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Home सीधी दर्पण *भुईमाड़ में बडे ही धूमधाम से मनाया गया कजलियां का त्यौहार, वर्षो पुरानी परंपरा अनुसार नाचतें गाते दिखें लोग*

*भुईमाड़ में बडे ही धूमधाम से मनाया गया कजलियां का त्यौहार, वर्षो पुरानी परंपरा अनुसार नाचतें गाते दिखें लोग*

भुईमाड़(ईन्यूज एमपी)- सोमवार को आदिवासी विकासखंड कुशमी के भुईमाड़ क्षेत्र वर्षों से चली आ रही परपंरा अनुसार कजलियां का त्यौहार बडे ही धूमधाम से मनाया गया, आपको बता दें कि भुईमाड़ मे क्षेत्र में कजलियां को काफी उत्साह रहती है, भुईमाड़ मे कजलियां का त्यौहार भुईमाड़ से लेकर गैवटा स्थिति देवरी बांध पर भुईमाड़, गैवटा, देवरी,सोनगढ, करैल,सेमरा, केशलार तक के लोग दिखाई दिये, जहाँ पर लोग वर्षों से चली आ रही है पुरानी परंपरा के अनुसार लोग नाचतें गा कर लोग त्यौहार का लुक उठाया, तो वहीं लोग एक दूसरे को जई देकर रिश्ता अनुसार बडों से पैर छूकर आर्शीवाद लिया, आपको बता दें कि कजलियां पर्व को लेकर लोग नागपंचमी या फिर किसी अन्य निर्धारित तिथि पर अमने घर में बांस की टोकनियों या मटकों के कल्लों में मिट्टी भरकर उसमें गेहूं के दाने डालते हैं। इनकी रोज सिंचाई व देख रेख की जाती है।, रक्षा बंधन तक ये दाने लहलहाते पौधों में तब्दील हो जाते हैं। इन हरित तृणों को कजलियां कहा जाता है। रक्षाबंधन के दूसरे दिन महिलाएं इन कजलियों को सिर पर रखकर जलाशयों में पहुंचती हैं। मंगलगीतों के साथ कजलियों को तोड़ा जाता है। कुछ कजलियां विसर्जित कर दी जाती हैं। कुछ हिस्सा वापस घरों में धुलकर घर लाया जाता है।, इस दौरान भुईमाड़ पुलिस भी लगातार क्षेत्र में गस्त करती दिखीं एवं देवरी बांध पर ड्यूटी करनें के साथ ही लोगों को बांध मे भरे पानी की तरफ नहीं जाने दिया,और लगातार ड्यूटी पर लगें रहें।


ऐ भी है कहानी

महोबा के सिंह सपूतों आल्हा-ऊदल-मलखान की वीरता आज भी उनके वीर रस से परिपूर्ण गाथाएँ बुंदेलखंड की धरती पर बड़े चाव से सुनी व समझी जाती है। महोबे के राजा के राजा परमाल, उनकी बिटिया राजकुमारी चन्द्रावलि का अपहरण करने के लिए दिल्ली के राजा पृथ्वीराज ने महोबे पै चढ़ाई कर दि थी।


राजकुमारी उस समय तालाब में कजली सिराने अपनी सखी-सहेलियन के साथ गई थी। राजकुमारी कौ पृथ्वीराज हाथ न लगाने पावे इसके लिए राज्य के बीर-बाँकुर (महोबा) के सिंह सपूतों आल्हा-ऊदल-मलखान की वीरतापूर्ण पराकरम दिखलाया था। इन दो बीरों के साथ में चन्द्रावलि का ममेरा भाई अभई भी उरई से जा पहुँचे।


कीरत सागर ताल के पास में होने वाली ये लड़ाई में अभई बीरगति को प्यारा हुआ, राजा परमाल को एक बेटा रंजीत शहीद हुआ। बाद में आल्हा, ऊदल, लाखन, ताल्हन, सैयद राजा परमाल का लड़का ब्रह्मा, जैसें बीर ने पृथ्वीराज की सेना को वहां से हरा के भगा दिया। महोबे की जीत के बाद से राजकुमारी चन्द्रवलि और सभी लोगों अपनी-अपनी कजिलयन को खोंटने लगी। इस घटना के बाद सें महोबे के साथ पूरे बुन्देलखण्ड में कजलियां का त्यौहार विजयोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा है।

*भुईमाड़ से बिहारी लाल गुप्ता की रिपोर्ट*

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