भोपाल ईन्यूज एमपी रेत खदानों की पहले दौर की नीलामी ने सरकार को 300 करोड़ का फायदा करा दिया। सरकार ने 25 जिलों के 27 रेत समूहों का रिजर्व प्राइज 660.23 करोड़ रुपए रखा था, लेकिन कई दौर की नीलामी के बाद यह 963.03 करोड़ में गई। जबकि अभी भी 17 रेत समूहों की नीलामी बाकी है। ज्यादा कीमत पर उठीं रेत खदानों से साफ है कि इनकी कीमतें अब और बढ़ेंगी। हालांकि सरकार यह मानकर चल रही है कि जब ज्यादा खनन होगा और बाजार में उपलब्धता बढ़ेगी तो कीमतें अपने आप कम होंगी। बहरहाल, 42 जिलों के 44 रेत समूहों की 1171 रेत खदानों में 3.76 करोड़ घनमीटर रेत की उपलब्धता है। इसका रिजर्व प्राइज सरकार ने 939.78 करोड़ रुपए रखा है। इसमें से 27 रेत समूहों का रिजर्व प्राइज 660.23 था। इससे ही सरकार के खजाने में तीन सौ करोड़ रुपए ज्यादा आ गए। ई-नीलामी की प्रक्रिया एक जुलाई से प्रारंभ की गई, जो 8 अगस्त तक चली। यहां बता दें कि स्टेट माइनिंग कार्पोरेशन को रेत खदानें 10 वर्ष की लीज पर दे दी गई हैं। यहां बता दें इस बार प्रति घन मीटर रेत का रिजर्व प्राइज 125 रुपए से बढ़ाकर 250 रुपए कर दिया गया है जो दो गुना है। इसी वजह से रेत की कीमतें बढ़ने की संभावना बन गई है। 17 खदानें, जहां नीलामी बाकी है गुना, राजगढ़, धार, देवास, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, शाजापुर, डिंडोरी, पन्ना, टीकमगढ़, अलीराजपुर, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, आगर-मालवा और भिंड में रेत खदानों की नीलामी अभी बाकी है। पहले चरण में 27 समूहों के पास 2.64 करोड़ घन मीटर रेत नीलामी गई है। शेष 1.12 करोड़ घन मीटर रेत अभी भी नीलामी के लिए बची हुई है। चंबल में खींचतान : राजस्थान, उत्तरप्रदेश के वेंडर भी कर रहे हैं जोर-आजमाइश भिंड में रेत खदानों की नीलामी अभी नहीं हुई है। यहां खींचतान ज्यादा है। राजस्थान के साथ उत्तरप्रदेश के भी वेंडर जोर-आजमाइश कर रहे हैं। यही स्थिति पन्ना को लेकर भी है। यहां भी यूपी के कांट्रेक्टर सक्रिय हैं। सरकार को इससे भी 100 करोड़ से अधिक राजस्व मिलने की उम्मीद है।