सीधी(ईन्यूज एमपी)-कलेक्ट्रेट कार्यालय मे इन दिनो बाबूराज कायम है,अधिकारी चाहे जो आदेश दे बाबू अपने मन की ही करेगे,भले ही अधिकारियो के समक्ष हामी भर दे,पर चलना तो अपने ही राह पर है। जिला कार्यालय मे लिपिको की मनमानी के चलते आमजनो के साथ साथ अधिकारी कर्मचारी भी परेशान है।कलेक्ट्रेट मे पदस्थ कुछ लिपिक ऐसे है जो सालो से एक ही शाखा मे पदस्थ है, और अपनी मर्जी चलाने के लिये प्रसिद्ध है और तो और अधिकारियों के आदेशो तक को अपनी कलम के नीचे कुचल रहे है। जिला कार्यक्रम मे पदस्थ एक लिपिक की कारगूजारी का बखान करते हुये एक गरीब इलेक्ट्रीशियन बताता है ,कि मेरे द्वारा कलेक्ट्रेट कार्यालय मे एक वर्ष पूर्व काम किया गया था ,लेकिन चढोत्री के आभाव मे अभी तक बिल का भुगतान नही मिल सका है,जबकि कलेक्टर साहब द्वारा कई बार उक्त लिपिक को निर्देशित किया गया पर आजतक....? और तो और बाबुओं की कारगुजारियों के चलते एक डिप्टी कलेक्टर को भी बेतन के लाले पड़े हैं । ऐसा नही है कि आम आदमी ही लिपिको से परेशान है बल्कि वहां पदस्थ छोटे कर्मचारी, अधिकारी व सीधे साधे अन्य लिपिक भी इन ढीट लिपिको से परेशान है, पर मजबूरीवस कुछ कहने मे असमर्थ है,ऐसा नही है कि इन की शिकायत नही होती पर अधिकारियों की अनदेखी के चलते ये एक ही जगह पर जमे है,व कुछ तो ऐसे है जो हर शाखा को गंदा करते आये है,इनमे अधिकारियों का खौफ नाम मात्र का भी नही है। हाल ही मे अधिकारियों कर्मचारियों की चर्चा पर गौर करे तो पता चलता है कि केवल एक लिपिक की अनुपस्थिति के चलते कलेक्ट्रेट के सैकड़ों अधिकारियों कर्मचारियों को वेतन नसीब नही हो सकेगा ,कारण उक्त लिपिक छुट्टी पर है,व किसी को भी पासवर्ड नही दिया गया,जब अधिकारियों ने संम्पर्क कर किसी अन्य लिपिक को पासवर्ड देने की बात कही गई तो लिपिक ने दो टूक जवाब दिया कि जब हम आयेंगे तभी वेतन बनेगा।अब कर्मचारियों मे कानाफूसी हो रही है कि क्या एक लिपिक के न होने से बाकी को बिना वेतन के रहना पडेगा, जबकी कार्यालय मे लिपिको की भरमार है।यही नही उक्त लिपिक की शिकायतो की लम्बी फेहरिस्त है पर कार्यवाही शून्य है।