सीधी(ईन्यूज एमपी)-ग्राम बरिगवाॅ विकासखण्ड सीधी की गुलुआ बानों पति मो. सद्दीक का जीवन बेहद साधारण एवं छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए जद्दो-जहद करने वाला था। लेकिन कहते है कि डूबते को तिनके का सहारा ही काॅफी है। ऐसा ही कुछ गुलुआ बानों के साथ हुआ उनके गाॅव में आजीविका मिषन परियोजना आने के कारण, सबसे पहले वो बडेपीर स्व सहायता समूह की सदस्य बनी तथा छोटी छोटी बचत करके अपनी छोटी छोटी जरूरतों को समूह के माध्यम से पूरा करना सीखा। समूह से छोटा ऋण 5000 रू. लेकर विसातखाना की दुकान शुरू की। धीरे-धीरे आमदनी बढी तो कर्ज का पैसा वापस करके पुनः बडा ऋण 50000 रू. लेकर रूई की धुनाई करने वाली मशीन ले आई और इस काम में अपने पति को लगाया, इस प्रकार आमदनी बढने के साथ-साथ अपने पति को भी रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया। विसातखाना एवं रूई के काम से अच्छी आमदनी होने लगी तो कर्ज का पैसा वापस करने के साथ-साथ सायकल रिपेयरिंग का भी काम शुरू कर अपने बेटे को भी काम पर लगाया। इस प्रकार आज वही गुलुआ बानो जो गुजरे वक्त में छोटी-छोटी जरूरतों के लिए जद्दों जहद करती थी, गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकल कर दो लोगों (पति और बेटे) को रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया। आज गुलुआ बानों की आमदनी 15000 से 20000 रू प्रति महीने है, और वह लखपति क्लब की सदस्य है। गुलुआ बानों कहती है यह सब उनके लिए किसी सपने से कम नहीं लेकिन उनका यह सपना साकार हुआ है तो आजीविका मिशन के कारण जिसने उन्हे जीने की नई राह दिखाई है।