सीधी(सचीन्द्र मिश्र)- जिले में आज हुई लोकायुक्त टीम रीवा कि कार्यवाही में भले ही महज एक प्रभारी प्राचार्य पकड़ा गया है लेकिन इस घटना ने जिले में विगत कई वर्षो से चल रहे, शिष्यावृति को हजम करने के गोरखधंधे को बेनकाब कर दिया है, इस घटना ने प्रभारी प्राचार्य के साथ साथ जिले के आला अधिकारियो को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है,साथ ही उन तमाम अधीक्षकों कि भी पोल खोल दी है जो टीचर होते हुए भी अधीक्षक बनने के लिए अधिकारियो कि हथेली गरम करते नजर आते है, उनके घरो के चक्कर काटते है और अधीक्षक बने रहने के लिए नीचे से ऊपर तक कि पहुँच का उपयोग करते है और ये सब काम के प्रति समर्पण या छात्रों के हित के लिए नही बल्कि गरीब छात्र छात्राओं के अधिकारों पर डांका डालने के लिए ....? बतादें कि जिले में फर्जी शिष्यावृति आहरण का खेल आदिवासी विभाग में लम्बे समय से चल रहा है, फर्जी उपस्थिति दिखाकर अधीक्षक व प्राचार्यो की मिली भगत से शिष्यावृति कि राशि हजम कर ली जाती है | जिले में 105 छात्रावास संचालित है जहां रहने वाले छात्र/छात्राओं को प्रति छात्र के मान से 11.90 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से अधीक्षकों को भुगतान किया जाता है, वंही कुछ विशिष्ट संस्थाओ को और अधिक राशि का भुगतान किया जाता है जिसमे उपस्थिति का सत्यापन प्राचार्य द्वारा किया जाकर सम्बंधित अधीक्षक को राशि दी जाती है । जिसमे अधीक्षक व प्राचार्य कि मिलीभगत से ज्यादा से ज्यादा उपस्थिति दिखाकर छात्रो के हित में मिलने वाली राशि पर डांका डाला जाता रहा है, लेकिन शायद आज घटित घटना में मामला नहीं पटने पर या लम्बी डिमांड के कारण मामला लोकायुक्त रीवा तक पंहुच गया, और लोकायुक्त एसपी रीवा राजेन्द्र वर्मा की सक्रियता के चलते प्राचार्य चंगुल में फंस गए रीवा लोकायुक्त एसपी व उनकी टीम की यह एक बड़ी सफलता मानी जायेगी, क्यूकि आये दिन कोई न कोई लोकायुक्त के शिकंजे में आता ही रहता है पर आज कि घटना से गरीब आदिवासी बच्चो के हितो में सेंध लगाने वालो के भीतर दहशत का पसीना टपक रहा है चाहे वो छोटे अधिकारी हो या बड़े.....? देखना होगा कि लोकायुक्त रीवा एसपी राजेन्द्र वर्मा के टीम की सक्रियता सीधी में आगे और क्या गुल खिलाती है ।