आदरणीय पाठक बंधु सादर अभिवादन स्वीकार हो। हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे। मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें। आपका सचीन्द्र मिश्र सीधी ................................................... 📱 चेहरे चर्चित चार📱 नेता अफसर - विधिक पत्रकार जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार । .................................................. 👉 आनंद सिंह चौहान✍️ पूर्व अध्यक्ष ................................................... आज जिक्र एक ऐसे नेता की जो राजनीति में सदाबहार रहा, जो तजुर्बा तरुणाई में था, वही जज्वा जवानी में भी रहा, और आज 70 वर्ष पार होने के बाबजूद भी वही जोशोखरोश झलकता है आज जिक्र पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष आनंद सिंह चौहान का। जिनका जन्म 1951 में सीधी करोंदिया में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा और स्नातक तक की पढ़ाई करने के बाद आनंद सिंह ने एलएलबी की पढ़ाई रीवा ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय से की। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही आनंद सिंह का झुकाव राजनीति की ओर हो गया था, उन दिनों की आनंद सिंह की राजनीतिक यात्रा काफी रोचक थी, महाविद्यालय में दो विचारधारा के प्रखर छात्र नेता थे, एक खुद आनंद सिंह दूसरे बर्तमान सीधी विधायक पंडित केदारनाथ शुक्ल । दोनों के बीच की काफी खट्टी मीठी यादें है दोनों नेताओं की काफी किवदंतियाँ भी है, काफी किस्से भी राजनीतिक गलियारे में है, दोनों नेताओं में टसल थी, प्रतिस्पर्धा थी, खुद आनंद सिंह बताते है कि सम्मान भी एक दूसरे के प्रति बहुत था, पुराना राजनीतिक मिजाज बड़ा सम्मानित और मानवीय भावनाओ को ध्यान में रखते हुए अलग ही था, आगे आनद सिंह बताते है कि श्री शुक्ल जी के पिता जी हमारे परिवार के आदर्श पंडित थे, इस नाते काफी प्रगाढ़ पारिवारिक संबंध भी थे, जो आज भी कायम है। केदारनाध शुक्ल के बारे में आनंद सिंह बताते है कि वो काफी प्रतिभावान संघर्षशील छात्र जीवन मे ही रहे है उसी का परिणाम आज फलीभूत है। स्वयं आनद सिंह दलगत राजनीति में 1973 में आये जब वह एलएलबी प्रथम वर्ष के छात्र थे, तभी स्व अर्जुन सिंह जी ने उन्हें बुलवाकर पार्टी में शामिल किया और यूथ कांग्रेस का जिला अध्यक्ष बना दिया था। उन दिनों स्व इंदजीत कुमार उनके कंमेटी में महामंत्री थे, तब पार्टी के सभा या रैली की तैयारी में दोनों लोग झंडा अलग अलग रंग के बाजार से खरीद कर सिलवा कर तैयारी करते थे हाथ से पन्नी लपेट कर बांस के खंभे गाड़ते थे, उसके बाद आनद सिंह लगातार कई अध्यक्षो की पारी में महामंत्री रहे उपाध्यक्ष रहते हुए अनेक उपलब्धियां प्राप्त की। 1980 के दशक में 20 सूत्रीय कार्यक्रम के जिला सदस्य और वर्जन कंमेटी सदस्य भी रहे, पूर्व मंत्री स्व इंदजीत कुमार के मंत्री कार्यकाल में 1998 से 2003 तक प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मेंबर भी रहे। इसके बाद ग्रामीण विजली सहकारी समिति के अध्यक्ष का कार्यकाल भी आनंद सिंह ने 2002 से 2006 तक देखा, बतौर अध्यक्ष आनंद सिंह ने अनेक बेरोजगारों को रोजगार दिया तथा विद्युत विहीन इलाको को रोशनी पहुचाने में महती भूमिका निभाई। उस दौरान शहर से लगे समीपी गाँव की बिजली कटौती होती थी जिस पर अंकुश लगाते हुए आनंद सिंह ने नगर पालिका के समान बिजली सप्लाई दिलाते थे। आनंद सिंह 4 जुलाई 2011 से 7 जुलाई 2018 तक जिला कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, आज भी आनंद सिंह जितना अध्यक्षी के पहले और अध्यक्षी के समय सक्रिय रहे आज भी उनकी सक्रियता उसी प्रकार है। आनंद सिंह 1978 में जब नगरपालिका परिसीमन हुआ था तब उन्हीने कई वार्ड बनबाये और स्वयं भी क्रमांक 12 करोंदिया से पार्षद चुने गए, और नगरपालिका अध्यक्ष बनते बनते चूक गए, और निर्दलीय पार्षद केके सिंह अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। स्व अर्जुन सिंह, स्व इंदजीत कुमार, राहुल भैया को अपना आदर्श मानने वाले आनंद सिह अपनी पुरानी घटनाएं याद करते हुए बताते है कि 1977 में जब इंदजीत कुमार काँग्रेस से विधानसभा प्रत्यासी हुए तब आर्थिक संसाधनों की काफी कमी थी, स्व अर्जुन सिंह ने दो गाड़िया चुनाव प्रचार के लिए भेजवाई थीं, जो काफी पुरानी और बहुत दयनीय स्थिति में थी, जगह जगह खराब हो जाती थीं, ऐसे में गाड़ी में हम लोग गगरे में पानी भरके रखते थे, समय समय पर पानी गाड़ी में डालते रहते और पानी की जगह मिलने पर गगरे को भी भरते, जो अविष्मरणीय है। अपने युवा पन को याद करते हुए आनंद सिंह बताते है कि इमरजेंसी के दौरान तात्कालिक जिलाध्यक्ष स्व युवराज सिंह द्वारा टिकिट नही दिया जा रहा था तो उन्ही के खिलाफ नारेबाजी करने लगे, फिर पूर्व मख्यमंत्री स्व अर्जुन सिंह जी ने बुलाकर समझाया और हमारी मांग को भी पूरा किया। अंत मे मैं इतना जरूर कहूंगा कि आनद सिंह चौहान जिले की वो शख्शियत है जिन्हें पूरा जिला बिना किसी पार्टी, बिना किसी पद, बिना प्रोटोकॉल के हटकर भी आनंद सिंह करोंदिया के नाम से जानता है, जिसकी तस्वीर लोंगो के मन मे एक अलग प्रकार की ही है, ऐसे प्रभावशाली लोग बहुत बिरले ही मिलते है। ................................................... 👉 दिलीप कुमार ✍️ I.A.S. ................................................... चेहरे चर्चित चार में से एक ऐसा प्रशासनिक सख्स जो अपनी प्रशासनिक कार्यशैली के साथ साथ हंसमुख मिजाज के धनी व अनोखी शैली के लिए प्रसिद्ध है । साथ ही हर परिस्थितियों को हंसकर झेलने के आदी सीधी जिले के पूर्व कलेक्टर दिलीप कुमार की ...जी हाँ दिलीप कुमार एक ऐसा नाम है जिसे पक्ष और विपक्ष दोनों ने सामान रूप से महत्व दिया या यूं कहें की इनकी कार्य कुशलता थी की इनके काम से दोनों संतुष्ट थे । बतौर कलेक्टर दिलीप कुमार का कार्यकाल सीधी जिले में बेहद उमदा रहा हे , अपनी वाक्पटुता के दम पर व सहजता के कारण ही आम लोगो के दिलों में वह राज करते हैं । बिना आडम्बर व दिखावे के कठिन से कठिन मुद्दों को हल करने का हुनर इनमे जबरदस्त था । दिलीप कुमार का जन्म बिहार के नवादा में 4 सितम्बर 1967 को एक किसान परिवार में हुआ हुआ था, इनकी प्राथमिक से हाई स्कूल तक की शिक्षा गाँव में ही संपन्न हुई, उच्च शिक्षा इन्होने पटना कालेज से पूर्ण की। उच्च शिक्षा के साथ साथ इन्होने UPSC की तैयारी भी जारी रखी जिनका सन 1989 में mppsc में चयन हो गया । आईएएस अधिकारी दिलीप कुमार की प्रशासनिक सेवा का श्री गणेश 1991 में बतौर डिप्टी कलेक्टर छत्तीसगढ़ के राजगढ़ से हुआ, इसके बाद 1998 में मध्यप्रदेश के बालाघाट में पोस्टिंग हुई और आप सागर बिदिशा में सेवारत होने के उपरांत CEO जिला पंचायत जबलपुर भी रहे हैं । इन्होने 2010 से 2013 तक ज्वांइट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ग्वालियर का भी पद सम्हाला |फिर कारवा बढ़ता रहा और 2013 से 2014 तक ADM सिंगरौली व इसके बाद ADM इंदौर के पद पर भी रहे। 2016 में iAS अवार्ड होने के उपरांत इन्हे अपर आयुक्त वाणिज्य कर इंदौर वनाया गया । जून 2017 से दिसम्बर 2018 तक बतौर कलेक्टर इन्होने सीधी में सेवाएं दी इनका सीधी जिले का कार्यकाल बेहद खास रहा । इसके बाद जनवरी 2019 से 2020 तक कार्यपालक संचालक माइनिंग कार्पोरेशन भोपाल रहे । आप वर्तमान में अपर सचिव कृषि विभाग भोपाल में सेवारत हैं । एक सामान्य किसान परिवार में जन्मे और आईएएस बने दिलीप कुमार कि काफी रोचक स्मृतियां हैं उनकी सेवा काल का श्री गणेश छत्तीसगढ़ राज्य के राजगढ़ जिले से हुआ था जब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ संयुक्त राज्य थे तब 1994 95 के दशक में पंचायती राज व्यवस्था का बेहतर क्रियान्वयन किया गया था त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को साकार कराने में अपका प्रसंसनीय योगदान रहा ह। | उस वक्त जब पंचायती राज व्यवस्था अपने मूल पायदान पर थी तब कुनकुरी से राजगढ़ के लिए किये गए दिलीप कुमार के ट्रांसफर से सभी नाराज थे, पंच सरपंच जनपद सदस्य समेत जिला पंचायत सदस्यों ने कलेक्टर को सामूहिक इस्तीफा दे दिया था कारण की कुनकुरी के जनमानस में इनके प्रति इतना प्रेम था, और वे इनके कामों से इतने प्रभावित थे की इन्हे राजगढ़ नहीं जाने देना चाहते थे तब त्रिस्तरीय पंचायत राज के सदस्यों की मंशा पर कलेक्टर ने ट्रांसफर निरस्त कर यथावत रखा था । इसके उपरांत मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की स्मरण भी दिलीप कुमार के प्रशासनिक जीवन की एक बड़ी रोचक कहानी है , यहां पर शहर के बीचो बीच कॉलोनी में स्थापित एक तालाब को पाटकर कॉलोनी का निर्माण कराए जाने की मंशा से भू माफियाओं द्वारा रातो रात तलाब को पाटने की कोशिशें की जा रही थी जिसे नाकाम करते हुए दिलीप कुमार द्वारा तालाब के अस्तित्व को बचाया गया था, उक्त तालाब बालाघाट में आज भी आबाद है। दिलीप कुमार की तीसरी रोचक कहानी तो ऐसी है जहां इनके कारण हजारों लोगों की जान बचाई गई । बात दरअसल ऐसी है की बालाघाट के जमुनिहा डैम की टूटने के 3 घंटे पहले सूचना मिलने पर इनके द्वारा एसडीएम के कार्यकाल के दौरान 16 गांव को आनन फानन मैं खाली कराया गया था, गांव जैसे ही खाली हुआ ठीक आधे घंटे बाद जमुनिया बांध टूट गया, और ये दिलीप कुमार की प्रशासनिक दक्षता का ही नतीजा था कि उन 16 गांवों के हजारों लोगों की जान बंच सकी , दिलीप कुमार द्वारा समय रहते अगर उन 16 गांवों की आबादी को खाली ना कराया जाता तो एक बड़ा हादसा घटित होता पर इन्होंने बतौर एसडीएम के कार्यकाल के दौरान यह एक बड़ा साहस और प्रशंसनीय कदम उठाया था जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इन्होंने जबलपुर में सीईओ जिला पंचायत रहते हुए स्वच्छता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया था, स्वच्छता अभियान चलाकर करीब 100 ऐसी ग्राम पंचायते थी जिन्हें स्वच्छ कराया था ,पांचवी यादगार सीधी जिले से है जब यह सीधी के कलेक्टर से तब दूरस्थ वनांचल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कुसमी के 8 ऐसे बच्चों को जीवनदान दिलाया जिनके दिलों में छेद था, हेल्थ कैंप लगाकर बीमारी से निजात दिलाने की दिशा में उन 8 बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ जिन्हें दिलीप कुमार द्वारा बाहर भेज कर उनकी सर्जरी कराई गई। इतना ही नहीं दिलीप कुमार वनांचल क्षेत्र कुसमी में एकात्म यात्रा में भी मिसाल कायम की थी, कुसमी में आयोजित एकात्म यात्रा के दौरान करीब 20000 से अधिक की संख्या में हर समाज के लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी वही जल संरक्षण नदी नालों को पुनर्जीवित करने का भी इनके द्वारा उल्लेखनीय कार्य किया गया | सीधी के कलेक्ट्रेट चौराहे से अस्पताल चौराहे तक सड़क निर्माण कराए जाने की दिशा में अतिक्रमण हटाकर सड़क का निर्माण कार्य प्रारम्भ कराया गया था जो आज वनके तैयार है । सीधी जिले के आम जनों को संतुष्ट कर लेना एक डोर में स्थापित करना जात पात से मुक्त होकर समन्वय बनाकर कार्य करना प्रशासनिक अधिकारियों के लिए टेढ़ी खीर होती है, किंतु दिलीप कुमार एक ऐसे कलेक्टर थे जो सीधी की नब्ज को पढ़कर एक कुशल प्रशासक की भूमिका आदा करने में भी कामयाब रहे हैं। बात की जाए माइनिंग के क्षेत्र में जो वर्तमान की खनिज नीति है उस नीति के क्रियान्वयन में भी आपका महत्वपूर्ण योगदान है, पारदर्शिता के साथ इन्होंने काम करते हुए 14 सौ करोड़ कि सरकार को राजस्व वृद्ध अर्जित कराया था ढाई सौ करोड़ से 1400 करोड़ तक की राजस्व आय दिलाने मे आप की भूमिका अहम रही है, खनिज के क्षेत्र में नई खनिज नीति रेत नीति नियम लाने व नियमों का क्रियान्वयन जिलों जिलों में रेत खदानों की स्थापना कराकर सरकार को राजस्व वृद्धि दिलाई है। एक किसान के बेटे ने आईएएस बनकर जिस तरीके से हर क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है वह हमेशा हमेशा के लिये अमिट रहेगा । ................................................ .. 👉 उमेश तिवारी ✍️ एडवोकेट ................................................... जब कोई व्यक्ति छात्र जीवन से ही अपना लक्ष्य विधि व्यवसाय को लेकर कानून की पढ़ाई करे और डिग्री हांसिल कर वकालत पेशा मे प्रवेश करे तब उसकी चर्चा स्वाभाविक है ऐसे ही जूनियर अधिवक्ता जिनके बारे में बात कर रहा हूँ वह है एडवोकेट उमेश प्रसाद तिवारी जी , जिनका जन्म 15-06- 1975 को बढौरा ग्राम मे एक सामान्य परिवार मे हुआ था इनकी प्रारंभिक शिक्षा गृह ग्राम व सेमरिया मे हुई, तत्पश्चात संजय गांधी महाविद्यालय सीधी से MA LLB की पढाई पूरी करके वर्ष 2002 मे वकालत का लाइसेंस प्राप्त कर काली कोट धारण करली । जिला न्यायालय सीधी में बतौर जूनियर नर्मदा प्रसाद तिवारी जी के संरक्षण में वकालत का श्रीगणेश किया तब से निरंतर इसी पेशा मे परिश्रम व लगन के साथ लोगों को न्याय दिलाने का काम कर रहे हैं, श्री तिवारी वर्ष 2018 मे जिला अधिवक्ता संघ के सचिव पद पर निर्वाचित हुए थे तथा अप्रैल 2021 तक सचिव की जिम्मेदारी का निर्वहन कर इस दायित्व से मुक्त हुए, उस समय जब सीधी मे ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति मर्यादित का निर्वाचन होता था तब उमेश तिवारी लगातार दो पंचवर्षीय प्रत्यायुक्त रहे, अब एडवोकेट श्री तिवारी पूरी तरह से वकालत पेशा मे संलिप्त होकर कर्मपथ पर चलते हुए पीडितो शोषितों को न्याय दिलाने में लगे है । ये किसी पार्टी के सक्रिय सदस्य नहीं है लेकिन भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा को पसंद करते हैं एवं सीधी विधायक पंडित केदारनाथ शुक्ल के समर्थक माने जाते हैं, कुल मिलाकर श्री तिवारी वकालत के क्षेत्र में बड़ी तन्मयता के साथ पक्षकारों के हक व हित के लिए संघर्षरत है। और श्री तिवारी के होठों की लालिमा अब एक पहचान सी हो गई है , एक तरफ काली कोट तो दूसरी तरफ मुंह में बंगली पान आकर्षण का केन्द्र है । ................................................... 👉 अमित मिश्र ✍️ युवा पत्रकार .................................... ..... आज जिक्र एक ऐसे पत्रकार की जिसने क्षेत्रीय इलेक्ट्रॉनिक व डिजिटल पत्रकारिता को एक नया मुकाम दिया, मोबाइल में देखे जाने वाले न्यूज़ चैनल का एक बड़ा सजा धजा सनटीक सभ्य शैली दमदार साहित्यिक भाषा की एंकरिंग सुनकर और देखकर ये एहसास बोध हो कि हम किसी राष्ट्रीय चैनल के उद्घोषक को सुन रहे हो, विंध्य का उभरता हुआ एक बड़ा पत्रकार चेहरा अमित मिश्र जिनका जन्म 1990 में रीवा में हुआ, इनकी प्रारंभिक शिक्षा सीधी जिले के सिहावल से हुई, आगे की पढ़ाई रीवा और इंदौर से और एमसीए, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की डिग्री प्राप्त की। अमित मिश्रा ने एमफिल गोल्डमेडलिस्ट महाराष्ट्र के बर्धा विश्विद्यालय से हांसिल किये । और 2016में रायपुर से पत्रकारिता की शुरुआत ही शोषलमीडिया पत्रकारिता से हुई। और 2017 में अमित ने रीवा में पत्रकारिता शुरू की और यही समय था जब वीडियो समाचार ने मोबाइल का रास्ता पकड़ लिया था, अमित ने विंध्या टाइम्स का माइक थाम लिया और उसके संपादक के रूप में तब से लगातार कार्य कर रहे है, आज विंध्या टाइम्स पूरे विंध्य क्षेत्र में समाचार ब्रांड है, जिसमे अमित की जादुई आवाज का और शैली का कमाल है, जो देश मे शायद ही कुछ ऐसे विरले ही मोबाइल न्यूज़ चैनल होंगे। अमित ने विंध्या टाइम्स में डाक्यूमेंट्री फ़िल्म नेता जी चलते चलते एपिसोड चलाया। अमित की आवाज विंध्य ही नही पूरे मध्यप्रदेश ने तब सुना जब पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के निधन पर उनके अंतिम यात्रा पर एक शार्ट डाक्यूमेंट्री उनके श्रधांजलि के रूप में बनाई गई जो हर मोबाइल पर कई बार देखी गई। तब उस भाव विभोर करने वाली आवाज से शायद ही कोई परिचित था। आज अमित अपने विंध्य की संस्कृत को दिन रात एक करके अपनी लेखनी के माध्यम से संजोने और लोंगो के समक्ष पहुचाने के लिए पति पत्नी दोनों लोग पत्रकारिता के माध्यम से लगे हुए हैं।