सीधी(ईन्यूज एमपी)-आगामी विधान सभा चुनावो में ऊट किस करवट बैठेगा यह तो वक्त ही बतायेगा पर राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपनी अपनी रणनीतिया बनाने का क्रम शुरू हो गया है, एकत्र आकड़ो,मतदाताओ के रुझान व जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर कहां कौन सा मोहरा सटीक व सफल साबित होगा इसका आकलन कर रणनीतिया तैयार कर ली गयी है | सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी व अनुमान के सयुक्त मंथन की बात करे तो सीधी व सिंगरौली जिले में भाजपा कुछ इस तरह से राजनीती की बिसात पे मोहरे रखेगी -सिंगरौली -पिछड़ा वर्ग,देवसर - हरिजन, चितरंगी -आदिवासी, धौहनी-आदिवासी,सिहावल-ब्राह्मण,सीधी -ब्राह्मण व चुरहट में क्षत्रिय | गौर करे तो भाजपा में ज्यादातर टिकटों का वितरण वंशवाद के आधर पर दिए जाते है, और इसी नीति को आगामी चुनावो में भाजपा दोहराने की तैयारी में है । सूत्रों की माने तो विगत चुनावो में 10 हजार से अधिक के अंतर से चुनावों में पराजित होने वाले उम्मीदवारों को पार्टी इस बार नहीं दोहराने वाली है ऐसेमें कहा जा सकता है की वर्तमान चुनावो में नए उम्मीदवार उभर कर सामने आ सकते है | जिले में भाजपा के लिए चुनौती बनी चुरहट विधानसभा की बात करे तो यहाँ पिछली हार के बाद पार्टी की रणनीति क्या होगी यह कह पाना अभी संभव नहीं है पर चुरहट में ब्राह्मण व क्षत्रिय दोनों समुदाय से उमीदवारो की कमी नहीं है । चुरहट में पूर्व सांसद गोविन्द मिश्र भाजपा के सर्वमान्य नेता है,व क्षेत्र में इनकी मजबूत पकड़ है, वहीं नये चेहरों में इनके बेटे अनेद्र 'राजन ' भी भाजपा की ओर से चुरहट की राजनीती में सक्रिय हैं । इतना ही नही राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह के अनुज अनिल प्रताप सिंह ,, पप्पू ,, के नाम पर विरासत की लहर भी सुर्खियों में है । विंध्य विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शुभाष सिंह भी अपने दादा जगतबहादुर सिंह के नाम पर क्षेत्र में सक्रिय हैं भाजपा की कमान थाम कर पिछली बार चुनाव मैदान में उतरे शरदेन्दु तिवारी भी पिछले एक दशक से चुरहट की राजनीती में सक्रिय रहे है हलाकि वर्तमान में ये प्रदेश के संगठन मेंसक्रिय है, पर क्षेत्र में आज भी इनकी पहचान इनके दादा स्वर्गीय चंद्रप्रताप तिवारी से जुड़ी है । तमाम समीकरणों को देखा जाये तो भाजपा इन्ही चेहरों में से किसी एक को अपना प्रत्याशी बना सकती है । लेकिन भाजपा इस बार क्षेत्रवाद , वंशवाद और जातिय संतुलन के पैमाने पर अगर उतरी तो नया चेहरा सामने होगा ।