भोपाल (ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों को वर्तमान समय की आवश्यकता के अनुसार प्रशिक्षित करने के लिए सरकार 22 साल बाद प्रशिक्षण नीति बदलेगी। इसके लिए क्षमता निर्माण नीति 2023 तैयार की गई है। इसमें मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य क्षमता निर्माण परिषद का गठन किया जाएगा। मिशन कर्मयोगी के नाम से दस करोड़ रुपये का बजट रखा जाएगा। प्रस्तावित नीति पर अंतिम निर्णय बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में लिया जाएगा। प्रदेश में अधिकारियों-कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए 11 जुलाई 2001 में प्रशिक्षण नीति लागू की गई थी। केंद्र सरकार वर्ष 2012 में संशोधित नीति लागू कर चुकी है, पर प्रदेश में पुरानी नीति ही चली आ रही है। कानूनों में कई संशोधन हो चुके हैं और नई तकनीकों का उपयोग शासकीय कार्यों में किया जा रहा है। इसे देखते हुए वर्तमान नीति में संशोधन की आवश्यकता थी। केंद्र सरकार कर्मचारियों की क्षमता निर्माण के लिए मिशन कर्मयोगी लागू किया है। इसके आधार पर नई नीति तैयार की गई है। इसमें लोक सेवकों के सर्वांगीण विकास पर बल दिया गया है। नीति के दायरे में प्रथम श्रेणी, संविदा से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के कर्मचारी आएंगे। बड़े पैमाने पर क्षमता निर्माण के कार्यक्रम होंगे। विभिन्न क्षेत्रों की संस्थाओं की सेवाएं ली जाएंगी। प्रत्येक पांच वर्ष में नीति की समीक्षा होगी। प्रत्येक विभाग के वेतन मद में उपलब्ध बजट में से एक प्रतिशत राशि से मिशन कर्मयोगी नाम से बजट शीर्ष बनाया जाएगा, जो दस करोड़ रुपये का होगा। इसके अलावा बैठक में प्रत्येक जिले में एक-एक बालक/बालिका समरसता छात्रावास के भवन निर्माण के लिए 370 करोड़ रुपये की स्वीकृति, स्व-सहायता समूहों से दो करोड़ रुपये से कम उपभोक्ता शुल्क संग्रहण वाले मार्गों का काम देने, आइटी, आइटीइएस एवं ईएसडीएम निवेश प्रोत्साहन नीति एवं योजना 2016 की अवधि नई नीति के प्रभावशील होने तक करने के प्रस्ताव पर निर्णय लिया जाएगा।