उदयपुर(ईन्यूज एमपी)-उदयपुर के ग्रामीण इलाकों में आतंक का पर्याय बन चुका आदमखोर तेंदुए को आखिरकार जिंदा पकड़ लिया। एक-एक करके जब इस तेंदुए ने सात लोगों की जान ले ली तो वन विभाग ने इसका एनकाउंटर करने का विचार बनाया था, लेकिन इसे पकड़ने गई टीम की जिद थी कि इसे जिंदा ही पकड़ेंगे और ऐसा ही हुआ। इस तेंदुए का इतना खौफ था कि ग्रामीण इलाकों में अघोषित लाॅकडाउन लगा हुआ था, लोगों ने घरों से बाहर निकलना छोड़ दिया था। तेंदुए ने 3 महीनों से अरावली की पर्वत शृंखला से सटे गांवों में उत्पात मचा रखा था। इस दौरान तेंदुआ इंसानों को भी अपना शिकार बनाया। ग्रामीणों ने तेंदुए को पकड़ने के लिए विरोध शुरू कर दिया था।देखिये तेंदुए को पकड़ने की कहानी DFO मुकेश सैनी ने बताया कि वन्यजीवों के साथ मेरा अनुभव काफी पुराना है, लेकिन इस बार अरावली वन क्षेत्र में तेंदुए को पकड़ने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि मानसून की शुरुआती बारिश के बाद वन क्षेत्र काफी सघन हो गया है। इसमें कुछ ही दूरी पर आसानी से नहीं दिखाई देता। ऐसे में हमारी टीम ने घने जंगलों में तेंदुए को पकड़ने के लिए पारंपरिक पद्धति के साथ आधुनिक संसाधनों का भी उपयोग किया, लेकिन कई दिनों तक हमारी टीम तेंदुए को को देख भी नहीं पाई। सैनी ने बताया कि हमारी टीम ने इस बार तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने के साथ ही ट्रैप कैमरों का भी उपयोग किया। इसके लिए सघन वन क्षेत्र में नाइट विजन युक्त ट्रैक कैमरे लगाए गए, जिससे कि रात के वक्त में भी तेंदुए की हलचल को देखा जा सकें, लेकिन तेंदुआ पिंजरे और ट्रैप कैमरे की पकड़ में भी नहीं आया। इसके बाद हमने हमारे संसाधन बढ़ाने के साथ ही जयपुर चित्तौड़गढ़ और राजसमंद की वाइल्डलाइफ टीम का भी सहयोग लिया। जो चौबीसों घंटे जंगलों में तेंदुए की तलाश में जुटी हुई थी। इस दौरान वन विभाग द्वारा 9 पिंजरे, 20 ट्रैप कैमरे और 4 जिलों के वनकर्मी दिन रात आदमखोर को पकड़ने की कोशिश में जुटे हुए थे। इसके बाद हमने तेंदुए को पकड़ने के लिए जयपुर से विशेषज्ञ डॉक्टर अरविंद माथुर को भी बुलाया। सैनी ने बताया कि माथुर ने हमारे साथ सघन वन क्षेत्र में दौरा किया और तेंदुए के फुट मार्क के आधार पर ट्रैप कैमरों की दिशा में परिवर्तन का सुझाव दिया था। इसे हमने लागू किया। इसके बाद दो बार नर तेंदुआ जिसकी उम्र लगभग 8 से 9 वर्ष थी ट्रैप कैमरे में कैद हुआ। फिर हमारी टीम ने उसी स्थान पर पहुंच तेंदुए के फुट मार्क के आधार पर पिंजरों की दिशा में भी परिवर्तन किया। इसके बाद बकरी का शिकार करने पहुंचा तेंदुआ वन विभाग से पिंजरे में कैद हो गया।