भोपाल (ईन्यूज एमपी)-प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर शनिवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। वे डॉ. बाला सरस्वती सुसाइड केस में कार्रवाई नहीं होने से नाराज हैं। जूडा की इस हड़ताल को करीब सात स्टेट के जूनियर डॉक्टर भी सपोर्ट कर रहे हैं। इनके द्वारा इमरजेंसी में भी सेवाएं नहीं देने का ऐलान किया गया है। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (GMC) भोपाल के अध्यक्ष डॉ. संकेत सीते ने बताया कि भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और सागर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों की प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो गई है। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ. कुलदीप गुप्ता ने बताया कि हमें तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और बिहार से भी जूनियर डॉक्टर्स सपोर्ट कर रहे हैं। अमृतसर मेडिकल कॉलेज में कैंडल मार्च निकाला गया है। रविवार को गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की जूनियर डॉक्टर डॉ. बाला सरस्वती ने सुसाइड कर लिया था। 5 दिन से GMC में साथी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल को प्रदेशव्यापी सपोर्ट मिल गया है। सभी डॉ. अरुणा कुमार के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। हालांकि, अरुणा कुमार को HOD के पद से हटाया जा चुका है। भोपाल GMC में डॉ. बाला सरस्वती के मां-पापा और बड़ी बहन भी हड़ताल में शामिल हुए हैं। शुक्रवार को कॉलेज काउंसिल की दो बैठकें भी हुईं। कोई नतीजा नहीं निकल सका। भोपाल कलेक्टर आशीष सिंह भी पहुंचे। उन्होंने डॉक्टर बाला सरस्वती को श्रद्धांजलि दी। मेडिकल कॉलेज के कई बड़े अधिकारियों ने भी जूनियर डॉक्टर से संपर्क कर उनकी परेशानियों को समझा। जूनियर डॉक्टर के सभी डॉक्टर्स ने शुक्रवार को काले कपड़े पहनकर ब्लैक फ्राइडे मनाया। शुक्रवार को महिला एवं प्रसूति विभाग के दूसरे डॉक्टर ने भी मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन को लेटर लिखकर डॉ. अरुणा कुमार पर लगे सारे आरोपों को सही बताया है। उन्हें हटाने की मांग भी की है। सीनियर डॉक्टर्स ने भी लेटर लिखकर जूनियर डॉक्टर्स का समर्थन किया है। जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल के कारण शुक्रवार को करीब 30 ऑपरेशन टालना पड़े हैं। शुक्रवार को हमीदिया में कुल 23 ऑपरेशन हुए। आमतौर पर यहां 50 से अधिक ऑपरेशन होते हैं। जनरल ओटी में 8, ईएनटी में 1, सर्जरी में 4, ऑर्थों में 3, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी में 2 सहित कुल 23 ऑपरेशन किए गए। इसके अलावा 1165 मरीज ओपीडी में पहुंचे। 73 मरीजों को भर्ती भी किया गया। आम दिनों में इसकी संख्या क्रमश: 200 और 250 होती है।