लैगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम को 14 नबंम्बर 2012 से लागू किया गया है किन्तु देष को महिलाओ एवं बच्चो हेतु सुरक्षित स्थान बनाने के लिये सामाजिक जागरूकता एवं चेतना की आवष्यकता है।

कार्यषाला मे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अपर जिला न्यायाधीष प्रियदर्षन शर्मा ने पाक्सो अधिनियम 2012 के संबंध मे जानकारी देते हुये बताया कि बालको का लैगिक उत्पीडन से संरक्षण करने एवं ऐसे अपराधो के विचारण हेतु विषेष न्यायालयो की स्थापना करने के लिये अधिनियम बनाया गया है। श्री शर्मा ने कहा कि जिस घर मे नारी का सम्मान होता है उस घर मे देवता निवास करते है, किन्तु वर्तमान परिस्थितियो मे नारी अथवा छोटे बालक बाहर के साथ-साथ अपने घर मे असुरक्षित महसूस करते है। श्री शर्मा ने बताया कि पाक्सो अधिनियम के अन्तर्गत बालक से कोई भी ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत होता है जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम हो एवं इस अधिनियम के अन्तर्गत साक्ष्य का भार आरोपी पर होता है अर्थात आरोपी को यह सिद्व करना होता है कि उसके द्वारा इस प्रकार का अपराध नही किया गया है। श्री शर्मा ने जानकारी देते हुये बताया कि इस अधिनियम के अन्तर्गत किसी भी अपराध का दुष्प्रेरण भी दंडनीय है। श्री शर्मा ने कहा कि जिला विधि सेवा प्राधिकरण द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से जिले भर मे लैगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम की जागरूकता हेतु कार्यक्रम चलाऐ जावेगें।

कार्यषाला के अन्तर्गत किषोर न्याय बोर्ड के न्यायाधीष षिवचरण पटेल द्वारा किषोर न्याय अधिनियम एवं किषोर न्याय बोर्ड की प्रक्रिया तथा विषेष किषोर इकाई एंव बाल कल्याण पुलिस अधिकारी की भूमिका के संबंध मे जानकारी प्रदान की गई जबकि महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी प्रवेष मिश्रा द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा बालको हेतु संचालित विभिन्न शासकीय योजनाओ की जानकारी प्रदान की गई। विधिक सहायता अधिकारी अमित शर्मा द्वारा म.प्र. अपराध पीडित प्रतिकर योजना एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की जानकारी तथा अनुराग पाण्डेय द्वारा बाल कल्याण समिति के अधिकार एवं दायित्य के संबंध मे जानकारी प्रदान की गई।
उक्त प्रषिक्षण सह कार्यषाला मे बाल कल्याण पुलिस अधिकारी, महिला एवं बाल विकास के अधिकारी, अधिवक्तागण, एवं पैरालीगल वालेटियर्स उपस्थित रहे।

Share:

Leave a Comment