जबलपुर (ईन्यूज एमपी)-जबलपुर ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए जरूरी लिपोसोमल अम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की कमी के चलते नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों की जान पर बन आई थी। मेडिकल कॉलेज के म्यूकर माइकोसिस यूनिट में पिछले पांच दिनों से मरीजों को इंजेक्शन की डोज नहीं लगी थी। इसके कारण सर्जरी के बाद राहत महसूस कर रहे मरीज घबरा गए। इसे लेकर परिजनों ने हंगामा भी किया। बुधवार 28 जुलाई की शाम 472 इंजेक्शन मिलने के बाद मरीजों ने राहत की सांस ली। जबलपुर मेडिकल कॉलेज में वर्तमान में 73 मरीज ब्लैक फंगस के इलाजरत हैं। इन मरीजों के लिए एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन का ऑर्डर अस्पताल प्रबंधन ने 17 जुलाई को निर्माता कंपनी को दिया था। देरी पर दो बार रिमाइंडर भी भेजा गया, पर 12 दिन बाद इंजेक्शन की खेप आई। पिछले पांच दिनों से इंजेक्शन और टेबलेट समाप्त होने के चलते मेडिकल में भर्ती मरीज घबरा गए थे। उन्हें डर था कि ऑपरेशन के बाद ठीक हो रहा फंगस कहीं फिर से न प्रभावी हो जाए। इसे लेकर मरीज के परिजन भड़क गए। सभी ने मेडिकल के डीन से मिलकर व्यवस्था कराने की मांग की। 73 पीड़ित अब भी मेडिकल में भर्ती मेडिकल अस्पताल में ब्लैक फंगस के लगभग 73 मरीज भर्ती है। इसमें अधिकतर का मरीजों की सर्जरी हो चुकी है। सभी को लगातार इंजेक्शन देने की जरूरत है। ब्लैक फंगस को शरीर में फैलने से रोकने के लिए भी कुछ मरीजों को इंजेक्शन लगाए जा रहे थे। पर इंजेक्शन की कमी के बीच टेबलेट की कमी ने मरीजों का संकट बढ़ा दिया। बुधवार शाम को 472 इंजेक्शन मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधन के साथ मरीजों ने राहत की सांस ली। अब मेडिकल कॉलेज सीधे अधिकृत कंपनी से इंजेक्शन मंगवा रही है मेडिकल कॉलेज में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार के लिए अभी तक भोपाल से इंजेक्शन और टेबलेट भेजा जा रहा था, लेकिन 16 जुलाई को अचानक व्यवस्था बदल दी गई है। अस्पताल स्तर पर प्रदेश सरकार की अधिकृत कंपनी से सीधे इंजेक्शन मंगवाने के निर्देश दिए गए। 17 जुलाई को मेडिकल कॉलेज ने अधिकृत कंपनी को ढाई हजार इंजेक्शन का ऑर्डर किया। इसकी पहली खेप 12 दिन बाद 472 इंजेक्शन के रूप में मिली।