सीधी (ईन्यूज़ एमपी) जिले के एक मात्र आदिवासी बाहुल्य जनपद पंचायत कुशमी मे एक तरफ जहाँ खाली पडे भूखण्डों सहित सडकों के किनारे माकान बनाकर कब्जा करने ग्रामीणों मे होड सी लगी है। वहीं दूसरी तरफ शासकिय प्रयोजन हेतु निर्माण करवाये गये भवनों सहित सुरक्षित भूखण्डों मे भी ग्रामीणों ने कब्जा करना शुरु कर दिया है। और इतना सब कुछ होने के बाद भी प्रशासनिक अमला मूक दर्शक की भूमिका निभा रहा है जो संदेह के दायरे मे आता है। लिहाजा शासकिय भवनो मे ग्रामीणों द्वारा कब्जा कर लेने के कारण सरकारी कामकाज मे बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं। ऐसा ही एक मामला आदिवासी जनपद पंचायत कुशमी के ग्राम पंचायत ददरी का प्रकाश में आया है। जहाँ पूर्व मे ग्राम पंचायत द्वारा निर्माण कराये गये पंचायत भवन मे एक ग्रामीण आदिवासी ने शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिलने से खपा होकर डेरा डाल लिया। जिसे खाली कराने में प्रशासन के पशीने छूट रहे हैं। और अब कुछ ग्रामीण ग्राम पंचायत द्वारा निर्माण कराये गये ई-पंचायत कक्ष मे भी कब्जा करनें की फिराक में हैं। हलांकि अभी ई पंचायत कक्ष के चारो तरफ जोताई कर खेती करनें का प्रयास भर किया गया है। लेकिन ग्रामीणों को शंका है कि आने वाले समय मे भवन में भी डेरा डाला जा सकता है। बताया गया कि जिस भूभाग पर ई-पंचायत कक्ष का निर्माण पूर्व सरपंच व सचिव द्वारा करवाया गया था। उसी के सरहद्दी से लगे भूखण्डों का ग्रामीणों द्वारा सीमांकन करवाया गया था। ग्रामीणों ने बताया की सीमांकन मे हल्का पटवारी द्वारा ई-पंचायत कक्ष निजी भूमि मे होना बताया गया था। और इसी कारण ग्रामीणो द्वारा ई-पंचायत भवन के चारो तरफ खेती करना शुरू कर दिये हैं। संचालित होती थी विद्यालय:-ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि प्राथमिक शाला पाण्डेय खेरवा (ददरी) भवन विहीन होने के कारण शाला का संचालन विगत बर्ष तक ई-पंचायत कक्ष में होता था। किन्तु जमीन पर ग्रामीणो ने कब्जा करना शुरू किया तो विद्यालय तकरीबन तीन किलोमीटर दूर पूर्व माधयमिक शाला ददरी में अटैच कर दी गई। जिससे बारिश के दिनों में नौनिहालों को इतनी दूरी तय करनें मे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हलांकि जिम्मेदारों के द्वारा विद्यालय अटैच करनें के पीछे शिक्षकों की कमी तथा अतिथि शिक्षकों का न मिलने का तर्क दिया जा रहा है। जिसे नकारा भी नहीं जा सकता है। आगनबाड़ी केन्द्र मे ग्राम सभा:-पंचायत भवन मे विगत पांच बर्षो पूर्व से ग्रामीण द्वारा डेरा डालने के कारण पंचायती गतिविधियों सहित ग्राम सभा आंगनबाड़ी भवन मे होने के कारण आंगनबाड़ी केन्द्र का संचालन सुचारु रुप से नहीं हो पा रहा है। किन्तु इसे जिम्मेदारों की तानाशाही कहे या अधिकारियों की बेबसी की आदिवासियों के लिये योजनाओं का सरकार ने पहाड तैयार कर रखा है। फिर भी आज तक पंचायत भवन मे डेरा जमाये आदिवासी परिवार को आवास व कूप निर्माण योजना का लाभ देकर पंचायत भवन को खाली नहीं कराया जा सका। जबकि आदिवासी परिवार योजना की पात्रतायें भी रखता है। और इस परिवार की भवन को खाली करनें की मांग भी यही है। साथ ही उक्त आदिवासी परिवार ने पंचायत भवन निर्माण के लिये निजी भूमि दान किया है। लेकिन मजबूर होकर उसी पंचायत भवन मे डेरा जमाये हुए है।