सीधी ( ईन्यूज एमपी) विगत कई दिनों से किसान मीडिया के माध्यम से आवाज उठा रहे हैं कि बीज खाद की दुकानों से अमानक व घटिया बीज की पैकिंग कर जहां एक तरफ ब्यापारी आम जनता को लूट रहे हैं वहीं विभाग जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। ब्रांड के नाम पर अमानक व घटिया बीज विक्रेताओं की इस समय सहर से लेकर नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रो में बाढ़ सी आ गयी है वहीं घटिया बीज विक्रेता सरकार को भी लाखों के टैक्स का चूना लगा रहे हैं। जिला मुख्यालय में ही करीब आधा सैकड़ा खाद बीज की दुकानें संचालित हैं जहां से लाखों रुपये का वारा न्यारा हर दुकान से हो रहा है लेकिन कृषि विभाग के अधिकारी ऐसे विक्रेताओं पर मीडिया में खबर आने के बाद भी कार्यवाही करने से क्यों गुरेज कर रहे हैं यह आम बात आम जनता के समझ से परे है। आपको बताते चलें कि नगर क्षेत्र मझौली सहित समूचे जनपद अन्तर्गत संचालित खाद व बीज की दुकानों पर इन दिनों नकली बीज बिक्री की चर्चा जोरों पर है लेकिन कृषि विभाग के जिम्मेवार भी इन विक्रेताओं पर शिकंजा कसने मे असमर्थ दिख रहे हैं जिस कारण किसान इनके अमानक बीज के ठगी का शिकार हो रहे हैं।हालांकि नकली बीज को हाइब्रिड बता कर महंगे दाम पर बेचे जाते हैं और शत-प्रतिशत बीज जमने का दावा किया जाता है लेकिन उसी बीज को जब किसान बोता है तो आधे बीज ही अंकुरित होते हैं ऐसे में अपने आप साबित होता है कि नकली बीज बिक्री का कारोबार वर्षों से विभागीय अधिकारियों के सांट गांठ से चल रहा है जिस कारण एक तरफ किसान हाइब्रिड बीज के नाम से लूटा जाता है वहीं दूसरी तरफ पूरे बीज न जमने से खेत में आधी अधूरी फसल होने और रोपाई में भी पौधे कम पड़ जाते हैं जिससे काफी खेत खाली रह जाते हैं और जब फसल तैयार होने की स्थित होती है उस समय भी नकली बीज की वजह से किसानों को भरपूर पैदावार भी नहीं मिल पाती है जिसपर कृषि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जमीन, मौसम और रोग पर दोष मढ़ कर अपना पल्ला झाड़ कर फर्जी बीज विक्रेताओं को बचाने का काम कर देते हैं। अब देखना है कि नवागत कृषि विकास अधिकारी इस कारोबार पर किस तरह शिकंजा कसते हैं? बोवनी के समय नगर से लेकर गांवों मे दुकानों पर बीज मिलते हैं व गरीब किसान अपनी जमा-पूजी से महँगे दामो पर बीज खरीद कर ले जाते हैं लेकिन यह बीज किस कंपनी के हैं,इनका प्रमाणन कहां से हुआ है इसकी जानकारी ब्यापरियों को नहीं होती है बोरियों पर जो टैग लगा होता है वह दूसरे राज्यों के निजी कंपनियों के बीज प्रमाणीकरण संस्थाओं के होते है।चूँकि किसान बीज प्रमाणीकरण और किस्मों के संबंध में ज्यादा नही जानते इसके चलते ब्यापारी कंपनियों के एजेंट उन्हें बेहतर पैदावार का झांसा देकर ठग लेते हैं। जबकि नियमानुसार प्रत्येक ब्लॉक में कृषि विकास अधिकारी के द्वारा लाइसेंस धारी दुकानों में बीज कंपनियों के बीज को जर्मिनेशन कराकर सत्यापन किए जाने के बाद ही विक्रय किया जाना चाहिए और विभाग द्वारा निर्धारित किया जाता है कि किस कंपनी का बीज इस क्षेत्र के जमीन के लिए उपयुक्त है । जानकारों की माने तो जिला से लेकर नगर व कई ग्रामों मे खाद व बीज की ऐसी दुकानों की इन दिनों बाढ़ सी देखी जा सकती है जो अमानक खाद व बीज की बिक्री कर रहें हैं जबकि उनके पास इसके रखने व बिक्री करने का कोई भी वैध लाइसेंस नहीं है लेकिन जिम्मेवारों द्वारा आज तक इनके खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नही की गई ।