enewsmp.com
Home सीधी दर्पण सीधी में रेत माफिया पर प्रशासन की बड़ी कार्रवाई! सिंगरौली की लीज पर हो रहा था उत्खनन, खनिज विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में

सीधी में रेत माफिया पर प्रशासन की बड़ी कार्रवाई! सिंगरौली की लीज पर हो रहा था उत्खनन, खनिज विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में

सीधी(ईन्यूज़ एमपी): सीधी जिले में रेत के अवैध कारोबार को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। सिंगरौली जिले की रेत खदान की लीज का हवाला देकर सीधी की सीमा में अवैध उत्खनन किया जा रहा था, और हैरानी की बात यह है कि यह सब कुछ प्रशासन और खनिज विभाग की आंखों के सामने चल रहा था।

रविवार को कुसमी तहसील के गोपद नदी क्षेत्र में एसडीएम आर.पी. त्रिपाठी, तहसीलदार एकता शुक्ला, नायब तहसीलदार नारायण सिंह, सिंगरौली प्रशासन और खनिज विभाग की संयुक्त टीम ने दबिश दी। मौके से अवैध रूप से रेत निकाल रहीं पोकलेन मशीनें और वाहन जब्त किए गए।

सूत्रों के अनुसार, सिंगरौली जिले की हर्दी रेत खदान की लीज सहकार ग्लोबल कंपनी के पास है, लेकिन कंपनी के द्वारा सीधी जिले के गोतरा क्षेत्र में अवैध रूप से उत्खनन किया जा रहा था। यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से सीधी की राजस्व सीमा और कानून का उल्लंघन है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सीधी जिले में रेत खदानों की नीलामी हो चुकी है, लेकिन किसी भी ठेकेदार को अभी तक संचालन की अनुमति नहीं दी गई है। ऐसे में यह स्पष्ट होता है कि रेत माफिया प्रशासनिक शून्यता का फायदा उठाकर अवैध कारोबार को अंजाम दे रहे हैं।

प्रशासनिक कार्रवाई या सिर्फ दिखावा?
हालांकि मौके पर प्रशासनिक दबिश दी गई, मशीनें जब्त की गईं, लेकिन स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं — क्या यह कार्रवाई सिर्फ एक दिन की औपचारिकता है, या वाकई प्रशासन अब रेत माफिया पर नकेल कसने को तैयार है?

गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से सीधी जिले में वैध रेत खदानें बंद पड़ी हैं, जिससे आम जनता को रेत महंगे दामों पर खरीदनी पड़ रही है और अवैध कारोबारियों की चांदी कट रही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है, कि यदि समय रहते निगरानी की जाती, तो हालात इतने बिगड़ते ही नहीं।

खनिज विभाग की चुप्पी पर गहराया संदेह:
इस पूरे प्रकरण में सबसे गंभीर सवाल खनिज विभाग की भूमिका पर उठ रहे हैं। जब रेत की ढुलाई और मशीनें खुलेआम सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रही थीं, तो विभाग कहां था? क्या यह जानबूझकर की गई अनदेखी थी, या लापरवाही?

जिम्मेदार अधिकारी अभी तक चुप हैं, लेकिन जनता अब जवाब चाहती है। यह कोई मामूली मामला नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र की निगरानी व्यवस्था की विफलता को उजागर करता है।

अब कार्रवाई हो या खानापूर्ति?
फिलहाल यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस कार्यवाही को कहां तक ले जाता है। क्या इसमें संलिप्त कंपनी और उसके संचालकों पर कानूनी कार्रवाई होती है, या मामला कागजों में दबा दिया जाएगा?

ईमानदार ठेकेदारों और आमजन की यही मांग है कि अवैध रेत कारोबार को संरक्षण देने वालों की पहचान हो, जिम्मेदारी तय हो, और जिले में रेत व्यवस्था को पारदर्शी और न्यायसंगत तरीके से लागू किया जाए।

Share:

Leave a Comment

समान समाचार