सतना(ईन्यूज एमपी)-सरकार से बच्चों को पढ़ाने की तनख्वाह वसूलने के बावजूद स्कूल में पढ़ाई कराने के बजाय झोला छाप डॉक्टरी करना सतना के एक और शिक्षक को महंगा पड़ा है। प्राथमिक शाला के शिक्षक को जिला शिक्षाधिकारी ने निलंबित कर दिया है। एक महीने के अंदर इस किस्म का यह दूसरा मामला है। जिला शिक्षाधिकारी सतना नीरव दीक्षित ने नागौद विकासखंड के रहिकवारा संकुल अंतर्गत शासकीय माध्यमिक शाला मझगवां में पदस्थ प्राथमिक शिक्षक संजीव कुमार कुशवाहा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में निलंबित शिक्षक को विकासखंड शिक्षाधिकारी कार्यालय रामपुर बाघेलान में अटैच किया है। दरअसल डीईओ को शिकायत मिली थी कि प्राथमिक शिक्षक संजीव कुमार कुशवाहा की रुचि स्कूल में बच्चों को पढ़ाने में कम और अपनी झोलाछाप डॉक्टरी की प्रैक्टिस में ज्यादा है। झोला छाप डॉक्टरी के प्रचार-प्रसार में ही उनका ज्यादातर समय निकलता है, जबकि बच्चों का अध्यापन कार्य लगभग ठप पड़ा रहता है। वहीं मास्टर अपनी डॉक्टरी ग्रामीणों पर आजमाते है। इस संबंध में डीईओ को मास्टर की डॉक्टरी की वीडियो क्लिप भी मिली थी। शिकायत की जांच डीईओ ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सेमरवारा के प्राचार्य से कराई। जांच अधिकारी ने मौके पर पहुंच कर शिकायत की तस्दीक की और ग्रामीणों के बयान दर्ज किए। प्राथमिक शिक्षक से डॉक्टरी करने के संबंध में डिग्री-डिप्लोमा भी मांगा गया, लेकिन वे कोई ऐसा दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके जो उन्हें लोगों का इलाज करने के लिए अधिकृत करता हो। जांच अधिकारी सेमरवारा प्राचार्य के प्रतिवेदन के आधार पर डीईओ ने झोला छाप डॉक्टरी करने वाले प्राथमिक शिक्षक संजीव कुमार कुशवाहा के निलंबन का आदेश जारी कर दिया। सरकारी स्कूल में पोस्टिंग के बावजूद बच्चों को पढ़ाने के बजाय झोला छाप डॉक्टरी करने वाले मास्टर के निलंबन का सतना में एक माह में यह दूसरा मामला है। इसके पहले गत 11 अगस्त को मझगवां विकासखंड की बिरसिंहपुर तहसील क्षेत्र के कारीगोही संकुल के जरिहा स्कूल के सहायक शिक्षक जगन्नाथ यादव को भी निलंबित किया गया था। उन्हें भी रामपुर