*सरपंच के बिना हस्ताक्षर से निकाली लाखों की राशि खयानत प्रमाणित* *मामला ग्राम पंचायत पांड़ का* पथरौला/सीधी (ईन्यूज यमपी)- जनपद पंचायत मझौली के विभिन्न ग्राम पंचायतों द्वारा किए गए फर्जीवाड़े की कलई इन दिनों की जा रही सोशल ऑडिट से सामने आने लगी है ग्राम पंचायत छुही के फर्जीवाड़े की चर्चाएं अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि ग्राम पंचायत पांड़ में सरपंच के बगैर हस्ताक्षर के सचिव द्वारा लाखों की राशि बिना कार्य कराए ही आहरित कर ली गई है जो इन दिनों सोशल ऑडिट किए जाने के दौरान प्रकाश में आई है। बताते चलें कि मनरेगा योजना को और ज्यादा सशक्त, प्रभावी, पारदर्शी एवं उद्देश्यपरक बनाए जाने के उद्देश्य से वर्ष 2019-20 एवं 20-21 में कराए गए मनरेगा के कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण कराए जाने का आदेश प्रदेश सरकार के द्वारा जारी किया गया है। उसी के तहत ग्राम पंचायत पांड़ में भी व्ही एस ए टीम जिसमें धीरज मिश्रा, संप्रास द्विवेदी एवं शालू देवी विश्वकर्मा हैं। जिनके द्वारा कार्य स्थलों का भौतिक अंकेक्षण करने के बाद ग्रामसभा के माध्यम से सोशल ऑडिट (सामाजिक अंकेक्षण)की कार्यवाही की गई। जिसमें नोडल अधिकारी कमलाकर सिंह बीएससी मझौली एवं कार्यवाही लेखक संजय सिंह तोमर सी ए सी के द्वारा संपरीक्षा समिति एवं ग्रामीणों की उपस्थिति में ग्राम सभा में जहां कराए गए मनरेगा के कार्यों का वाचन किया गया वहीं इस संबंध में ग्रामीणों से राय व जानकारी चाही गई जिस पर ग्रामीणों ने 75%कार्यों को गुणवत्ताहीन एवं अधूरा बताया वही लाखों रुपए की मजदूरी बकाया होने की जानकारी दी गई। कार्यवाही में इस बात का उल्लेख किया गया है कि सचिव एवं सहायक सचिव को सोशल ऑडिट के लिए आयोजित ग्राम सभा में दस्तावेज के साथ उपस्थित होने के लिए सूचित किया गया था। बावजूद इसके सचिव द्वारा ना तो कोई दस्तावेज उपलब्ध कराया गया है और ना ही ग्राम सभा में आने की जरूरत महसूस की गई वहीं सहायक सचिव 5 मिनट के लिए आकर अंकेक्षण टीम को ही उल्टा धमकी दी गई कि सोशल ऑडिट नहीं करने देंगे और ना ही ग्रामसभा करने देंगे ऐसा कर कार्यवाही में व्यवधान भी पैदा किया गया। सबसे गंभीर बात यह है कि ग्राम सभा के मध्य ग्राम पंचायत की महिला सरपंच/प्रधान अपना कथन लेख कराया है। जिसमें कहा गया है कि वर्ष 29-2020 से 20-21तक मनरेगा अंतर्गत मेरे द्वारा ऐसे किसी भी चेक में हस्ताक्षर नहीं किया गया है जो कार्य जमीनी स्तर पर न किया गया हो। ग्राम पंचायत द्वारा वित्त वर्ष 19-20 व 20-21में की गई मनरेगा की गबन राशि 347 548 रु (तीन लाख सैतालिस हजार पांच सौ अड़तालीस)मेरी जानकारी में नहीं है न हि गवन की गई है राशि वाले चेक में मेरे द्वारा हस्ताक्षर किया गया है। इसी राशि के खयानत होने के संबंध में सामाजिक अंकेक्षण कार्यवाही में भी उल्लेख करते हुए इसे खयानत किया जाना प्रमाणित कर अपने प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया है। इसके साथ ही आधे अधूरे कार्यों को पूर्ण कराने एवं बकाया मजदूरी शीघ्र भुगतान कराने का भी प्रस्ताव किया गया है। वरिष्ठ कार्यालय के आदेशों की हुई अवहेलना- मध्यप्रदेश शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग भोपाल द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि सोशल ऑडिट के लिए आयोजित ग्राम सभा में सचिव एवं रोजगार सहायक की उपस्थिति अनिवार्य है व ग्राम सभा में पूरा सहयोग किए जाने का निर्देश दिए गए थे। अगर इनकी उपस्थिति नहीं होती है तो एक तरफा दोषी मानते हुए अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए उल्लेख किया गया है। अब देखना है कि जहां प्रदेश सरकार के आदेश की अवहेलना की गई है। वहीं आदेश के विपरीत ग्राम सभा व सामाजिक अंकेक्षण को असफल करने का प्रयास किया गया है तो ऐसे दोषियों पर क्या कार्यवाही होती है? जिला पंचायत में टिकी निगाहें- अंकेक्षण टीम द्वारा प्रतिवेदन जिला पंचायत में दिया जाता है। इसलिए सभी की निगाहें जिला पंचायत में टिकी हैं। ग्राम पंचायत द्वारा किए जा रहे कथित भ्रष्टाचार को लेकर सामाजिक अंकेक्षण में उजागर होने वाले गबन एवं सचिव और रोजगार सहायक के द्वारा किए गए असहयोग के मामले में जिला पंचायत का चाबुक चलेगा या ऐसे संवेदनशील व गंभीर मामले को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाएगा। हमारी टीम को ग्राम पंचायत में सामाजिक अंकेक्षण के लिए अधिकृत किया गया था। जहां दिशानिर्देश के मुताबिक अंकेक्षण कार्यवाही की गई। जिसमें सचिव व सहायक सचिव असहयोग करते रहे व्यवधान पैदा करने का प्रयास किया गया है। साढ़े तीन लाख रुपए खयानत होना भी प्रमाणित किया गया है। प्रतिवेदन जिला पंचायत में दिया जाएगा। धीरज मिश्रा व्ही एस ए