भोपाल (ईन्यूज एमपी)-गंगा और यमुना की सहायक नदियों के संरक्षण के लिए बुधवार को मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता में स्टेट गंगा कमेटी की पहली बैठक हुई। इसमें प्रदूषण नियंत्रण के लिए नेशन मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमजीसी) के तहत मप्र के 34 जिलों में जिला गंगा समिति बनाने का निर्णय लिया गया है। इन जिलों में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा, उज्जैन, सागर समेत विंध्य, मालवा, ग्वालियर-चंबल और भोपाल मध्य क्षेत्र के जिले शामिल हैं। ये सभी जिले गंगा-यमुना कैचमेंट का हिस्सा हैं। इसके साथ ही स्टेट गंगा कमेटी में 5 विशेषज्ञ सदस्य नियुक्त किए जाएंगे, जो पर्यावरण व हाइड्रोलॉजी के रिटायर्ड प्रोफेसर या वैज्ञानिक हो सकते हैं। सीएस ने बैठक में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत मप्र को मिले 704 करोड़ के पांचों प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा की। इंदौर में 511 करोड़ के टेंडर हो चुके, शिप्रा के लिए जल्द होंगे नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से बताया गया कि इंदौर में 511 करोड़ के एसटीपी प्रोजेक्ट के लिए टेंडर हो गए हैं, जबकि उज्जैन में शिप्रा पर 92 करोड़ से एसटीपी निर्माण के टेंडर जल्द होंगे। मंदसौर में शिवना नदी पर घाट निर्माण और नाला डायवर्जन का काम एप्को के पास है, जबकि चित्रकूट में मंदाकिनी नदी पर घाट और नाला डायवर्जन का जिम्मा जल संसाधन विभाग को दिया है। ग्वालियर में मुरार नदी पर एसटीपी का काम केंद्र सरकार की कंपनी वैपकॉस कर रही है। एनजीटी ने कहा- चंबल सेंक्चुरी से डिनोटिफाई जमीन की समीक्षा की जाए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राष्ट्रीय चंबल सेंक्चुरी से मप्र के मुरैना जिले में डिनोटिफाई की गई 207 हेक्टेयर नदी किनारे की जमीन की समीक्षा करने को कहा है। एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच ने चंबल नदी में रेत के अवैध खनन से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव और मप्र शासन के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे इस डिनोटिफिकेशन के कारण और जरूरतों की समीक्षा करें। गौरतलब है कि चंबल नदी से अवैध रेत खनन रोकने के लिए वैधानिक रूप से रेत खदान शुरू करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने 31 जनवरी 2023 को मुरैना जिले में चंबल नदी किनारे 207 हेक्टेयर की पट्टी को डिनोटिफाइ किया था।