जबलपुर(ईन्यूज एमपी)- निर्धारित मापदंड से छह और आठ सेंटीमीटर ऊंचाई कम होने के बावजूद पुलिस विभाग में आरक्षक की नौकरी पा ली। यह कारनामा कर दिखाया है पचमढ़ी व जबलपुर निवासी दो युवतियों ने। नरसिंहपुर में हुई चयन परीक्षा में दोनों ने स्वास्थ्य का फर्जी प्रमाण पत्र चयनकर्ताओं को दिया था। मिलीभगत से नौकरी मिलने के बाद दोनों को बुनियादी प्रशिक्षण के लिए पीटीसी इंदौर पहुंची तो उनकी असलियत उजागर हो गई। कागजों में जिस लंबाई के बल पर दोनों को सरकारी नौकरी दी गई थी हकीकत में वो उससे छह और आठ इंच छोटी थीं। भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और सेंधमारी की खबर संचालनालय भोपाल तक पहुंची। जिसके बाद जिला अस्पताल नरसिंहपुर के मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी दोनों के चिकित्सा प्रमाण पत्रों की जांच के निर्देश जारी हुए। क्षेत्रीय संचालक जबलपुर द्वारा की गई जांच में ये प्रमाण पत्र फर्जी निकले। क्षेत्रीय संचालक ने माना कि दोनों को फर्जी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र पर नौकरी दे दी गई। परंतु वे प्रमाण पत्र आरोपित चिकित्सक ने जारी नहीं किए थे। यह है मामला पुलिस आरक्षक चयन परीक्षा वर्ष 2016 में पचमढ़ी तहसील पिपरिया जिला होशंगाबाद निवासी मीनाक्षी उइके और 1205 सी गणेश मंदिर के सामने मोदीवाड़ा कैंट जबलपुर निवासी रश्मि रत्नानी को सफलता मिली थी। दोनों का शारीरिक मापदंड परीक्षण नरसिंहपुर जिले में हुआ था। भर्ती प्रक्रिया के जिम्मेदारों ने उनकी लंबाई के विषय पर आंखों पर पट्टी बांध ली और जिला मेडिकल बोर्ड के फर्जी चिकित्सा प्रमाण पत्र को सही मानकर आरक्षक की नौकरी के लिए चयनित कर लिया। फर्जीवाड़े का पता वर्ष 2017 के अगस्त माह में हुआ जब युवतियों को प्रशिक्षण के लिए इंदौर भेजा गया। एसपी के पत्र के बाद मची थी खलबली पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज पीटीसी इंदौर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को बुनियादी प्रशिक्षण के दौरान मीनाक्षी और रश्मि की शारीरिक ऊंचाई पर संदेह हुआ। पीटीसी के विशेषज्ञ व चिकित्सक से जांच कराई गई तो मीनाक्षी 152.3 तथा रश्मि की ऊंचाई 150 सेंटीमीटर ही निकली। जबकि भर्ती प्रक्रिया के दौरान दोनों की ऊंचाई 158 सेंटीमीटर मापकर नौकरी के लिए योग्य घोषित किया गया था। एसपी ने पत्राचार कर मुख्यालय को फर्जीवाड़े की जानकारी दी। जिसके बाद खलबली मच गई। डॉक्टर बोले—ऊंचाई नहीं आंखों की जांच की थी मीनाक्षी और रश्मि ने जिला अस्पताल के एक डॉक्टर के नाम पर जारी फर्जी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र देकर नौकरी पाई थी। संचालनालय के निर्देश पर क्षेत्रीय संचालक कार्यालय जबलपुर द्वारा प्रमाण पत्रों की जांच कराई गई। आरोपित डॉक्टर ने बयान में कहा कि उन्होंने नेत्र परीक्षण कर दोनों को सरकारी सेवा के मापदंड के योग्य पाया था। प्रमाण पत्र पर उुंचाई किसने लिखी उन्हें इसकी जानकारी नहीं। संचालनालय ने भविष्य के लिए सचेत करते हुए चिकित्सक के खिलाफ प्रकरण को समाप्त कर दिया है।