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Home सीधी दर्पण तीन तिकड़ी से त्रस्त है सीधी के अधिकारी व ठेकेदार,जब न बोल दे उफ...

तीन तिकड़ी से त्रस्त है सीधी के अधिकारी व ठेकेदार,जब न बोल दे उफ...

सीधी(ईन्यूज एमपी)- कहते है जब सत्ता का मद चढ़ता है तब इन्सान भूत वर्तमान व भविष्य को भूल कर काम करने लगता है, ऐसा ही मद अब कुछ सत्तासीनो के सर चढ़ कर बोल रहा है,जिले में सक्रीय तिकड़ी से इन दिनों अधिकारी कर्मचारी व ठेकेदार इतने त्रस्त है की कभी भी इनके खिलाफ आवाज उठा सकते है सरल शब्दों में कहे तो जिले में हावी इस तिकड़ी को लेकर अधिकारी कर्मचारी व ठेकेदारों में जबरजस्त कानाफूसी चल रही है और जब न कोइ उफ बोल जाये |

जिले में तथाकथित दल के संगठन की तिकड़ी इन दिनों हावी है अपने सत्ता के मद में चूर इन तिकड़ी के द्वारा अधिकारी कर्मचारियों व ठेकेदारों के साथ -साथ अपने दल के लोगो पर भी धौस जमाई जा रही है, जिससे की हर कोइ त्रस्त है लेकिन कुछ कहने में सक्षम नही है, अब देखना है की इस तिकड़ी से आहत लोगो के सब्र का बांध कब तक टीका रहता है, क्युकी इनके कारनामो व हस्तक्षेप से भारी असंतोष व्याप्त है, और कही ये बांध अपने साथ इस तिकड़ी को भी न ले के बह जाये ....

अपने आप को दल का सर्वेसर्वा मान कर कार्य कर रही इस तिकड़ी में ऐसे दिग्गज है जिन्हें मौका मिलने पर भी इनके माथे पर विजय तिलक नही लगा लेकिन कहते है न की 'बिल्ली के भाग्य से छीका टूटा' इसी तर्ज पर किस्मत की बदौलत पद इनकी झोली में तो आ गया लेकिन पद आते ही बाकी सब गुण गोबर हो गए, कल तक जिनके साये में पाले आज उन्ही को अपने से कनिष्ठ मान रहे है|

पद व संपत्ति के लोभ में बिना कुछ सोचे समझे यह तिकड़ी अपाधापी में लगी है लेकीन इनके कृत्यों से अभास हो रहा है की ये अपनी वास्तविकता से अनभिग्ज है, इन्हे इस बात का आभास ही नही की अपने वरिष्ठो का निरादर इन्हे उन्नति के बजाय अवनति की ओर ले जा रहा है,और तो और इन्हे आम जन के बीच अपनी छवि का भी आभास नही की जनता इन्हे किस नजर से देखती है व पीठ पीछे क्या कहती है|सत्ता के मद ने इनके कान ही बंद कर दिए है और इनके बंद कानो में तो बस अपने चमचो की चाटुकारिता ही पहुच पाती है, लेकिन बार बार मिली शिकस्त के बाद भी इनके मन मस्तिष्क में अपनी कमियो व गलतियो को सुधारने की क्षमता विकसित नही हो पाई|

खैर इस तिकड़ी के महारथियों को अपनी गलतियों का खामियाजा समय समय पर मिलता ही रहा है, लेकिन अब कही ऐसा न हो की इस तिकड़ी के खिलाफ चुनावी वर्ष में कोई ऐसी उफ़ न निकल जाये की इनके पूर्वजो की बनाई उस छवि पर ही संकट आ जाये जिस के दम पर ये यहां तक पहुंचे है.......

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