सीधी (सचीन्द्र मिश्र)- आज कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट उत्सव मनाना जाता है। इसे पड़वा या प्रतिपदा भी कहते हैं। खासकर इस दिन घर के पालतू बैल, गाय को अच्छे से स्नान कराकर उन्हें सजाया जाता है। फिर इस दिन घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और उनका पूजन कर पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है । पुराने समय से दो वक्त के दाना-पानी के बदले दूध देने और मरने के बाद शरीर के चमड़े से कई लोगों का रोजगार चलाने वाली गाय रीवा सीधी की सड़कों पर मारी-मारी इसलिए फिर रही हैं, क्योकि उनके रहने-खाने का इंतजाम इंसान ने छीन लिया। पशुपालक गैर दुधारू गायों को घरों से सड़कों की ओर खदेड़ रहे हैं , बस यहीं से गाय सड़क दुर्घटना की वजह और शिकार बनने लगी हैं। शहर हो या गांव, सभी जगह गौ-वंश की दुर्दशा हो रही है। भूख-प्यास से बिलखते ये बेजुबान अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ बोल भी नहीं पाते, सड़क पर आवारा घूम रही किसी भी गाय की आंखों, शरीर के जर्जर ढांचे को देखने से ही महसूस हो जाता है, कि इन आंखों से बह रहे आंसूओं की वजह क्या है, कितनी तकतीफ में गुजरता है इनका हर दिन।बेजुवान सड़क पर घूम रहे है और लगातार एक्सीडेंट हो रहे है और साहब के आदेश ग्राम पंचायत की रद्दी टोकरी या व्हाट्सअप तक सीमित हो रहे हैं। समय रहते अगर साहब के आदेशों का अनुसरण नहीं किया जाता है तो धीरे-धीरे स्थिति और भी खराब हो जाएगी। हम आज इसलिये ऐसा कह रहे हैं कि हमें गोवर्धन पूजा करनी है ...और जिसकी पूजा करनी है उनकी दुर्दशा पर सबाल खड़े हो रहे हैं ....? रीवा - सीधी जिले में गौ पालन के नाम दुकानदारी चल रही है। बड़ी संख्या में गौ शालाएं कागजों पर चल रही हैं और गौ-वंशीय पशु सड़कों पर बेसहारा भटक रहे हैं। जो आए दिन हादसों की वजह बन रहे हैें और खुद भी हादसों में मारे जा रहे हैं। गौ-वंशीय पशुओं की ऐसी दुर्दशा पर जिम्मेदार मौन हैं, वहीं गौ-सेवक अपनी मजबूरियां गिनाकर जिम्मेदारी से बच रहे हैं। सरकार द्वारा लाखों रुपये खर्च कर ग्राम पंचायत़ो में गौशालाओं का निर्माण कराया गया है या कराया जा रहा है । अधिकतर पंचायतों में गौशाला बनकर तैयार भी हो चुकी हैं, लेकिन स्थिति यह है, कि कहीं गोशाला खाली पड़ी है, तो कहीं गोशाला में रहने वाले मवेशियों के लिए चारा भूसा तक नहीं है। यही वजह है, कि गाय खुले आसमान के नीचे सड़क पर बैठी रहती हैं। जिम्मेदार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। गौरतलब है,कि कांग्रेस सरकार ने 2019 में लाखों रुपये खर्च कर ग्राम पंचायतों में गौशालाओं का निर्माण कराया था, ताकि सड़कों पर भूख प्यास से मरने वाली गाय गोशाला में अच्छे से रह सके। कुछ महीने बाद ही कांग्रेस की सरकार बदल गई और भाजपा सरकार सत्ता में आ गई। भाजपा सरकार ने गौशालाओं का निर्माण काम जारी रखा। आज अधिकतर पंचायतों में गौशाला बनकर तैयार हो चुकी हैं, लेकिन अधिकतर गोशालाओं में एक भी गाय नहीं है। यंहा अकेले शासन प्रशासन जिम्मेदार नही है ...जिम्मेदार हम सब हैं कारण कि गैर दुधारू गैर हलजोत पशुओं की दुर्दशा के जिम्मेदार सबसे पहले अगर कोई है तो पशुपालक ..? शासन प्रशासन दिया सरे नम्बर पर ..आज आवश्यकता इस बात की है कि सड़कों पर घूम रहे बेजुवानों के खानपान रहनसहन की जिम्मेदारी खुद निर्वहन करें और हां ...कागजों पर ढींढोरा पीटने वाली इकाई भी सजग हो जाये अन्यथा ऊपर वाला माफ नही करेगा ।