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संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र में भू-माफिया सक्रिय, संचालक ने नामांतरण पर रोक लगाने लिखा पत्र.....

सीधी (ईन्यूज़ एमपी)- रीवा-सीधी-सिंगरौली नवीन रेल लाईन की तर्ज पर संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र से विस्थापित होने वाले गांवों में भी भूमियों की रजिस्ट्री के माध्यम 5 डिसमिल से लेकर 1 एकड़ तक नामांतरण कर शासन से भारी भरकम मुआवजा लेने का षड्यंत्र किया जा रहा है। मझौली एवं कुसमी तहसील का राजस्व अमला इस घालमेल से वाकिफ होने के बाद भी धड़ाधड़ नामांतरण एवं पट्टा प्रदान किये जा रहा है। यह सब खेल विस्थापन पैकेज के 10 लाख रुपये के लिये किया जा रहा है। रिजर्व क्षेत्र के ग्राम चिनगवाह, बिटखुरी, डेवा, देवमठ एवं खरबर गांवों में बड़ी संख्या में भूमियों के हस्तांतरण की सूचना पर संजय टाईगर रिजर्व संचालक एवं मुख्य वन संरक्षक ने जिला पंजीयक एवं मझौली व कुसमी के तहसीलदारों को पत्र लिखकर टाईगर रिजर्व क्षेत्र में हो रही रजिस्ट्री व पट्टे की कार्यवाही पर पाबंदी लगाने के लिये कहा है।

क्षेत्र संचालक ने अपने पत्र में वन संरक्षण अधिनियम 1972 की हवाला देते लिखा है कि अधिनियम की धारा 20 के तहत् वसीयती या निर्वसीयती उत्तराधिकार के हक के अतिरिक्त, अधिसूचना में विनिर्दिष्ट रूोत्र की सीमा में सम्मिलित भूमि में या उस पर कोई अधिकार नहीं अर्जित किया जायेगा। वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 18 (1) के तहत् संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र के सीमा की अधिसूचना 1978 में जारी हो चुकी है। अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत यदि संरक्षित क्षेत्र की सीमा की भूमि की बाहरी व्यक्तियों को रजिस्ट्री की गई है तो वह धारा 20 के प्रावधानों के विपरीत है। अतः रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगाते हुये की गई रजिस्ट्री निरस्त करने की कार्यवाही करें।

वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 20 के अंतर्गत् अभ्यारण्य या राष्ट्रीय उद्यान की सीमाओं के अंदर भूमि के अधिकारों का हस्तांतरण सिर्फ भूमिस्वामी से उनके वारिसों के अलावा किसी अन्य को नहीं किया जा सकता। परन्तु संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र में भू-माफिया एवं राजस्व अमले की मिली भगत से बाहरी व्यक्तियों, जिनका संबंधित भूमि के वन ग्राम से कभी भी सारोकार नहीं रहा, उनके नाम से रजिस्ट्री के जारिये भूमि का हस्तांतरण बदस्तूर जारी है। क्योंकि शासन के प्रावधानों के तहत् विस्थापित होने वाले हर परिवार को 10 लाख रुपये नगद के साथ उनकी बसाहट की जावेगी।

सीधी जिले की रामपुर नैकिन, चुरहट, गोपद बनास व बहरी तहसीलों में रीवा-सीधी-सिंगरौली रेल लाईन के निर्माण क्षेत्र में आने वाली भूमि के इसी प्रकार चंद डिसमिल की रजिस्ट्री व नामांतरण का लंबा व अरबों रुपये का खेल खेला जा चुका है। कमिश्नर रीवा द्वारा तहसीलदार से लेकर पटवारियों तक की संदिग्ध भूमिका की जांच कराई जा रही है। रेलवे की भूमि के नामांतरण में ही बहरी के नायब तहसीलदार द्वारा घूंस लिये जाने का वीडियो वायरल हो चुका है।

संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र में विस्थापन की प्रक्रिया प्रचलन में है। अरबों रुपये की धोखाधड़ी की योजना को फलीभूत होने से रोका जा सकता है। टाईगर रिजर्व के विनिर्दिष्ट राजस्व ग्रामों में अब तक रजिस्ट्री के जरिये या रक्त सम्बंधों से इतर हुये भूमि के नामांतरण की जांच कर व उन्हें निरस्त कर भूमाफिया के बद्इरादों पर पानी फेरा जा सकता है और मुआवजा की एक मुश्त 10 लाख रुपये तथा पुर्नव्यवस्थापन में होने वाले शासन के अरबों रुपये बचाये जा सकते हैं।

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