पथरौला/सीधी (ईन्यूज एमपी):--पडोसी राज्य छत्तीसगढ़ से की सीमा पार कर मध्यप्रदेश के आदिवासी अचंल कुशमी मे आये हाथियों के झुण्ड का क्षेत्र अन्तर्गत आठवीं रात और ग्राम पंचायत पोडी मे दूसरी रात भी ग्रामीणों को उग्र ताण्डव देखने को मिला जिससे पोडी सहित आसपास के कई ग्रामों के ग्रामीण आदिवासी काफी दहशत में हैंं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रात आठ बजे तकरीबन चार सैकडा लोग पिछली रात बब्लू यादव के घर मे किये गये हमले को देखते हुए उसके घर से दौ सौ मीटर की दूरी पर बीटगार्ड विजय पनिका का विभाग द्वारा दिया गया लेजर लाइट लगाने मे सहयोग कर रहे थे जिससे हाथियों को हल्का बैटरी के करेंट का झटका लगेगा तो गांव के अन्दर हाथी प्रवेश नहीं करेंगे। बताया गया कि हाथियों का झुण्ड रात्रि नौ बजे आता हुआ सुनाई दिया। हाथियों की आहट सुनकर सभी ग्रामीण सन्न रह गये। और हाथियों का झुण्ड पुनः एक बार बब्लू यादव के घर को निशाना बनाते हुए शेष बचे हुए घर को जहाँ ध्वस्त कर दिया वहीं जिस किबाड को पहली रात लात मारकर तोडा था उसे उखाड कर किनारे रखते हुए खिडकियों को भी तोडकर बच्चे को अन्दर घुसेड कर बचा हुआ खाद्यान्न भी निकलवा कर खा गये। तथा घर की सारी चारपाई तोड दिये। ग्रामीणों ने बताया चार हाथी बब्लू यादव के घर भोजन कर रहे थे और झुण्ड के मुखिया नर हाथी ने वन विभाग द्वारा लगाई गई लेजर लाइट घेरा की पाइप को पैरो से गिराते हुए सुखराजुआ पति स्व.दलबीर सिंह भूतपूर्व सरपंच पोडी मनडोलिया टोला के घर की और बढा जिस पर गांव के लोग हल्ला गुहार मचाया तो हाथी गुस्से में आया और बीटगार्ड विजय पनिका को निशाना बनाते हुए दहाड मारकर खदेड़ लिया। हाथी के गुस्से को देखते हुये सभी ग्रामीण भाग दिये और हाथी बीटगार्ड को दौडा लिया किन्तु जूडो कराटे प्रशिक्षित बीटगार्ड भागते हुए छंलाग लगाया और गुलाटी मारते हुए गड्डे मे जा गिरा और खदेडते हुए हाथी के पैर दो बार फिसले जिस कारण हाथी का संतुलन बिगड गया और बीटगार्ड की जान बची। प्रत्क्षदर्शियों ने माना की बीटगार्ड विजय के आलावा कोई अन्य व्यक्ति होता तो नहीं बच पाता। ग्रामीणो ने बताया की अपने इरादे मे सफल नही होने से और गुस्से मे आया हाथी और पास खडी बीटगार्ड विजय की वाइक को सूंढ मे फंसाकर दूर फेक दिया तथा सरपंच पति ददुआ बैगा व बीटगार्ड गिजोहर की वाइक को पैरों से कुचल कर छतिग्रस्त कर दिया। इसी बीच नर हाथी अपनी सहायता के लिए आवाज लगाया तो एक मादा हाथी भी दहाडते हुए आ गई और दोनों ने मिलकर सुखराजुआ पति दलबीर सिंह के घर को चारो तरफ से घूमकर ढहाया जहाँ दीबालो मे हाथी के दांत स्पष्ट नजर आते हैं। इस बीच एक मादा हाथी बब्लू यादव के घर मे दोनों बच्चों की सुरक्षा तथा पहली रात्रि का बचा हुआ माल खपा रहे थे। पीडिता महिला ने बताया की घर मे रखा तकरीबन तीन क्विंटल कोदौ, चार क्विंटल धान, पांच क्विंटल गेहूँ, पचास किलो चना, तीस किलो दाल सहित केला, उडद, मूंग व मक्का की खडी फसलों को रौंद दिये हैं। बताया गया की सुबह तकरीबन तीन बजे हाथियों के झुण्ड ने बची हुई बोरियां उठाई और फिर वही संजय टाईगर रिजर्व के जंगलो मे समाहित हो गये। सुबह होते ही मौके पर मडवास वन परिक्षेत्र अधिकारी जे.सी उइके, रमाकांत तिवारी, पोडी चौकी प्रभारी पुष्पेन्द्र सिंह,बीटगार्ड राजबहोर पटेल, संदीप सोनी, विजय पनिका, हल्का पटवारी राजीव सिंह मौके पर पहुंच कर पंचनामा आदि बनाते हुए क्षति पूर्ति का आंकलन किया। सबसे बडा सवाल:-ग्रामीणों का कहना है कि जंगली हाथियों का ये झुण्ड बारह दिन पूर्व चार अगस्त को छत्तीसगढ़ की सीमा पार कर तकरीबन दस बजे दिन कुशमी अंचल के ग्राम पंचायत कुन्दौर मे ग्रामीणो सहित विभागीय अमले द्वारा देखा गया था। इतना ही नहीं चार पांच अगस्त की ही दरम्यानी रात से हाथियों ने कुन्दौर मे ताण्डव मचाना शुरू किया तो जहाँ चार राते ग्रामीणो की नींद हराम कर दिये। वहीं दर्जन भर ग्रामीण आदिवासियों का आशियाना उजाडते हुए घर मे रखा अनाज खाकर उन्हें भिखारी बना दिये। तब ग्रामीणों ने एकजुट होकर हाथियों के झुण्ड को बाजा गाजा, पटाखा और शोर शराबा करते हुए खदेडा तो एक रात हाथियों ने डोमारपाठ के जंगलों मे बिताया और फिर उतर आये पोडी मे यहां भी वहीं ताण्डव शुरू है। किन्तु विभागीय अमले द्वारा जानमाल की रक्षा की दृष्टि से कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया है। मैदानी अमला जाकर पंचनामा बनाते हैं। और अधिकारी जाते हैं तो तमासबीन बनकर। किन्तु हाथियों को सीमा पार खदेडने का प्रयास नहीं किया गया। ना ही रेस्कयू टीम आदि बुलाई गई। तो क्या प्रशासन को किसी की जान जाने का इन्तजार है। जबकि हाथियों का झुण्ड गांव की ओर ही बढ रहा है। और आये दिन ग्रामीणों का नुकशान हो रहा जिसकी छतिपूर्ति भगवान जाने कब मिलेगी। लेकिन अभी तो रोटी के लाले ही पडे हैं। ग्रामीणों द्वारा जिला प्रशासन से हाथियों के क्षुण्ड को प्रदेश की सीमा से बाहर खदेडवाने की गुहार लगाई है। जिससे ग्रामीणों के जानमाल की सुरक्षा हो सके।