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Home सीधी दर्पण सीधी: स्कूल में दूसरे दिन भी लटकता रहा ताला, विद्यालय आये शिक्षकों को भड़के ग्रामीणों ने वापस लौटाया.....

सीधी: स्कूल में दूसरे दिन भी लटकता रहा ताला, विद्यालय आये शिक्षकों को भड़के ग्रामीणों ने वापस लौटाया.....

पथरौला/सीधी(ईन्यूज एमपी):-आदिवासी बाहुल्य जनपद पंचायत कुशमी अन्तर्गत संचालित शासकिय प्राथमिक व माध्यमिक शाला मेढकी संकुल केन्द्र पोडी का ताला गुरुवार को भी नहीं खुला और विद्यालय मे पठन पाठन की प्रक्रिया आठवें दिन भी ठप्प रहा। ताला खोलने के लिए ग्राम पंचायत बस्तुआ की सरपंच प्रेमवती बैगा सहित काफी संख्या मे ग्रामीण जन साढे दस बजे विद्यालय प्रांगण मे एकत्रित हुए थे। किन्तु उन्हीं लापरवाह शिक्षको को विद्यालय में देखकर ग्रामीण जन भडक गये। और सरपंच प्रेमबती बैगा को स्कूल का ताला खोलने से मना कर दिया। जिसके कारण सरपंच भी पीछे हट गई। और शिक्षक सतीष मिश्रा व प्रभा गुप्ता वापस चले गये। ग्रामीणों का कहना था की जांच मे आये मुख्य कार्यपालन अधिकारी कुशमी द्वारा यहाँ पदस्थ शिक्षकों निलंबित कर दूसरे शिक्षकों की व्यवस्था करनें सहित स्कूल मे दैनिक उपयोग की सामग्रियां तत्काल अपने बजट उपलब्ध कराने के लिए अविभावकों को कुशमी बुलाया था। लेकिन वहां पहुंचने पर एक गिलास तक नहीं उपलब्ध कराई गई। साथ ही पुनः उन्हीं लापरवाह शिक्षकों को स्कूल का संचालन करनें के लिए भेज दिया गया। जिससे साफ जाहिर होता है की जांच के नाम पर महज कोरम पूर्ति की गई है। ग्रामीणों का कहना है की दोषी शिक्षकों के खिलाफ जांच कर कार्यवाही का आश्वासन जांच अधिकारी यस यन दुबे द्वारा दिया गया था। साथ ही जांच मे सत्यता भी पाई गई है। ताला नहीं खुलने पर सभी शिक्षक वापस चले गये। जबकि तिमाही परीक्षायें भी अन्य स्कूलों में चल रही हैं।

ये है पूरा मामला:-ग्राम पंचायत बस्तुआ के मेढकी निवासी सभी अविभावकों ने वीते चार सितंबर से अपने बच्चों को विद्यालय भेजना बंद कर दिया गया था। और पांच सितंबर को जिला कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों को शिकायती आवेदन प्रस्तुत कर आरोप लगाया गया था कि विद्यालय मे पदस्थ शिक्षक समय पर और रोजाना स्कूल नहीं आते, विद्यालय में विज्ञान किट व खेल सामग्री बच्चों को नहीं दी जाती, बच्चों को बैठने के लिऐ टाट की व्यवस्था नहीं है, पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं स्कूल भवन की पोताई तक कई वर्षों से नहीं हुई। कोई अतिथि या अविभावक विद्यालय में आ जाय तो बैठाने के लिए एक शिक्षक को खडा रहना पडता है। सबसे गंभीर शिकायत यह थी की छात्रों का स्तर इतना कमजोर है की आठवीं के बच्चों को किताब पढना नहीं आता है। शिकायत पर जांच नहीं होने से आक्रोशित ग्रामीणों ने महिला आदिवासी सरपंच प्रेमवती बैगा, उप सरपंच विजय कुमार सिंह, पंच श्रीकांत मिश्रा की अगुवाई में सैकडों ग्रामीण एकमत होकर ग्यारह सितंबर को विद्यालय मे ताला बंद कर दिया। गांव बालों का कहना है कि जब हमारे बच्चों को भैंस बकरियां ही चराना है तो ए स्कूल किस काम की है। सरकार स्कूल बंद ही कर दे। तथा लगातार आठ दिनों से स्कूल में पठन पाठन बंद है।

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