भोपाल (ईन्यूज एमपी)-संविदाकर्मियों की सेवा-शर्तों में 24 घंटे बाद ही संशोधन किए जाने पर सहमति बन गई। जल्द ही हर साल उनके मूल्यांकन और उनके कामकाज के आधार पर सेवा वृद्धि के नियमों को हटाया जाएगा। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों के मुताबिक ही संविदाकर्मियों को अवकाश दिए जाएंगे। उपयोग नहीं होने पर इन अवकाश को अगले साल कैरी फॉर्वर्ड किया जाएगा। संविदाकर्मचारी संगठनों ने रविवार को सीएम हाउस जाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की और सामान्य प्रशासन विभाग के अफसरों की मनमानी सेवा-शर्तों की जानकारी दी। साथ ही बताया कि कुछ नियम आपकी (सीएम) घोषणाओं के विपरीत हैं। सीएम ने इन सभी विपरीत शर्तों को बदलने का भरोसा दिया। राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेशचंद्र शर्मा ने बताया कि सारे संगठन से जुड़े 40 लोग सीएम से मिले हैं। सेवा-शर्तों जारी करने की बधाई देने के साथ ही कमियों की जानकारी दी है। इसे उन्होंने संशोधित करने की बात कही है। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि सारी बातें सीएम को बताई गई हैं। उन्होंने सेवा-शर्तों को बदलने का आश्वासन दिया है। मप्र कर्मचारी मंच के अशोक पांडे ने कहा कि वर्तमान सेवा शर्तें संविदा कर्मियों की विरोधी हैं। अव्यवहारिक हैं।कंडिका तीन से लेकर कई कमियां हैं। इधर, सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार का कहना है कि जब शासन में कोई सेवा ली जाती है तो उसका मूल्यांकन तो होगा। इसीलिए संविदा की शर्तों में यह जोड़ा गया है। इसी आधार पर सेवा समाप्ति की बात है। बाध्यता नहीं, सिर्फ अफसरी वकील अशोक श्रीवास्तव ने कहा संविदा के नियम और शर्तों के लिए कोई कानूनी बाध्यता नहीं है कि उनकी सेवा वृद्धि में मूल्यांकन जैसी बात जोड़ी जाए। मूल्यांकन के आधार पर सेवा समाप्त करने की कार्रवाई होगी। यह सिर्फ अफसरों का किया धरा है। पिछले साल ही हाईकोर्ट ने संविदा मामले में आदेश दिया है कि संविदा की सेवाएं ज्यादा लंबी नहीं चलनी चाहिए। लेकिन मप्र में 25-25 साल से लोग इसी व्यवस्था में काम कर रहे हैं। जबकि उन्हें नियमित किया जा सकता है। हास्यास्पद बात है कि 50% का रिजर्वेशन दे रहे हैं और सेवा टर्मिनेट करने का अधिकार भी रख रहे हैं। जब सेवा ही नहीं रहेगी तो इसका लाभ कौन लेगा। फिर कैसे सालाना वेतनवृद्धि का लाभ मिलेगा। यह सब अव्यवहारिक है। घोषणा-शर्तों की हकीकत- अब बदलाव की आस 1. मूल्यांकन - सीएम ने कहा था कि हर साल सेवा वृद्धि की बाध्यता नहीं रहेगी। हकीकत - अफसरों ने विपरीत नियम बरकरार रखा। मूल्यांकन शब्द जोड़ा। 2. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ना - सरकारी कर्मियों को छमाही डीए। हकीकत - संविदाकर्मियों को मजदूर मानकर मूल्य सूचकांक से जोड़ा गया। 3. छुट्टियों में खेल - सरकारी कर्मियों को 13 सीएल, 30 ईएल, 20 मेडिकल। बचने पर अगले साल कैरी फारवर्ड। हकीकत - संविदा को 13 सीएल, 15 विशेष अवकाश दिए गए हैं। 4. पुराने और नए कर्मियों में अंतर - जिन संविदाकर्मियों को 25 से 30 साल हो गए, उनका वेतन वर्तमान संविदाकर्मियों की तरह होगा। हकीकत - नियमित कर्मियों की तरह टाइम स्केल, क्रमोन्नत वेतनमान, काल्पनिक वेतनवृद्धि मिलनी चाहिए। 5. तो कैसा आरक्षण - सरकारी भर्तियों में 50% संविदाकर्मियों का कोटा। शर्त जोड़ी भर्ती परीक्षा देनी होगी। हकीकत - संविदाकर्मी एमपी ऑनलाइन, व्यापमं से चयनित। फिर परीक्षा लेना सवालों के घेरे में है।