सीधी (ईन्यूज़ एमपी)- सीधी जिले में एक ऐसा भी गांव है जहां विजली के खंभे और तार तो लगे हैं लेकिन फिर भी रात होते ही पूरा गांव अंधेरे के साये में चला जाता है, और पढ़ने वाले छात्र चिमनी के सहारे अपना काम चला रहे हैं। जहां आज के परिवेश में हम और आप बिना लाइट के कुछ घंटों में परेशान हो जाते हैं वहीं जिले के आदिवासी ब्लाक कहे जाने बाले कुशमी अंतर्गत केशलार के सेमरा में पिछले 3 वर्षों से बिजली नहीं है। इस सम्वन्ध में ग्रामीणो द्वारा बताया गया कि हमारें यहाँ पिछले तीन सालों से ट्रासफार्मा जला है और हम चिमनी के प्रकाश में रहने को मजबूर है इस बिषय मे बिधायक को आवेदन दिए फिर बिजली आफिस मे आवेदन दिए, लेकिन आज तक कोई हल नही निकला है। ग्रमीणो द्वारा कहा गया कि हम लोगों के साथ ऐसा व्यवहार क्यूँ किया जा रहा है ? वैसे तो सरकार हर घर बिजली पहुचाने का वादा कर रही और दूसरी तरफ सेमरा मे तीन साल से जला ट्रासफार्मा पडा है जिस ओर कोई ध्यान देने बाला नही है।इसका खामियाजा जनता को भुगताना पड़ रहा है। अभी बरसात का मौसम चल रहा है इसलिये परेशानी और बढ़ गयी है।इस मौसम की वजह से अंधेरा होने के कारण जहरीले कीड़ों जैसे सांप ,बिच्छू के काटने का डर बना रहता है। अगर बात की जाये बिजली न होने पर सबसे ज्यादा नुकसान की तो इसका सबसे बड़ा खामियाजा स्कूली बच्चो को भुगतना पड़ रहा है। बच्चे इस युग में भी चिमनी तले पढ़ने को मजबूर है, ऐसे में निश्चित ही उनके शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है। फिलहाल ग्रामीणों को चाहे जो भी समस्या आ रही हो लेकिन बिजली विभाग के अधिकारी पिछले 3 सालों से इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। अब आगे देखना होगा कि जला ट्रांसफार्मर कबतक ठीक हो पाता है और कितने दिनों तक इस गांव के लोग अंधेरे में जीने पर मजबूर होंगे।