आदरणीय पाठक बंधु सादर अभिवादन स्वीकार हो। हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे। मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें। आपका सचीन्द्र मिश्र सीधी ................................................... 📱 चेहरे चर्चित चार📱 नेता अफसर - विधिक पत्रकार जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार । ................................................... 👉 सुधीर शुक्ल ✍️ पूर्व उपाध्यक्ष ................................................... चर्चित चेहरे चार मे बात एक ऐसे युवा नेता की जो तीन बडे़ नेताओं की पसंदीदा चेहरा है , जी .. हां हम बात कर रहे हैं भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता सुधीर शुक्ल कि, सुधीर का जन्म 1 जनवरी 1975 को रामपुर नैकिन तहसील अंतर्गत तितिरा गांव में हुआ था । चुरहट विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सुधीर शुक्ला ने बीएससी के उपरांत एलएलबी की पढ़ाई की। सन 1995 में भाजपा की सदस्यता लेकर राजनीति की ओर इन्होंने अपना रुख किया, इसके बाद 1996 में भाजपा युवा मोर्चा रामपुर नैकिन मंडल में मंत्री रहे, वर्ष 1998 में भाजपा मंडल रामपुर नैकिन के कोषाध्यक्ष पद पर भी रहे। सन 2000 से 2003 तक ये भाजपा युवा मोर्चा सीधी के जिला उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। इनका राजनीतिक सफर आगे भी चलता रहा जहां यह 2010 से 2016 तक भाजपा के जिला मंत्री रहे, बात करें अभी हाल ही कि तो 20 जून 2021 तक ये बीजेपी के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं, सन 1999 से 2005 तक इन्होंने कृषि उपज मंडी समिति सीधी के उपाध्यक्ष का पद संभाला हैं । इसके अतिरिक्त 1998 से 2008 तक चुरहट विधानसभा क्षेत्र के चुनाव प्रभारी भी रह चुके हैं इस दौरान 2 विधानसभा और दो लोकसभा का चुनाव इन्होंने संपन्न कराया है, सुधीर शुक्ला अपने अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं वर्तमान में ये भाजपा के जिला कार्यसमिति के स्थाई आमंत्रित सदस्य भी हैं। सुधीर शुक्ल सीधी के 3 बड़े नेताओं के खासम खास माने जाते हैं पूर्व सांसद गोविंद मिश्र , राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह एवं सीधी के बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ल के करीबी हैं । इन तीन नेताओं में से पूर्व सांसद गोविन्द मिश्र इनके मार्गदर्शक हैं जिनके चरणों मे बैठ कर थोड़ी बहुत राजनीति का ककहरा सीखा है जिन्हे वह आज भी अपना राजनीतिक गुरू मानते हैं । वंहीं अजय प्रताप सिंह की बात की जाये तो चुनाव प्रवंधन व संगठन में कार्य करने का सलीखा इन्हीं से सुधीर ने सीखा है । बात करें सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ल की जो इनके समूचे परिवार के संरक्षक की भूमिका में हैं जिनके संघर्षों से प्रभावित होकर उनकी नेतृत्व क्षमता सुधीर को प्रभावित करती है । यही कारण है कि सुधीर अपने इन तीन नेताओं को अपना आदर्श मानते हैं । इस चुरहट की युवा तरुणाई ने वह भी दिन देखे हैं जब चुरहट में कांग्रेस की तूंती बोलती थी , तब इस चेहरे ने चुनावों व मंचों का अंतरमन से संचालन किया है । इतना ही नही 21 साल की आयु में सुधीर कृषि उपज मण्डी सीधी के उपाध्यक्ष चुने गये और किसानों की आवाज वनकर अनेक समस्याओं का समाधान कराया है । बीजेपी की बिचारधारा सुधीर की रोमरोम में समाहित है , दलबदलू नही है , सच्चाई और बिचारों को जीने वाले इस युवा तरुणाई के हांथों भले ही कुछ सफलता हांथ नही लगी किंतु वह आज भी अपने विचारों पर अडिग है और रहेगा । हलाकि वर्तमान अनुकूल नही हे किंतु वह समझौतावादी भी नही चूंकि वह अक्सर सिद्धांत और विचारों को सर्वश्रेष्ठ माना है कारण कि केदारनाथ शुक्ल जैसी विभूतियां उनके मन में नेता नही एक विचार वन चुके हैं । ................................................... 👉 डी.के. द्विवेदी ✍️ संहायक संचालक .................................................. आज हम जिस अधिकारी की बात करने जा रहे हैं वह एक शिक्षक ,प्रशासकीय अधिकारी, साहित्यकार एवं मंच उद्घघोषक के रूप में जिले में चर्चित है। जी... हां हम बात कर रहे हैं बहुमुखी प्रतिभा के धनी जनजातीय कार्य विभाग सीधी में पदस्थ सहायक संचालक (शिक्षा) डॉक्टर डी .के .द्विवेदी की जिनका जन्म 1 अगस्त 1968 को सिंगरौली जिले के ग्राम पराई में एक किसान परिवार में हुआ । इन्होंने स्कूली शिक्षा की पढ़ाई कर्थुआ से और हायर सेकेंडरी की पढ़ाई वर्तमान उत्कृष्ट विद्यालय सीधी से पूर्ण की ।संजय गांधी स्मृति स्नातकोत्तर महाविद्यालय सीधी से इन्होंने बीकॉम की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के उपरांत ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय रीवा में एम काम में दाखिला लिया ।पिताजी कृषक थे जिसके कारण आर्थिक तंगी थी । उच्च शिक्षा प्राप्त करना आपके लिए एक चुनौती थी, किंतु आप उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए तत्पर थे और आपने ट्यूशन पढ़ाकर कॉलेज की पढ़ाई पूर्ण की। वर्ष 1990 में एमकॉम की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद आप अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा से बी. एड एम. ए. अर्थशास्त्र एवं पी-एच डी. की उपाधि प्राप्त की। आप बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे तथा सदैव प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए । एम. ए. अर्थशास्त्र की परीक्षा में आप विश्वविद्यालय के टॉपर विद्यार्थियों में से एक रहे हैं ।पी-एचडी. के दौरान आप कई सेमिनार तथा गोष्ठियों में भाग लिए। आपके पास कई उपलब्धियां हैं ।आप की उपलब्धियों को एक शिक्षक प्रशासनिक अधिकारी साहित्यकार एवं उद्घोषक के रूप में उद्धृत करना समीचीन होगा । आप वर्ष 1995 के जनजातीय कार्य विभाग के सीधी भर्ती के व्याख्याता हैं , आप वर्ष 1996 से वर्ष 2004 तक जनजातीय कार्य विभाग सीधी की विशिष्ट संस्था शासकीय आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चुरहट में रहे। जनजातीय छात्रों के शैक्षणिक एवं शिक्षकेत्तर गतिविधियों के संचालन में आपका महत्वपूर्ण योगदान रहा ।वर्ष 2004 से 2017 तक आप जिले के उत्कृष्ट विद्यालय सीधी में बतौर व्याख्याता रहे तथा सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रम के प्रभारी भी रहे ।वाणिज्य विषय में आपकी गहरी पकड़ है शायद ही वाणिज्य का कोई ऐसा छात्र हो जो आपकी विद्वता से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लाभान्वित न हुआ हो। आपने वाणिज्य विषय का मॉड्यूल लेखन एवं संपादन भी किया है ।आपके पढ़ाए कई छात्र चार्टर्ड अकाउंटेंट कंपनी सचिव, कंपनियों के कुशल प्रबंधक एवं अधिकारी कर्मचारी हैं ।आपने सदैव बोर्ड परीक्षा का शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम दिया है तथा आपके पढ़ाये छात्र प्रदेश तथा जिले की मेरिट में भी स्थान प्राप्त किए हैं। आप उत्कृष्ट विद्यालय से प्रकाशित पत्रिका अपूर्वा का अनवरत 12 वर्षों तक संपादन किए हैं ।आपको वर्ष 2010 एवं 2011 में जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया है तथा वर्ष 2010 एवं 2014 में शैक्षणिक संगोष्ठी भोपाल में व्याख्यान देने पर प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया है। आप जनजातीय कार्य विभाग सीधी में सहायक संचालक शिक्षा के पद पर कार्यरत हैं ,आपने जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थाओं में अध्ययनरत छात्र छात्राओं की शिक्षा गुणवत्ता सुधारने का बीड़ा उठाया है । फल स्वरुप हाई स्कूल तथा हायर सेकेंडरी स्कूल के परीक्षा परिणाम में काफी सुधार हुआ है । शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने में आपका विशेष योगदान है इसके साथ ही शिक्षकों की क्रमोन्नति ,अध्यापक संवर्ग का नवीन संवर्ग में संविलियन ,एक परिसर एक शाला योजना का क्रियान्वयन, तथा विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन में आप की तत्परता देखी जा सकती है। यही कारण है कि आप आम जनों एवं अधिकारियों कर्मचारियों में लोकप्रिय हैं । फिलहाल 26 वर्ष की सेवा में आपकी सनिष्ठा में कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा। आपकी साहित्य में भी गहरी रुचि है आप दो दशकों से साहित्य साधना में लिप्त रहते हुए काव्य लेखन एवं निबंध लेखन कर रहे हैं ।तथा गत 5 वर्षों से बघेली में काव्य सृजन कर रहे हैं ।महकते सुमन ,बाणवीर सप्तक, समय के साखी, सोंधी माटी लोनी बघेली आदि में आप की कविताएं प्रकाशित हैं। साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद मध्य प्रदेश भोपाल द्वारा प्रकाशित बघेली साहित्य के इतिहास में आप बघेली के प्रतिभागी कवि के रूप में हैं ।साहित्य के क्षेत्र में आपके पास कई उपलब्धियां हैं ।टेसू केर फूल पत्रिका का आपने संपादन किया है। आप कई मंचों पर काव्य पाठ कर चुके हैं ।सोंधी माटी लोनी बघेली के आप साहित्य मंत्री भी हैं ।आपको कई साहित्यिक संस्थाओं के द्वारा सम्मान भी प्राप्त हो चुका है ।इसी भांति मध्यप्रदेश शासन का उपक्रम पाठक मंच के आप सुधी समालोचक भी हैं। ऐसे अधिकारी जो अनेक विधाओं में निपुण हो , कर्मठ और कर्तव्यनिष्ठ हो , मिलनसार व्यक्तित्व का धनी हो ...किंतु सीधी की धरा में मूल्यांकन अल्पमत हो ...अपने आपमें यह विचारणीय है । वहरहाल घर की मुर्गी दाल बराबर ...? ................................................... 👉 रोहित मिश्र ✍️ एडवोकेट ................................................... आज हम अपने विशेष पेशकस चर्चित चेहरे चार में जिले के एक ऐसे चर्चित चेहरे की बात कर रहे हैं जो चुरहट विधानसभा के ग्राम भुइयाँ डोल में वर्ष 1989 में जन्मे अधिवक्ता रोहित मिश्रा पेशे से वकील और जिले की युवा राजनीति में कम समय मे ही अपनी अलग छाप छोंड़कर कांग्रेस पार्टी में अपना ब्यवस्थित स्थान बनाकर अलग राजनीतिक सोच कायम कर एक साथ राजनीति और वकालत दोनो ही छेत्रों में मिशाल कायम किया है । प्रारम्भिक शिक्षा गृह ग्राम में हुई उसके बाद स्नातक तक जिले के संजय गांधी महाविद्यालय सीधी में अध्ययन विधि रीवा के शासकीय विधि महाविद्यालय से विधि की पढाई कर आगे वकालत को अपना व्यवसाय चुना वकालत की पढ़ाई के दौरान ही कांग्रेस छात्र संगठन से गहरा लगाव हो गया जिसमें रीवा जिले का महासचिव चुना गया उसी दौरान शासकीय विधि महाविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव के दौरान छात्र संघ अध्यक्ष हेतु चुनाव लड़े जिसमें बराबर बराबर मत हासिल होने पर चिटफंड के माध्यम से चुनाव हार गए राजनीति का जुनून ऐसे चढ़ा की एकबार रीवा रियासत के राजवंश कर्मचारियों द्वारा ब्यापारियों को परेशान करने के सम्बन्ध में मुकदमा दर्ज कराए जाने को लेकर सिविल लाइन रीवा के पुलिस स्टेशन में धरने पर बैठे यह देख सुन पूरे रीवा में चर्चा का विषय रहे जिसके बाद युवा कांग्रेस चुनाव अधिकारी के रूप में दिल्ली के यमुना बिहार में 2 महीने बतौर चुनाव अधिकारी के रूप में संगठन का चुनाव संपादित कराए राजनीतिक सफर की शुरूआत भी यहीं से हुई इस दौरान अनेक राज्यों में संगठन चुनाव प्रभारी के रूप में कार्य किये संगठन के कार्यों में गहरी रुचि और अकाट्य निर्णय के कारण कई राज्यों में काफी चर्चित रहे । कई घटनाएं भी घटित हुई सरगुजा में चुनाव अधिकारी के रूप में कार्य के दौरान जब संगठन का चुनाव करा रहे थे तभी गुटीय राजनीति के शिकार भी हुए उस दौरान आक्रोशित भीड़ ने सिर पर मतपेटी उठाकर मार दिया उसी दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के कद्दावर कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव ने मुलाकात कर संगठन की मीटिंग लिया और शानदार संगठनात्मक कार्य के लिए खूब सराहा , इस तरह की कई घटनाओं को जीवन का संघर्ष समझते हुए संगठन के कार्यो में रोहित लगे रहे वर्ष 2014 से सीधी जिले की राजनीति में सक्रिय होकर वकालत को अपना ब्यवसाय चुना जिस दौरान एक युवा चेहरा सीधी के पूजा पार्क में मझे हुए राजनीतिक शब्दों में विंध्य के कद्दावर नेता अजय सिंह राहुल भैया और प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष कुणाल चौधरी के मंच का संचालन कर रहा था तब सहज ही जिले के जनमानस के बीच चर्चा का विषय बन गया युवा कांग्रेस के संगठन में पदाधिकारी के रूप में कर्तब्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया । संघर्ष कर विधिक छेत्र में खुद को साबित किया वरिष्ठ विधायक मुकेश नायक की ओर से सीधी सांसद के लाभ के दो पदो के सम्बंध में एक तथकथित पत्रकार के साथ पैरवी करने हेतु अधिवक्ता नियुक्त किये जिसका वखूबी निर्वहन कर क़ानूनी दिशा में भी जिले के जनमानस में खूब चर्चित रहे । सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में बढ़ चढ़कर सकारात्मक विधिक और राजनीतिक संतुलन कायम कर जिले भर के युवाओं का केंद्र बिंदु बन गए कुल मिलाकर एक साधारण से गांव में जन्म लेकर देश के कई भाषायी विविधताओं को समझते हुए संगठनात्मक और विधिक छेत्र में आज सक्रिय भूमिका में हैं। किंतु सच कहने के आदी हो चुके रोहित अधिकांश लोगों के मन मस्तिष्क में आज आंखों की किरकिरी बने हुये हैं , शोषल मीडिया में धमाल मचाने वाले रोहित अक्सर नित नये आयामों के साथ सक्रिय भूमिका अदा करने में कोई कोताही नही करते , कभी कभी क्रिया प्रतिक्रिया का दौर ऐसा भी चलता है कि वह " मानननीय " को भी टारगेट करने में कोई चूक नही करते । ................................................ . 👉 दया सिंह ✍️ वरिष्ठ पत्रकार ................................................... चर्चित चेहरे चार में आज हम जिस कलम के सिपाही की बात करने जा रहे हैं उनका इतिहास आजादी के पूर्व का है, और तब से आज तक वह केवल पत्रकारिता में मनोयोग से रमे हुए हैं, हां यह बात अलग है कि वह इतने चर्चित नहीं है कि हर व्यक्ति उन्हें जाने लेकिन क्षेत्र में उनकी सक्रियता एवं उनका काम अपना बखान खुद करता है, जी हां हम बात कर रहे हैं सेमरिया क्षेत्र अंतर्गत सक्रिय पत्रकार दया सिंह की.... दया सिंह का जन्म आधार पंजियन के अनुसार 1 जनवरी 1945 को हस्तिनापुर ग्राम में हुआ, सामान्य परिवार से आने वाले दया सिंह ने 1978 में जागरण के माध्यम से पत्रकारिता जगत में बतौर हाकर प्रवेश किया, इनके संघर्ष का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1980 से लेकर सन 2000 के दशक तक रहिला, भूसा चंदिन और कुबरी बढौरा जेसे पहाड़ को पैदल ही चढ़कर प्रतिदिन ये सीधी का सफर तय करते थे वह भी केवल पत्रकारिता करने के लिए ... दया सिंह भले ही पत्रकारिता जगत से धन और शोहरत हासिल न कर पाए हों लेकिन अपने काम से इन्होंने अपने क्षेत्र में अलग ही सम्मान और मान अर्जित किया है । इन्होंने नवभारत एवं कीर्ति क्रांति जैसे अखबारों के लिए पत्रकारिता की है, हालाकिं पिछले एक दशक से इनकी सक्रियता थोड़ी कम जरूर हुई है लेकिन पत्रकारिता का जोश कम नहीं हुआ और ये आज भी नव भारत में लगे हुए हैं इसके साथ ही दया सिंह बेहद सामाजिक व्यक्तित्व के धनी हैं समय-समय पर समाज हित में कार्य करते रहते हैं दया सिंह वन समिति हस्तिनापुर में तीन पंचवर्षीय तक अध्यक्ष भी रह चुके हैं और वन क्षेत्र में इनके कार्य अनोखे हैं। इस कलमकार की क्षेत्र में दूसरी पहचान डॉक्टर के तौर पर है उनके सम्मान में चुनिंदे चेहरे सासम्मान डॉक्टर कहकर पुकारते हैं । मिलनसार व्यक्तित्व के धनी दया ने अखबार जगत में काफी संघर्ष किया था और आज भी संघर्षरत हैं आज के जमाने की पत्रकारिता में वह भले ही फिटफाट नही हैं किंतु कल की पत्रकारिता के क्षेत्र में वह निपुण रहे हैं और हम जैसे पत्रकार उनके मुरीद हैं ।