ऋषिकेश रत्न अलंकरण समारोह: पारंपरिक ज्ञान और कला का सम्मान, मैकाले शिक्षा मॉडल को मिली चुनौती सीधी। स्वर्गीय न्यायाधीश ऋषि तिवारी की पुण्य स्मृति में ऋषिकेश फाउंडेशन द्वारा रविवार को उत्कृष्ट विद्यालय, सीधी में *ऋषिकेश रत्न अलंकरण समारोह* का सफल आयोजन किया गया। इस गरिमामय समारोह का उद्देश्य भारतीय पारंपरिक ज्ञान, कला और कौशल को यथोचित सम्मान प्रदान करना था। समारोह ने मैकाले शिक्षा मॉडल की औपचारिकता को चुनौती देते हुए यह संदेश दिया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल पेट-जीविका नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और रचनात्मकता के संरक्षण एवं संवर्धन का माध्यम होना चाहिए। मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री सम्मानित लोक कलाकार अर्जुन सिंह धुर्वे और अध्यक्षता गांधीवादी चिंतक संतोष कुमार द्विवेदी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुनील मिश्रा, व्यवहार न्यायाधीश शुभांशु ताम्रकार, सुप्रसिद्ध काष्ठ कलाकार दलपत सिंह बीजापुरी और प्रख्यात लोक गायिका भागवती रठुड़िया उपस्थित रहे। इस अवसर पर लगभग पचास प्रतिभाशाली कलाकारों को *ऋषिकेश रत्न अलंकरण* से सम्मानित किया गया। इनमें मूर्तिकार, बांस एवं मृदा शिल्पी, चर्म शिल्पकार, लोकगायक, वाद्ययंत्र वादक, पाककला विशेषज्ञ और चित्रकार शामिल थे। इसके अलावा नौ विशिष्ट अतिथियों को विशेष स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने समारोह की गरिमा को और बढ़ा दिया। नन्हे लाल घासी के नेतृत्व में गुदुम बाजा नाच, 93 वर्षीय शम्भू प्रजापति द्वारा कोहराई कबीर गायन, और शिवबालक बैगा का नकसुर वादन मुख्य आकर्षण रहे। साथ ही सृजन मिश्रा (हारमोनियम) और श्लोक तिवारी (तबला) की संगत में प्रस्तुत भजन ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। यह आयोजन न केवल सम्मान का प्रतीक रहा, बल्कि उन गुमनाम कलाकारों को पहचान देने का प्रयास भी है, जो अपनी कला के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखे हुए हैं। ऋषिकेश फाउंडेशन ने इस आयोजन के जरिए समाज में पारंपरिक ज्ञान और रचनात्मकता को नई दिशा देने की पहल की है।