भोपाल(ईन्यूज एमपी)मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने एक बार फिर से ईवीएम पर सवाल खड़े किए हैं। एक टीवी कार्यक्रम में कमलनाथ ने कहा कि कहा कि आज ये ईवीएम का चक्कर क्या है। उन्होंने कहा कि मैं देश की जनता से पूछना चाहता हूं कि आज ईवीएम से देश में चुनाव करना के भाजपा की जिद क्या है? ईवीएम में कौन सी खुशबू आती है? उन्होंने कहा कि अगर आप जीतते हैं तो बैलेट से जीतिए। कमलनाथ ने कहा कि अगर आम जनता में या किसी को भी शक है तो आप खड़े होकर कहिए और बैलेट से चुनाव लड़िए। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि आप कांग्रेस का वोट नहीं लूट रहे हैं आप आम जनता का वोट लूट रहे हैं।2018 में जीत के बाद ईवीएम पर सवाल नहीं उठाने के बारे में कमलनाथ ने कहा कि लोकसभा चुनाव में खुद को बचाने के लिए इन्होंने चिह्नित सीटों पर ईवीएम से छेड़छाड़ की। उन्होंने कहा कि राजस्थान में भी ऐसा ही हुआ। उन्होंने कहा कि हम बैलेट पेपर को लेकर अभियान चलाएंगे। इसको लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन होगा। कमलनाथ ने कहा कि इसके लिए अन्य दलों से बात हो रही है। कमलनाथ ने कहा कि आज अमेरिका में ईवीएम नहीं है। पूरे यूरोप, जापान में ईवीएम नहीं है। पर अपने देश में ईवीएम है। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि ईवीएम की शुरुआत कांग्रेस के समय हुई थी। उन्होंने कहा था कि पहले आज जैसी तकनीक नहीं है। पूर्व सीएम ने कहा कि मेरे पास कई लोग आए जिन्होंने कहा कि हम इसे फिक्स कर सकते हैं लेकिन मैंने कहा कि मुझे इस पचड़े में नहीं पड़ना है। कमलनाथ ने कहा कि साल 2018 में मध्यप्रदेश की जनता ने कांग्रेस को जनादेश दिया था। 15 महीने बाद सौदेबाजी की सरकार बनी। सौदा करके सरकार बनाई और पिछले एक साल से यह सौदेबाजी की सरकार चल रही है। पूर्व सीएम ने कहा कि मुझे उस वक्त दो महीने पहले से ही पता था कि सौदेबाजी हो रही है। इसकी जानकारी विधायक उन्हें खुद देते थे। पार्टी की सरकार गिरने और खुद का नुकसान होने के सवाल पर कमलनाथ ने कहा कि वह नहीं चाहते थे कि मध्यप्रदेश की पहचान सौदेबाजी को लेकर हो। उन्होंने कहा कि मैंने अपना नफा नुकसान नहीं देखा। मैंने अपने सिद्धांतों और नैतिकता को लेकर सौदेबाजी नहीं की। 27 सीटों पर हुए उपचुनाव में अपनी सीट नहीं बचा पाने के सवाल पर कमलनाथ ने उपचुनाव पर ही सवाल खड़े किए। इस उपचुनाव में कांग्रेस के खाते में 10 सीटें आई थीं।मध्यप्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए थे। उनके साथ उनके समर्थक विधायकों ने भी भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई थी।