भोपाल (ईन्यूज एमपी)- प्रदेश के चार राजमार्गों पर फिर से टोल टैक्स लगेगा। निवेशकर्ताओं द्वारा अनुबंध से पीछे हटने की वजह से अब लोक निर्माण विभाग नए सिरे से एजेंसी तय करेगा। इस पर निर्णय के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा। साथ ही न्यायिक सेवा में चयनित अभ्यर्थी को नियुक्ति के समय तीन साल अनिवार्य रूप से देने संबंधी पांच लाख रुपये का बंधपत्र देना होगा। इसके लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा (भर्ती तथा सेवा की शर्तें) नियम 2017 में संशोधन किया जा रहा है। मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम के अंतर्गत सागर-दमोह, बीना-खिमलासा-मालथोन, महू-घाटाबिल्लोद और भिंड-मिहौना-गोपालपुरा मार्ग पर टोल टैक्स लगाया था लेकिन निवेशकर्ताओं ने अनुबंध समाप्ति का अनुरोध किया था। दिसंबर 2020 में निगम ने अनुबंध समाप्त कर दिए। इन मार्गों पर अब नए सिरे से टोल टैक्स लेने के लिए एजेंसी तय की जाएंगी। इसके लिए लोक निर्माण विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा। वहीं अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं नि:शक्तजनों के बैकलाग पदों की पूर्ति के लिए विशेष भर्ती अभियान की अवधि एक जुलाई 2021 से 30 जून 2022 तक बढ़ाने पर भी निर्णय लिया जाएगा। 30 जून 2021 को विशेष भर्ती अभियान की अवधि समाप्त हो चुकी है। सरकार उच्च न्यायालय, जबलपुर की अनुशंसा पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा (भर्ती तथा सेवा की शर्तें) नियम 2017 में संशोधन करने जा रही है। इसके तहत न्यायिक सेवा के नियमित अभ्यर्थी से नियुक्ति के समय पांच लाख रुपये का बंधपत्र निष्पादित कराया जाएगा। इसके अनुसार पदभार ग्रहण करने के बाद न्यूनतम तीन साल तक सेवा देना अनिवार्य होगा। किसी भी कारण से त्यागपत्र देकर सेवाएं नहीं देने पर बंधपत्र की राशि या तीन माह के वेतन व भत्ते, जो अधिक हो, देय होगी। इस शर्त का उल्लंघन करने पर बंधपत्र की राशि राजसात की जा सकेगी। यदि केंद्र या राज्य सरकार की अनुमति लेकर त्यागपत्र दिया जाता है तो बंधपत्र की राशि का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी। एक अन्य प्रस्ताव के अनुसार मानसिक चिकित्सालय इंदौर का उन्नयन सेंटर फार एक्सीलेंस के रूप में किया जाएगा। इससे मनोरोग विषय में एमडी की चार, क्लीनिकल साइकोलाजी में 18 एमफिल, साइकियाट्रिक सोशल वर्क में 18 एमफिल और साइकियाट्रिक नर्सिंग डिप्लोमा कोर्स की 40 अतिरिक्त सीट प्रारंभ की जा सकेगी। इसके साथ ही महाराजा कालेज छतरपुर का सभी संसाधनों सहित महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में संविलियन के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।