भोपाल (ईन्यूज एमपी)-4 दशक पहले चंबल के बीहड़ में डकैत रहे मलखान सिंह बुधवार को कांग्रेस जॉइन कर सकते हैं। विश्व आदिवासी दिवस पर भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में वे पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। मलखान कभी बीहड़ के दस्यु किंग कहलाते थे। खुद को डाकू कहलाना गलत बतलाते हैं। उनके अनुसार वे अन्याय के खिलाफ बागी थे। मंदिर की 100 बीघा जमीन को मंदिर में मिलाने के लिए उन्होंने हथियार उठाए थे। उस दौरान वे पंच भी थे। 15 जून 1982 में मलखान सिंह और उनकी गैंग ने तब के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की मौजूदगी में समर्पण कर दिया था। ये सरेंडर देखने के लिए मैदान में 30 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी। इसके बाद मलखान 6 साल जेल में रहे। साल 1989 में सभी मामलों में बरी करके उन्हें रिहा कर दिया गया। मलखान भारतीय जनता पार्टी से प्रभावित हुए और उसके लिए प्रचार करना शुरू कर दिया। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का प्रचार करने के लिए वे कई मंचों का चेहरा बने। अपने भाषणों में कांग्रेस को कोसा और नरेंद्र मोदी को जिताने की अपील की। 2019 में भाजपा ने टिकट ना मिलने पर वे भाजपा से खफा हुए और पार्टी छोड़ दी। बाद में उन्होंने अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का दामन थाम लिया। धौरहरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। मलखान सिंह की पत्नी ललिता राजपूत गुना जिले के आरोन इलाके की पूरी सिनगयाई पंचायत से सपरंच हैं। इस पंचायत में सरपंच और सभी 12 पंच चंबल के पूर्व डकैत मलखान सिंह जॉइन करेंगे कांग्रेस:2014 में PM मोदी के लिए कर चुके प्रचार; 4 दशक पहले कहलाते थे दस्यु किंग भोपाल21 मिनट पहले 4 दशक पहले चंबल के बीहड़ में डकैत रहे मलखान सिंह बुधवार को कांग्रेस जॉइन कर सकते हैं। विश्व आदिवासी दिवस पर भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में वे पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। मलखान कभी बीहड़ के दस्यु किंग कहलाते थे। खुद को डाकू कहलाना गलत बतलाते हैं। उनके अनुसार वे अन्याय के खिलाफ बागी थे। मंदिर की 100 बीघा जमीन को मंदिर में मिलाने के लिए उन्होंने हथियार उठाए थे। उस दौरान वे पंच भी थे। 15 जून 1982 में मलखान सिंह और उनकी गैंग ने तब के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की मौजूदगी में समर्पण कर दिया था। ये सरेंडर देखने के लिए मैदान में 30 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी। इसके बाद मलखान 6 साल जेल में रहे। साल 1989 में सभी मामलों में बरी करके उन्हें रिहा कर दिया गया। मलखान भारतीय जनता पार्टी से प्रभावित हुए और उसके लिए प्रचार करना शुरू कर दिया। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का प्रचार करने के लिए वे कई मंचों का चेहरा बने। अपने भाषणों में कांग्रेस को कोसा और नरेंद्र मोदी को जिताने की अपील की। 2019 में भाजपा ने टिकट ना मिलने पर वे भाजपा से खफा हुए और पार्टी छोड़ दी। बाद में उन्होंने अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का दामन थाम लिया। धौरहरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। मलखान सिंह की पत्नी ललिता राजपूत गुना जिले के आरोन इलाके की पूरी सिनगयाई पंचायत से सपरंच हैं। इस पंचायत में सरपंच और सभी 12 पंच महिलाएं निर्विरोध चुनी गई थीं।